हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर से हलचल पैदा हो गई है। लोकसभा चुनाव के बीच प्रदेश में सीएम नायब सैनी की सरकार ( भारतीय जनता पार्टी की सरकार) को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया।
चंडीगढ़: राजनीति में कोई भी व्यक्ति किसी का भी स्थायी मित्र नहीं होता है। हरियाणा में तीन निर्दलीय विधायकों ने पिछले चार-साढ़े चार साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार का समर्थन कर रहे थे. इन विधायकों ने कांग्रेस का दामन थाम कर इस बात को साबित कर दिया है कि राजनीति पासा पलटने का खेल है। प्रदेश के सात निर्दलीय विधायकों में से सबसे वरिष्ठ रानियां कुमार के पूर्व विधायक रणजीत कुमार चौटाला को भाजपा सरकार ने कैबिनेट मंत्री का पद दिया है, जबकि महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुमार कुंडू शुरुआती दिनों से ही सरकार के साथ नहीं हैं।
तीन विधायकों ने बदली पार्टी
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक विधायकों का भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल में हर प्रकार से पूरा ध्यान रखा गया है, लेकिन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही तीन विधायक ने अपना पासा ही पलट लिया। क्योकि उनकी मंत्री बनने की इच्छा भाजपा सरकार में पूरी नहीं हुई तो वह कांग्रेस के साथ मिलकर उनका साथ देने चले गए। दो निर्दलीय विधायकों में राकेश कुमार दौलताबाद और नयनपाल कुमार रावत ने भाजपा सरकार का साथ नहीं छोड़ा और आरंभ से अब तक पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़े हैं।
छह निर्दलीय विधायक बने चेयरमैन
भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन सभी छह निर्दलीय विधायकों को बोर्ड एवं निगमों का चेयरमैन बनाया गया था और राज्यसभा चुनाव में भी इन सभी को पूरा मान-सम्मान दिया गया, लेकिन मंत्री पद नहीं मिलने के कारण इन निर्दलीय विधायकों ने अपना पाला ही बदल लिया। इन विधायकों ने बार-बार सरकार पर दबाव बनाया कि रणजीत कुमार चौटाला को हटाकर उनमें से केवल किन्हीं दो या तीन विधायकों को मंत्री बनाया दिया जाए, लेकिन मनोहर लाल और नायब सिंह सैनी कभी भी उनके दबाव में नहीं आए थे। बादशाहपुर के विधायक राकेश कुमार दौलताबाद ने तो हमेशा अपने हिसाब की राजनीति की और इन निर्दलीय विधायकों के चक्कर में नहीं आए।