महाकुंभ 2025: संगम क्षेत्रफल में कमी, IIT विशेषज्ञों द्वारा सर्कुलेटिंग एरिया बढ़ाने की योजना

महाकुंभ 2025: संगम क्षेत्रफल में कमी, IIT विशेषज्ञों द्वारा सर्कुलेटिंग एरिया बढ़ाने की योजना
Last Updated: 02 अक्टूबर 2024

2025 के महाकुंभ में संगम का क्षेत्रफल 60 प्रतिशत कम हो गया है। गंगा नदी अपने दाहिने किनारे की ओर लगभग 500 मीटर तक स्थानांतरित हो चुकी है। इस समस्या के समाधान के लिए आईआईटी गुवाहाटी और रुड़की के विशेषज्ञों को बुलाया गया है। ड्रेजिंग मशीन के माध्यम से लगभग 150 मीटर से 175 मीटर तक नदी के तटीकरण का कार्य किया जाएगा। इससे संगम का क्षेत्रफल लगभग 250 वर्ग मीटर बढ़ जाएगा।

प्रयागराज: वर्ष 2019 के कुंभ की तुलना में वर्ष 2025 के महाकुंभ में संगम का क्षेत्रफल कम रहेगा। इस बार लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्रफल में कमी देखने को मिलेगी। दरअसल, वर्ष 2019 से 2024 के बीच गंगा नदी अपने दाहिने किनारे की ओर लगभग 500 मीटर की दूरी तक खिसक चुकी है।

इसके अलावा, दो से ढाई मीटर गहरे पानी के साथ दो से पांच मीटर ऊँची मिट्टी की चट्टानें भी बन गई हैं। लगातार हो रहे कटाव के कारण संगम तट पर उपलब्ध भूमि 2019 के स्तर से 60 प्रतिशत कम हो गई है। बाढ़ के पानी के कम होने के दौरान इसका सर्वेक्षण किया गया है।

सर्कुलेटिंग एरिया के विस्तार के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति

इस विषय पर मेला प्रशासन की चिंताओं के समाधान के लिए शासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रयागराज मेला प्राधिकरण के प्रस्ताव के अंतर्गत शास्त्री ब्रिज से संगम नोज तक के सरकुलेटिंग क्षेत्र को बढ़ाने के लिए आईआईटी गुवाहाटी और आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों को नियुक्त किया गया है। इसके लिए सरकार ने 19 करोड़ 22 लाख रुपये का बजट भी मंजूर कर दिया है। इस परियोजना के तहत गंगा का चैनलाइजेशन कार्य आरंभ किया गया है। साथ ही, ड्रेजिंग मशीन की मदद से नदी के तटीकरण का कार्य लगभग 150 मीटर से 175 मीटर तक किया जाएगा।

संगम का सर्कुलेटिंग एरिया 250 वर्ग मीटर बढ़ेगा

इस परियोजना में ड्रेजिंग का कार्य डैम डिवीजन का मैकेनिकल विंग करेगा। आइआइटियंस उनकी सहायता करेंगे। इस कार्य से निकाले गए ड्रेज्ड सामग्री का उपयोग तटबंध को मजबूत करने के लिए किया जाएगा। इससे लगभग 250 वर्ग मीटर का संगम का सरकुलेटिंग एरिया बढ़ जाएगा, जो शाही स्नान पर्वों और प्रमुख स्नान पर्वों के दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के लिए राहत प्रदान करेगा।

संगम के सरकुलेटिंग एरिया को बढ़ाने के लिए आइआइटी गुवाहाटी की टीम को आमंत्रित किया गया है। इसमें गंगा से निकाले गए ड्रेज्ड सामग्री का उपयोग किया जाएगा। संगम के क्षेत्रफल में वृद्धि होने पर स्नान के समय श्रद्धालुओं को सुगमता और सुविधा प्राप्त होगी।

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