जम्मू-कश्मीर में इस बार मतदाताओं द्वारा दिखाया गया उत्साह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ की ओर इशारा करता है। खासकर दक्षिणी कश्मीर, जिसे पहले आतंकवाद और अलगाववाद का गढ़ माना जाता था, वहां के मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी एक सकारात्मक संकेत है। इस क्षेत्र में आमतौर पर चुनावों में कम मतदान देखा जाता था, लेकिन इस बार पहले चरण के मतदान में बड़ी संख्या में मतदाताओं ने हिस्सा लिया। यह उत्साह दिखाता है कि जनता अब शांति, विकास और स्थिरता की दिशा में बढ़ रही हैं।
श्रीनगर: अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे पहले विधानसभा चुनाव के प्रति लोगों का उत्साह स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। यह दिन न केवल जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि इस ऐतिहासिक बदलाव के बाद यह पहला मौका है जब वहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। दक्षिण कश्मीर, जो पहले आतंकी हिंसा का गढ़ रहा है, और जम्मू संभाग के रामबन, डोडा, और किश्तवाड़ जैसे क्षेत्रों में मतदान केंद्रों पर सुबह से ही लंबी कतारें देखने को मिलीं। यह लोगों की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास और स्थिरता की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक हैं।
पहले चरण में इतनी हुई वोटिंग
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव के पहले चरण में देर शाम तक 61.13 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। शोपियां में 53.54 प्रतिशत और पुलवामा जिले में 46.03 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ, जो पिछले चुनावों के मुकाबले काफी बेहतर है। इससे स्पष्ट होता है कि वर्ष 2008 के बाद से हुए चार लोकसभा और तीन विधानसभा चुनावों का मतदान प्रतिशत रिकॉर्ड तोड़ चुका है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी पांडुरंग के पोले ने कहा कि राज्य के हालात में सुधार का सीधा असर मतदान पर पड़ा है। यह बढ़ता मतदान न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास की पुनर्स्थापना का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर में लोग शांति और विकास की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
प्रधानमंत्री और उपराज्यपाल ने बढ़ाया मतदाताओं का हौसला
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदाताओं का उत्साह बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विशेष प्रयास किए। प्रधानमंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश में मतदाताओं से लोकतंत्र के इस उत्सव में भाग लेने का आग्रह किया, विशेष रूप से युवाओं और पहली बार वोट देने वालों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक संख्या में मतदान कर लोकतंत्र को मजबूत करें।
इस पहले चरण के मतदान के बाद 219 उम्मीदवारों का भविष्य ईवीएम में बंद हो गया। इनमें प्रमुख नामों में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती, जो बिजबिहाड़ा से चुनाव लड़ रही हैं, और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रमुख जीए मीर, जो डुरू से मैदान में हैं, शामिल हैं। इन चुनावों के परिणाम न केवल जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य को आकार देंगे, बल्कि यह राज्य की स्थिरता और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक भी साबित होंगे।
दूसरा चरण 25 सिंतबर को
जम्मू कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान 25 सितंबर को और तीसरे तथा अंतिम चरण का मतदान 1 अक्टूबर को होगा। 10 वर्षों बाद हो रहे इन विधानसभा चुनावों का माहौल पूरी तरह बदल गया है। अब न तो कोई आतंकी हिंसा है, न ही अलगाववादियों के फरमान। जिन 24 विधानसभा क्षेत्रों में वोट डाले गए, उनमें त्राल भी शामिल था, जो कभी आतंक का गढ़ माना जाता था। यह वही इलाका है जहां आतंकवादी जाकिर मूसा और बुरहान वानी जैसे चरमपंथी रहे थे। इसके अलावा, विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं में भी मतदान को लेकर काफी उत्साह देखा गया। हालांकि, घाटी की 16 सीटों पर केवल 30 प्रतिशत मतदान हुआ। इन कश्मीरी हिंदुओं के लिए जम्मू, ऊधमपुर और दिल्ली में 24 विशेष मतदान केंद्र बनाए गए थे, जहां जम्मू के 19 केंद्रों पर करीब 9500 वोट डाले गए।