Jaipur Crime News: राजस्थान में पुलिस की हिरासत में रिश्वतखोर 'धनकुबेर', घर में मिले 92 लाख रूपये नगद और नोट गिनने की मशीन; ACB टीम की बड़ी कार्रवाई

Jaipur Crime News: राजस्थान में पुलिस की हिरासत में रिश्वतखोर 'धनकुबेर', घर में मिले 92 लाख रूपये नगद और नोट गिनने की मशीन; ACB टीम की बड़ी कार्रवाई
Last Updated: 05 जून 2024

राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार को राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड के कार्यालय में बड़ी कार्रवाई करते हुए दो परियोजना निदेशक और एक सेवानिवृत लेखाधिकारी को एक करोड़ 20 लाख रूपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया।

जयपुर: राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने सोमवार (३ जून) को राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लिमिटेड के कार्यालय में बड़ी कार्रवाई करते हुए दो परियोजना निदेशक और एक सेवानिवृत लेखाधिकारी को एक करोड़ 20 लाख रूपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है।दोनों परियोजना निदेशक रिश्वत की रकम धौलपुर-भरतपुर से लेकर आए थे। तीनों आरोपितों को पकड़ने के बाद एसीबी की टीम सेवानिवृत लेखाधिकारी महेश कुमार गुप्ता के जगतपुरा स्थित निवास स्थान पर पहुंची। जहां छापेमारी के दौरान टीम ने 92 लाख रूपए नकद और नोट गिनने की एक मशीन को बरामद किया।

निर्माण कार्य के लिए ली रिश्वत

राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक रवि प्रकाश मेहरड़ा ने Subkuz.com को बताया कि निगम के विभिन्न जिलों में चल रहे निर्माण कार्यों में रिश्वत का लेनदेन चोरी-छिपे किया जा रहा है। परियोजना निदेशकों और ठेकेदारों की मिलीभगत का बड़ा खेल चल रहा है। धौलपुर-भरतपुर परियोजना में तैनात परियोजना निदेशक सियाराम कुमार चंद्रावत और लक्ष्मण सिंह सैनी सोमवार को रिश्वत के रूपये देने के लिए महेश कुमार गुप्ता के घर गए थे। गुप्ता ही उनके बिल पास करता था। बदले में वह सभी अधिकारियों और ठेकेदारों से रिश्वत के तौर पर लाखों रूपये लेता था।

एसीबी ने कार्रवाई के बाद किया गिरफ्तार

राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक रवि प्रकाश मेहरड़ा ने मीडिया को बताया कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा सूचना मिलने पर रिश्वत का लेनदेन करते हुए चंद्रावत और लक्ष्मण सिंह के साथ ही महेश गुप्ता को रंगे हाथ पकड़ लिया।बताया कि प्रारंभिक पूछताछ के बाद तीनों को रिश्वत खोरी के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। जानकी के मुताबिक महेश गुप्ता सेवानिवृत होने के बाद भी संविदा के तौर पर कंसलटेंट अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। पूछताछ में सामने आया कि गुप्ता ने निगम के महाप्रबंधक के नाम से यह रिश्वत ली थी।

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