लगातार दक्षिण पूर्व एशिया के लिए नई उम्मीद बनकर सामने आ रहे हैं भारतीय पर्यटक

लगातार दक्षिण पूर्व एशिया के लिए नई उम्मीद बनकर सामने आ रहे हैं भारतीय पर्यटक
Last Updated: 05 अगस्त 2023

निश्चित तौर पर हम कह सकते हैं कि भारतीय पर्यटन उद्योग में एक बार फिर से नई उमंग लौट आई हैं और भारत के लोग खासकर दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में काफी ज्यादा मात्रा में पहुंच रहे है जो कि हम कह सकते हैं कि चीन में मंदी की भरपाई की भी पूर्ति कर रहे है। अब हम बात करते हैं कि किस प्रकार से भारतीय पर्यटक दक्षिण पूर्व एशिया के लिए नई उम्मीद बनकर सामने आ रहे हैं तो जून के महीने में कुछ पर्यटक बैंकॉक और पटाया में छुट्टी मना कर आए। उनमें से हर एक ने करीबन 40 से ₹60000 के बीच खर्च किए, तो इसी प्रकार से हम कह सकते हैं कि भारतीय पर्यटक दक्षिण पूर्व एशिया के पर्यटन उद्योग के लिए नई उम्मीद बन गए।

दूसरी तरफ जब पर्यटकों से पूछा गया कि उनकी यह यात्रा कैसी रही तो उन्होंने बताया कि उनकी पूरी यात्रा पर करीब 40 से ₹50000 खर्च हुए जोकि किसी यूरोपीय देश की केवल मात्र टिकट खरीदने में खर्च हो जाते हैं और साथ ही पर्यटकों का कहना हैं कि ज्यादा से ज्यादा भारतीय लोगों को एशियाई देशों का भ्रमण करना चाहिए ओर इन देशों का वीजा बहुत ही आसानी से मिल जाता हैं जिससे हमारा वक्त और हमारा धन दोनों बचते है। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे थाईलैंड की अगर हम बात करें तो थाईलैंड में वर्तमान समय में भारतीय लोग काफी ज्यादा पर्यटन के लिए जा रहे हैं और थाईलैंड को भारत के लोगों के मुताबिक या फिर भारतीय पर्यटकों के मुताबिक बहुत ही अच्छा स्थान माना गया हैं और ज्यादातर भारतीय थाईलैंड का भ्रमण करना चाहते है। 

इनके आलावा इंडिगो और थाई एयरवेज जैसे एयरलाइंस और होटलों के द्वारा काफी ज्यादा ऑफर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं जिनका पर्यटक खूब बढ़-चढ़कर फायदा उठा रहे हैं और एशियाई देशों में भ्रमण कर रहे है। उसी के साथ भारत के इस बढ़ते हुए पर्यटन बाजार को देखते हुए नई-नई कंपनियां भी पर्यटन के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि भारत के इस बढ़ते पर्यटन के साथ-साथ वह भी कुछ लाभ कमा सके। 

 

पर्यटकों के लिए नया ठिकाना बना वियतनाम

बहुत से ऐसे दक्षिण पूर्व एशियाई देश हैं जिनके लिए पर्यटन उद्योग अर्थव्यवस्था के मुख्य आधारों में से एक माना गया है। कोरोना काल से पहले इस क्षेत्र की कुल जीडीपी का 12 फ़ीसदी हिस्सा पर्यटन उद्योग ने ही दिया था और ओईसीडी के मुताबिक इस उद्योग में लगभग 4 करोड से भी ज्यादा लोग कार्यरत हैं और लगभग कई सालों पहले तक यहां केवल चीन के लोग ही पर्यटन के लिए आते थे। चीन पर्यटन का बहुत ही बड़ा कारण था और इससे इन देशों को समर्थन मिलता रहा क्योंकि वहां के लोग घूमने के लिए इन देशों में ज्यादा जाना पसंद करते थे। 

यदि लोकडाउन के बाद के आंकड़ों की हम बात करें तो इसमें चीन के पर्यटकों की संख्या में 65 फ़ीसदी कमी आई है। यहां भारतीय पर्यटकों की संख्या में काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली हैं और इसी के साथ उद्योग जगत का यह मानना हैं कि भारतीय पर्यटकों की संख्या यदि एशियाई देशों में इसी प्रकार से निरंतर बढ़ती रहे तो आने वाले समय में बहुत बड़े बड़े बदलाव यहां नजर आएंगे और एयरलाइंस और होटलों के द्वारा जो ऑफर्स उपलब्ध करवाए जा रहे हैं उनमें भी काफी ज्यादा बढ़ोतरी दिखेगी। इनके आलावा और भी ज्यादा बेहतर होंगे जिसके संकेत अभी से हमें देखने को मिल रहे हैं क्योंकि वर्तमान में भी होटलों और एयरलाइंस कंपनियों के द्वारा बहुत ही बेहतरीन ऑफर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं जिसके कारण लोग एशियाई देशों में भ्रमण करना ज्यादा पसंद करते है। 

 

नई उड़ानों की हुई शुरुआत

अगर हम मई  महीने के आंकड़ों की बात करें पर्यटन की दृष्टि से तो इसमें चीन से ज्यादा भारतीय लोगों ने सिंगापुर का भ्रमण किया हैं और इंडोनेशिया पहुंचने वाले भारतीयों की संख्या लगभग 63000 के करीब रही जबकि इसके दौरान 64000 चीन के पर्यटक वहां पहुंचे साथ ही थाई एयरवेज के सीईओ साईं एम सी डी का कहना हैं  कि भारतीय पर्यटन मार्ग काफी ज्यादा मजबूत हैं क्योंकि थाई एयरवेज हर हफ्ते चीन से 14 उड़ाने भरी जा रही है और महामारी से पहले इन विमान की संख्या लगभग 40 थी और एक बहुत ही बड़ी बात उन्होंने यह बताई कि इन विमानों की संख्या भारत से 70 एयरवेज ऐसे हैं जो कि वहां के लिए उड़ान भरते हैं और यह मानना है कि आने वाले समय में भारत से आने-जाने वाले विमान की उड़ानों की संख्या दोगुनी हो सकती है या फिर उससे भी कई ज्यादा हो सकती है।

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