उत्तर प्रदेश: नाजुक मोड़ पर पहुंचा INDIA गठबंधन, सपा ने दिया 17 सीटों का प्रस्ताव, कहां फंसा पेंच
उत्तर प्रदेश में 'इंडिया गठबंधन' (भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन- आइएनडीआइए) के प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच सीटों को लेकर समझौता नहीं हो पा रहा है. समाजवादी पार्टी द्वारा 17 सीट देने के प्रस्ताव का कांग्रेस पार्टी ने कोई जवाब नहीं दिया। इसलिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में भी शामिल नहीं हुए। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां के अनुसार सपा और कांग्रेस का गठबंधन नाजुक स्थति में पहुंच गया हैं।
राहुल गांधी ने दिया अखिलेश यादव को निमंत्रण
Subkuz.com के पत्रकार को सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए 6 फरवरी को अमेठी और रायबरेली में राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' में शामिल होने के लिए कहा था। अखिलेश यादव जाने की बात कहने के बाद भी यात्रा में शामिल नहीं हुए।
बताया कि इस यात्रा से दोनों के पास एकजुट होने का मौका था लेकिन ये भी उनके हाथ निकल गया है. सूत्रों ने बताया कि समाजवादी पार्टी (सपा) ने कांग्रेस को अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, अमरोहा, बागपत, गौतमबुद्धनगर, सीतापुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, हाथरस, झांसी, सहारनपुर, बाराबंकी, कानपुर, कैसरगंज और महाराजगंज सीट देने का प्रस्ताव पेश किया था।
सपा और कांग्रेस में सीट को लेकर फंसा पेंच
पार्टी के सूत्रों ने बताया कि सीट के प्रस्ताव को लेकर मंगलवार तक कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया था. उसके बाद सपा ने वाराणसी में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया तथा पार्टी ने अमरोहा में पूर्व मंत्री महबूब अली और रामावतार सैनी को लोकसभा चुनाव प्रभारी बना दिया। इसके साथ ही सपा यह भी कहां कि इन दोनों प्रभारी में से किसी एक को अमरोहा से प्रत्याशी भी बना सकती हैं।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस पार्टी मुरादाबाद, बलिया, बिजनौर और फर्रुखाबाद की सीट लेने के लिए अड़ी हुई है, लेकिन सपा इन सीटों को देने के लिए तैयार नहीं है. समाजवादी पार्टी (सपा) के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि लोकसभा चुनाव की सीटों को लेकर पार्टी प्रमुख से बात करने के बाद कांग्रेस को 17 सीटों का प्रस्ताव पेश किया है. इस प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस पार्टी को निर्णय लेना है. दोनों दलों के रुख को देखकर UP में गठबंधन की गांठ ढीली पड़ती जा रही हैं।