शेरपा टीम का नेतृत्व अंग बाबू शेरपा ने बताया कि माउंट एवरेस्ट के साउथ कोल में अभी भी 40-50 टन तक कचरा जमा है। कुछ समय पहले शेरपा की टीम ने एवरेस्ट से 11 टन कचरा, चार शव और एक कंकाल निकले थे।
New Delhi: दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर सबसे ऊंचा शिविर कचरे से अटा पड़ा है, जिसे साफ करने में कई साल लग जायेंगे। शेरपा काफी सालों से अपनी टीम के साथ माउंट एवरेस्ट की चोटी के पास जमे हुए शवों को निकालने और कूड़ा -कचरा साफ करने का काम कर रहा है। ऐसा एक शेरपा ने जानकारी देते हुए मीडिया से कहा है।
वहीं,नेपाल सरकार ने वित्तपोषित सैनिकों और शेरपाओं की टीम ने मिलकर इस साल में की जाने वाली एवरेस्ट चढ़ाई के मौसम में वहां से 11 टन (24,000 पाउंड) कचरा, शव और कंकाल हटाया है।
एवरेस्ट के साउथ कोल में 40-50 टन कचरा जमा
subkuz.com को मिली जानकारी के अनुसार, शेरपा अपनी टीम के साथ सालों से माउंट एवरेस्ट की चोटी के पास जमे हुए कूड़ा -कचरा साफ करने का काम कर रहे है। इसी दौरान नेपाल सरकार के वित्तपोषित सैनिक और शेरपाओं की टीम ने एक साथ इस साल के पर्वतारोहण के समय एवरेस्ट से 11 टन (24,000 पाउंड) कचरा, 4 शव और एक कंकाल हटाया है।
बताया गया कि शेरपाओं की टीम का नेतृत्व अंग बाबू शेरपा द्वारा किया जा रहा है। इस दौरान उन्होंने आंकड़े भी पेश किए है जिसके अनुसार, सफाई के बाद भी साउथ कोल में 40-50 टन (88-110 हजार पाउंड) तक कचरा जमा हो सकता है। बताया कि साउथ कोल, पर्वतारोहियों के शिखर पर चढ़ने से पहले का यह लास्ट शिविर है।
सफाई करने में आ रही दिक्कत
शेरपा ने आगे कहा, 'उस क्षेत्र में कचरा ज्यादातर पुराने टेंट, कुछ खाद्य पैकेजिंग और गैस कार्ट्रिज, ऑक्सीजन की बोतलें, टेंट पैक, चढ़ाई सामग्री और टेंट बांधने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रस्सियां थीं। उन्होंने कहा कि वहां पर परतों में कचरा फैला हुआ है और 8 हजार मीटर (26,400 फीट) की ऊंचाई पर जम गया है जहां साउथ कोल कैंप स्थित है।
बता दें कि वर्ष 1953 में पहली बार इस चोटी पर विजय प्राप्त करने के बाद से, हजारों पर्वतारोही इस पर चढ़ने में सफल रहे हैं। वहां से टीम के शेरपाओं ने ऊंचे इलाकों से कचरा और शव एकत्र किए।'
साउथ कोल क्षेत्र कचरा साफ
अंग बाबू ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि, साउथ कोल क्षेत्र में काम करना सबके लिए मौसम एक बड़ी चुनौती है। यहां ऑक्सीजन का स्तर सामान्य से लगभग 1/3 रहता है। यहां तापमान गिरने के साथ ही हवाएं जल्दी ही बर्फ़ीले तूफ़ान की स्थिति में बदल जाती हैं। इसी वजह से वहां ऑक्सीजन का स्तर कम रहने से लम्बे समय तक रहना मुश्किल है। ऐसे में कचरे को खोदना भी एक बड़ा काम है।
बताया कि साउथ कोल के पास एक शव को खोदने में पुरे दो दिन लग गए, जो बर्फ में जम गया था। मौसम खराब होने पर टीम को वापस नीचे शिविरों में लौटना पड़ता है। फिर मौसम सही होने पर काम शुरू किया जाता है।