भारत और मलेशिया के बीच रक्षा और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े सहयोग पर सहमति बनी है। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग, नौसैनिक साझेदारी, सामरिक संवाद, और समुद्री सुरक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति व्यक्त की हैं।
नई दिल्ली: भारत और मलेशिया की दोस्ती अब समुद्र से गहरी और आसमान से ऊंची होने जा रही है। दोनों देशों ने विशेष रूप से समुद्री सुरक्षा, बहुपक्षीय साझेदारी और रक्षा उद्योग में अपने मौजूदा रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए विभिन्न तरीकों की पहचान की है। इसके तहत गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए एक संयुक्त समूह बनाने पर सहमति बनी हैं।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने साइबर सुरक्षा और कृत्रिम मेधा (AI) जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के लिए भी रणनीतिक कदम उठाने पर सहमति जताई है। यह समझौता हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा हैं।
तेरहवीं मलेशिया-भारत रक्षा सहयोग समिति (MIDCOM) की बैठक बुधवार को कुआलालंपुर में हुई, जिसमें रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और मलेशिया के रक्षा मंत्रालय के महासचिव लुकमान हकीम बिन अली ने सह-अध्यक्षता की। बैठक में दोनों पक्षों ने सशस्त्र बलों के बीच बढ़ते सहयोग और नियमित संपर्क को लेकर संतोष व्यक्त किया।
भारत-मलेशिया रक्षा सहयोग
भारत और मलेशिया ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और विस्तारित करने के लिए प्रभावी और व्यावहारिक उपायों पर जोर दिया है। दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई, जिसमें साइबर सुरक्षा और कृत्रिम मेधा (AI) जैसे उभरते क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के कदमों की पहचान की गई। रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षीय साझेदारी के मौजूदा सहयोग को और गहरा करने के लिए नई रणनीतियों पर सहमति बनी।
खासतौर पर गैर-पारंपरिक समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए एक संयुक्त समूह बनाने का निर्णय लिया गया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रक्षा स्तंभ के तहत नई योजनाओं को पूरी तरह लागू करने की प्रतिबद्धता जताई है। साथ ही, रणनीतिक मामलों के कार्य समूह की स्थापना पर विचार करते हुए विषय-वस्तु (TOR) का आदान-प्रदान भी किया गया।
इस सहयोग से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और व्यापारिक हितों की रक्षा को बल मिलेगा और भारत-मलेशिया की रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।