अलीगढ़ जिला न्यायालय ने कक्षा दो के एक छात्र के प्रति क्रूरता के मामले में एक ट्यूशन शिक्षक को तीन साल की सजा और 58 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि इस तरह का व्यवहार पवित्र गुरु-शिष्य परंपरा के खिलाफ है।
अलीगढ़ में एक अजीब और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक शिक्षक पर ट्यूशन पढ़ाने के दौरान एक छात्र के साथ मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। यह घटना तब उजागर हुई जब कक्षा दो में पढ़ने वाला बच्चा घर पर काफी सहमा हुआ रहने लगा। जब अभिभावकों ने घर में सीसीटीवी कैमरे लगाए, तब शिक्षक की निर्दयता का सच सामने आया। परिवार के सदस्यों ने थाना गांधी पार्क में एक तहरीर देते हुए आरोपी शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। काफी समय बाद अब अदालत ने अपना निर्णय सुनाया है, जिसमें यह टिप्पणी की गई है कि शारीरिक चोट की तुलना में मानसिक चोट को अधिक गंभीर और गलत ठहराया गया है।
दरअसल, यह पूरा मामला अलीगढ़ के थाना गांधी पार्क के विकास नगर नौरंगाबाद का है, जहां के निवासी अमित कुमार ने 18 नवंबर 2018 को थाना गांधी पार्क में एक मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया कि उनका सात साल का बेटा एक निजी स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ता है। उनका बेटा ट्यूशन पढ़ने के लिए शिक्षक कमल उर्फ पिंकी शर्मा, जो शास्त्री नगर गांधी पार्क का निवासी है, के पास जाता था। अमित कुमार ने महसूस किया कि उनका बेटा कुछ ज्यादा ही डरा-डरा सा रहने लगा है। कई प्रयासों के बाद, जब बेटा चुप रहा और अपनी परेशानी नहीं बता पाया, तो उन्होंने एक मनोचिकित्सक की सलाह पर यह पता लगाया कि बच्चा किसी बात से काफी डरा हुआ है, जो उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा था।
सीसीटीवी में कैद हुई शिक्षक की निंदनीय हरकत
इसके बाद परिवार ने बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने घर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए। 16 नवंबर 2018 को जब सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई, तो उसमें स्पष्ट देखा गया कि कमल उर्फ पिंकी शर्मा, जो बच्चे को घर के ऑफिस में पढ़ा रहा था, उसे बेरहमी से पीट रहा था। फुटेज में यह भी नजर आया कि वह बच्चे को अपनी बाइक की चाबी और बॉल पेन से चोट पहुँचा रहा था। बच्चे ने बताया कि शिक्षक ने उसे कई बार नुकसान पहुँचाने और उसे डराने-धमकाने का कार्य किया है।
इसके अलावा, बच्चे ने यह भी कहा कि पिंकी शर्मा ने उसका गला दबाया और उसे अपहरण की धमकी दी थी। परिवार ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और शिक्षक के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और सबूतों की पुष्टि की। सबूतों और गवाही के आधार पर, एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो के न्यायाधीश राघवेंद्र मणि की अदालत ने आरोपी ट्यूशन शिक्षक को दोषी ठहराया और उसे सजा सुनाई। इस मामले में शिक्षक को मारपीट और धमकी देने के आरोप में दोषी पाया गया, लेकिन उसे हमले की धारा में दोषमुक्त कर दिया गया।
गुरु-शिष्य परंपरा के खिलाफ था आचरण- कोर्ट
एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या दो राघवेंद्र मणि ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराध के माध्यम से अभियुक्त ने ऐसा कृत्य किया जो बालक के शरीर और उससे भी अधिक उसके मन को कष्ट पहुँचाने वाला था। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे कृत्य का प्रभाव बालक के मन से आसानी से विस्मृत नहीं हो सकता। न्यायधीश ने यह भी कहा कि इस तरह का आचरण पावन गुरु-शिष्य परंपरा के खिलाफ था, और यह बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक असर डालने वाला था।
न्यायाधीश ने विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कहा कि सिद्ध दोष कमल शर्मा उर्फ पिंकी को परिवीक्षा अधिनियम का लाभ नहीं मिल सकता, क्योंकि उसने एक छोटे बच्चे के मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न में शामिल होकर उसे मानसिक रूप से परेशान किया था। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात बच्चे के मनोवैज्ञानिक प्रभाव का आकलन करना था। केवल शारीरिक उत्पीड़न ही नहीं, बल्कि मानसिक उत्पीड़न भी उसके जीवन में गहरी छाप छोड़ सकता है। जब बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने के बजाय डर और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है, तो यह उसकी समग्र विकास प्रक्रिया पर गंभीर असर डालता है।
इसी तरह के मामलों में यह बहुत आवश्यक है कि हम अपने बच्चों को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की सुरक्षा प्रदान करें। किसी भी शिक्षक को यह समझना चाहिए कि उसके कार्यों का बच्चों पर जीवनभर प्रभाव पड़ सकता है, और इससे बच्चे की मानसिक स्थिति, आत्मविश्वास और शिक्षा पर गहरा असर हो सकता है।