विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में कहा कि सीमा पर सैनिकों के पीछे हटने से दोनों देशों के बीच आगे की बातचीत के रास्ते खुल गए हैं। जयशंकर ने इस उपलब्धि का श्रेय उन सैनिकों को दिया, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में धैर्य और साहस के साथ काम किया और इस कदम को संभव बनाया।
नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त को लेकर चीन के साथ एक समझौता हुआ है, जिसमें देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त का प्रावधान है। हालांकि, जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सभी मुद्दों का समाधान नहीं हैं।
जयशंकर ने इस प्रगति का श्रेय भारतीय सेना को दिया, जिसने अत्यंत कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए इस समझौते को संभव बनाया। पुणे में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "21 अक्टूबर को हुए इस समझौते के तहत सैनिकों के पीछे हटने का पहला चरण पूरा हुआ है, जिससे हम अगले कदमों पर विचार कर सकते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि इस समझौते से बातचीत का मार्ग प्रशस्त हुआ है, लेकिन सभी मुद्दों का हल अभी बाकी हैं।
दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में अभी और समय लगेगा - जयशंकर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने छात्रों के साथ बातचीत के दौरान भारत-चीन संबंधों को लेकर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में अभी समय लगेगा। उन्होंने भरोसे को फिर से बहाल करने और संयुक्त रूप से काम करने के महत्व पर जोर दिया, यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में स्वाभाविक रूप से समय लगेगा। जयशंकर ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी, जिसमें यह सहमति बनी थी कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलेंगे और यह तय करेंगे कि आगे कैसे बढ़ा जाए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों और एलएसी पर सुरक्षा को लेकर अपनी दृढ़ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज भारत जिस मुकाम पर पहुंचा है, उसका एक बड़ा कारण यह है कि देश ने अपनी स्थिति स्पष्ट रखने में दृढ़ता दिखाई है। उन्होंने भारतीय सेना की सराहना की, जो अत्यधिक कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा के लिए एलएसी पर तैनात हैं।
जयशंकर ने कहा कि पिछले एक दशक में भारत ने सीमा क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में सुधार किया है, जो पहले उपेक्षित था। उन्होंने बताया कि वर्तमान में, भारत पिछले दशक की तुलना में प्रति वर्ष पांच गुना अधिक संसाधन इस क्षेत्र में निवेश कर रहा है, जिससे सेना की प्रभावी तैनाती और परिचालन क्षमता में सुधार हुआ हैं।
भारत-चीन के बीच कैसे बढ़ा तनाव?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास से सैनिकों की वापसी और गश्त को लेकर हुए समझौते को एक महत्वपूर्ण प्रगति बताया। यह समझौता चार साल से अधिक समय से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद तनाव बढ़ गया था, जो कि दशकों में सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
जयशंकर ने कहा कि सितंबर 2020 से भारत चीन के साथ बातचीत के जरिए समाधान निकालने का प्रयास कर रहा था। उन्होंने समझाया कि इस समाधान के कई पहलू हैं, लेकिन सबसे आवश्यक कदम सैनिकों को पीछे हटाना था, क्योंकि वे एक-दूसरे के बेहद करीब थे और इससे किसी अप्रत्याशित घटना की आशंका बनी हुई थी।