झारखंड विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी ने संगठन में बड़ा बदलाव किया है। ओबीसी और आदिवासी कार्ड खेलते हुए बूथ से राज्य स्तर तक जिम्मेदारियां बदली जा रही हैं।
Jharkhand News: झारखंड विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी अब नए सिरे से संगठन को मजबूत करने में जुट गई है और इस बार ओबीसी व आदिवासी कार्ड खेलकर राजनीतिक समीकरण बदलने की कोशिश कर रही है। बूथ से लेकर राज्य स्तर तक पार्टी के ढांचे में फेरबदल किया जा रहा है, जिससे हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
ओबीसी और आदिवासी नेताओं को साधने की रणनीति
बीजेपी अब बूथ से लेकर मंडल स्तर तक ओबीसी और आदिवासी नेताओं की एक नई टीम तैयार कर रही है। पार्टी की रणनीति इन समुदायों को मजबूती से अपने पक्ष में लाने की है। झारखंड में निकाय चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी अभी से अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी हुई है। हालांकि, ये चुनाव दलीय आधार पर होंगे या नहीं, इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेकिन बीजेपी ने अपने संभावित उम्मीदवारों को जिताने के लिए कमर कस ली है।
आरएसएस और विद्यार्थी परिषद की भूमिका अहम
बीजेपी आदिवासी समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े कार्यकर्ताओं की पहचान कर रही है। इन कार्यकर्ताओं के जरिए पार्टी आदिवासी वोट बैंक को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
चुनावी हार के बाद बीजेपी को करनी पड़ रही कड़ी मेहनत
कभी झारखंड में बीजेपी के पास कड़िया मुंडा और दुखा भगत जैसे प्रभावशाली आदिवासी नेता थे, लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी का यह आधार कमजोर हुआ है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी को आदिवासी समाज में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। साथ ही, पार्टी ओबीसी समुदाय को भी अपने साथ जोड़ने में जुटी हुई है ताकि आने वाले चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया जा सके।
केंद्रीय नेतृत्व से मिला खास निर्देश
बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन को विशेष रूप से ओबीसी और आदिवासी समुदायों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने का निर्देश दिया है। पार्टी ने मंडल स्तर पर चुने गए नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि वे केंद्र सरकार की नीतियों और योजनाओं को इन समुदायों तक पहुंचाएं, ताकि बीजेपी का जनाधार बढ़ाया जा सके।
बीजेपी की नई रणनीति से बदलेगा झारखंड का सियासी समीकरण?
बीजेपी की इस नई रणनीति से झारखंड की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अगर पार्टी ओबीसी और आदिवासी समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने में सफल होती है, तो हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। आने वाले दिनों में बीजेपी की यह रणनीति कितनी कारगर साबित होती है, यह देखना दिलचस्प होगा।