महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में वर्चस्व की लड़ाई में दोनों शिवसेनाएं 49 सीटों पर और दोनों राकांपा 38 सीटों पर आमने-सामने हैं। ये 87 सीटें उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के साथ-साथ शरद पवार और अजीत पवार के भविष्य का निर्धारण करेंगी।
Maharashtra vidhan sabha election 2024: पिछले ढाई वर्षों में बंट चुके महाराष्ट्र के दो प्रमुख दलों के लिए यह विधानसभा चुनाव सत्ता की लड़ाई बन गए हैं। इस संघर्ष में दोनों शिवसेनाएं 49 सीटों पर और दोनों राकांपा 38 सीटों पर आमने-सामने खड़ी हैं। ये कुल 87 सीटें आने वाले समय में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे, साथ ही शरद पवार और अजीत पवार के बीच वर्चस्व को निर्धारित करेंगी। महाराष्ट्र में लगभग ढाई साल पहले शिवसेना में सबसे बड़ी विद्रोह देखने को मिली थी, जब वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की नेतृत्व में चल रही अविभाजित शिवसेना से 40 विधायकों के साथ अलग होने का निर्णय लिया।
अजीत पवार खेमे में 41 विधायक शामिल
जब अजीत पवार ने अपने खेमे में 41 विधायकों को शामिल किया, तब उद्धव ठाकरे के पास केवल 15 विधायक बचे थे। लगभग सवा साल पहले, अजीत पवार ने राकांपा से बगावत की थी और राकांपा के 52 विधायकों में से करीब दो तिहाई विधायकों को तोड़कर राज्य में पहले से स्थापित शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। इसके बाद, राकांपा के 41 विधायक अजीत पवार के समूह में शामिल हो गए।
तब से, उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे पर अपने विधायकों और अपने दल तथा चुनाव चिह्न की चोरी का आरोप लगाते आ रहे हैं। वहीं, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने हमेशा कहा है कि उन्हें नई पार्टियाँ बनाने का काफी अनुभव है और वह फिर से एक नई पार्टी स्थापित कर सकते हैं। हाल के लोकसभा चुनावों में यह साबित भी हो गया कि शरद पवार नए दल की स्थापना में सक्षम हैं।
चुनावी बागडोर के लिए निर्णायक मुकाबला
उद्धव ठाकरे सहानुभूति के सहारे वोट पाने में सफल नहीं हो सके, और अब इन दोनों टूटे हुए दलों की असली परीक्षा विधानसभा चुनाव में होगी। चुनाव में 49 सीटों पर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की शिवसेनाओं के बीच सीधा मुकाबला होगा, जबकि 38 सीटों पर शरद पवार और अजीत पवार की राकांपा आमने-सामने हैं।
इन 49 सीटों में से 19 मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की हैं, जहां अविभाजित शिवसेना का प्रभाव रहा है। इसमें से 12 सीटें मुंबई महानगर की हैं। इसके अलावा, मराठवाड़ा में आठ, उत्तर महाराष्ट्र में चार, विदर्भ में छह और पश्चिम महाराष्ट्र में चार सीटें भी शामिल हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में 13 सीटों पर इन दोनों का मुकाबला हुआ था, जिसमें शिवसेना (शिंदे) ने सात सीटें जीती थीं।
शरद पवार की रणनीति और अजीत पवार की चुनौती
लोकसभा चुनाव में अपने गठबंधन में सबसे कम 10 सीटें हासिल करने के बावजूद 80 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ सबसे सफल रहे शरद पवार अब 38 विधानसभा सीटों पर अपने भतीजे अजीत पवार की राकांपा से सीधे प्रतिस्पर्धा में हैं। इनमें से अधिकांश सीटें पश्चिम महाराष्ट्र के शुगर बेल्ट से संबंधित हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण सीट बारामती विधानसभा है, जो बारामती संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जहां अजीत पवार का सामना उनके ही भतीजे युगेंद्र पवार से होगा। इन कई सीटों पर अजीत पवार के साथ राकांपा में शामिल विधायकों और मंत्रियों का मुकाबला शरद पवार द्वारा पेश किए गए नए उम्मीदवारों से होगा।
उम्मीदवारों की ताकत और रणनीति
शरद पवार के उम्मीदवारों में कई प्रमुख नेता शामिल हैं, जिन्होंने चुनावों से ठीक पहले भाजपा या राकांपा (अजीत) को छोड़कर शरद पवार से जुड़ने का निर्णय लिया है। ये उम्मीदवार अपनी-अपनी सीटों पर जीत हासिल करने की क्षमता रखते हैं और चुनावी मैदान में एक मजबूती से चुनौती पेश कर सकते हैं। उन्हें शरद पवार की रणनीतिक चातुर्य का भी फायदा मिलने की उम्मीद है, जो उनकी जीत की संभावनाओं को और बढ़ा सकता है।