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BMC चुनाव से पहले राजनीति में हलचल, क्या फिर साथ आएंगे राज-उद्धव ठाकरे?

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महाराष्ट्र में राज और उद्धव ठाकरे के साथ आने की अटकलें तेज हैं। 2005 में राज ने शिवसेना छोड़ी और MNS बनाई, दोनों ने राज्यहित और मराठी संस्कृति को प्राथमिकता दी।

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के फिर से एक होने की अटकलें इस वक्त जोर पकड़ चुकी हैं। अगर यह दोनों नेता एक साथ आते हैं, तो यह महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा turning point साबित हो सकता है। पिछले कुछ वर्षों में ठाकरे परिवार के दोनों हिस्सों के बीच खटास बढ़ गई थी, लेकिन अब मराठी संस्कृति और राज्य के हितों को लेकर दोनों ने एकजुट होने के संकेत दिए हैं। यह गठबंधन खासतौर पर आगामी BMC elections में अहम भूमिका निभा सकता है।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच की दूरी

राज ठाकरे ने साल 2005 में शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी Maharashtra Navnirman Sena (MNS) का गठन किया था। इसके बाद से राज और उद्धव के बीच गहरी दूरी आ गई थी। राज ठाकरे ने अपने अलग रुख को अपनाते हुए मराठी अस्मिता और anti-immigrant stance पर जोर दिया, जबकि उद्धव ठाकरे ने शिवसेना को बीजेपी के साथ गठबंधन करके सत्ता में रहते हुए राज्य की राजनीति को प्रभावित किया। लेकिन अब दोनों नेता राज्य के लिए और खासकर मराठी संस्कृति के लिए एकजुट होने की ओर बढ़ रहे हैं।

राज ठाकरे का बयान: "मातहत मतभेद मामूली हैं"

राज ठाकरे ने अपने और उद्धव ठाकरे के बीच रिश्तों पर बात करते हुए कहा कि उनके बीच के मतभेद अब काफी कम हो चुके हैं। राज ने कहा, "मुझे लगता है कि हमारे बीच के मतभेद insignificant हैं और यह महाराष्ट्र के हित के लिए ठीक नहीं है। इन मतभेदों का असर आम मराठी लोगों पर पड़ रहा है।" उन्होंने कहा कि अगर महाराष्ट्र की जनता चाहती है, तो वह उद्धव ठाकरे के साथ एक बार फिर से मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।

राज ने यह भी कहा, "यह सिर्फ मेरी willpower और स्वार्थ की बात नहीं है। अगर महाराष्ट्र के लिए यह जरूरी है तो हमें अपने egos को साइड में रखना होगा।" इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की स्थिरता और राज्यहित के लिए यह कदम उठाना अहम है।

उद्धव ठाकरे की शर्तें: "पाला नहीं बदल सकते"

हालांकि, उद्धव ठाकरे ने इस पर शर्तें रखी हैं। उद्धव ने कहा कि "हम छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम flip-flop की राजनीति नहीं करेंगे।" उद्धव ने यह स्पष्ट किया कि वह ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ काम नहीं करेंगे जो महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम कर रहा हो या जो राजनीतिक स्वार्थ के लिए पाला बदलता हो। उन्होंने यह भी कहा कि अगर एक बार उनका समर्थन किया है, तो यह solid होना चाहिए और फिर से विरोध करने का कोई कारण नहीं होना चाहिए।

संजय राउत का बयान: "ठाकरे भाइयों का साथ आना महाराष्ट्र के लिए फायदेमंद"

उद्धव ठाकरे के करीबी सहयोगी और Rajya Sabha सांसद संजय राउत ने भी दोनों नेताओं के बीच सुलह के संकेत दिए हैं। राउत ने कहा, "राज ठाकरे को महाराष्ट्र और शिवसेना (यूबीटी) के दुश्मनों को जगह नहीं देनी चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि ठाकरे भाइयों का फिर से एक होना महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है, जिससे राज्य की राजनीति को नया आकार मिल सकता है।

बीजेपी का रिएक्शन: "सुलह का स्वागत है, लेकिन BMC चुनाव में हम जीतेंगे"

बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे बंधुओं के एक होने पर खुशी जाहिर की है। फडणवीस ने कहा, "अगर ठाकरे बंधु एकजुट होते हैं तो हमें खुशी होगी, लेकिन हम आने वाले BMC elections में NDA को नहीं हराने देंगे।" बीजेपी ने यह भी कहा कि अगर दोनों नेताओं के बीच मतभेद खत्म हो जाते हैं, तो यह एक अच्छा कदम होगा। वहीं, बीजेपी प्रदेश प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि यह राज ठाकरे का व्यक्तिगत decision है और उन्हें अपनी पार्टी का भविष्य तय करने का पूरा अधिकार है।

शिवसेना (शिंदे गुट) और कांग्रेस की प्रतिक्रिया

हाल ही में, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज ठाकरे से मुलाकात की थी, जिसके बाद बीएमसी चुनावों के लिए संभावित alliance की चर्चा तेज हो गई थी। हालांकि, शिंदे गुट ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

कांग्रेस पार्टी ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, "राज ठाकरे अब यह मानते हैं कि BJP महाराष्ट्र की भाषा और संस्कृति को कमजोर कर रही है, और वे इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।"

एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा, "राज और उद्धव का मिलना एक अच्छा कदम होगा। अगर बाल ठाकरे आज जीवित होते, तो वे इस सुलह से बहुत खुश होते।"

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