Mumbai: मुंबई हिजाब बैन मामला! कॉलेजों में हिजाब-नकाब और बुर्के पर लगा बैन हटाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट दायर याचिका पर आज करेगा सुनवाई

Mumbai: मुंबई हिजाब बैन मामला! कॉलेजों में हिजाब-नकाब और बुर्के पर लगा बैन हटाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट दायर याचिका पर आज करेगा सुनवाई
Last Updated: 09 अगस्त 2024

मुंबई के एक कॉलेज में हिजाब बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज शुक्रवार (9 अगस्त) को सुनवाई करेगा। याचिका में बांबे हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता के वकील ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस मामले पर जिक्र करते हुए कहा कि अभी कॉलेजों की परीक्षाएं शुरू होने वाली हैं और लगाए गए बैन की वजह से अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं को कई तरह की परेशानी  उठानी पड़ सकती है।

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार, 9 अगस्त, 2024 को उस याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें मुंबई के एक कॉलेज के परिसर में हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को मंजूरी देते हुए बरकरार रखा गया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस फैसले में चेंबूर ट्रांबे एजुकेशन सोसायटी के NG आचार्य और डीके मराठा कॉलेज द्वारा हिजाब, बुर्का, और नकाब पर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

मामले पर आज होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डी. यु. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला, और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल हैं, उन्होंने गुरुवार, 8 अगस्त, 2024 को उस वकील की दलीलों पर ध्यान दिया, जिसमें कहा गया कि आज से टर्म परीक्षाएं शुरू हो रही हैं और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को ड्रेस कोड के निर्देशों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा कि यह केस शुक्रवार को सूचीबद्ध कर दिया गया है।

कोर्ट में हिजाब बैन हटाने का मामला दायर

जानकारी के अनुसार, 26 जून को अपने फैसले के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने चेंबूर ट्रांबे एजुकेशन सोसाइटी के एनजी प्रिंसिपल और डीके मराठा कॉलेज द्वारा हिजाब, बुर्का, और नकाब पर लगाए गए बैन में अपना निर्णय सुनाने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने इसके पीछे तर्क दिया कि इस तरह के नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि ड्रेस कोड का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना है और यह कॉलेज के "शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और प्रशासन" के तहत कॉलेज के मौलिक अधिकारों का हिस्सा है।

अदालत ने यह भी माना कि शैक्षणिक संस्थान अपने नियमों और नीतियों को निर्धारित करने का अधिकार रखते हैं, जो कि शैक्षणिक अनुशासन और प्रबंधन के हिस्से के रूप में लागू होते हैं। इस प्रकार, कॉलेज द्वारा लागू किए गए ड्रेस कोड को संस्थान की स्वायत्तता और प्रशासनिक अधिकारों के तहत सही ठहराया गया।

इससे पहले कर्नाटक हिजाब विवाद

आपको बता दें कि, कर्नाटक हाई कोर्ट ने जब शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के सरकारी आदेश को सही ठहराया, तो उनके इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्टूबर 2022 को इस मामले पर फैसला सुनाया, जिसमें दो जजों के बीच इस मुद्दे पर विवाद हुआ था।

जिसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सहिदुल्ला की बेंच थी। जिन्होंने इस मामले में अपनी अलग-अलग राय दी। एक न्यायाधीश ने कर्नाटक हाई कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखने को कहा, जबकि दूसरे ने इसे गलत बताया और इसे निरस्त करने को कहा। इस मतभेग के कारण सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को एक Larger Bench (बड़ी पीठ) के समक्ष भेजने का निर्णय लिया, ताकि मामले पर और गहन विचार-विमर्श किया जा सके और एक सुसंगत निर्णय पर पहुंचा जा सके।

 

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