New Delhi: भारत में खिलौनों का कारोबार: युवाओं के लिए रोजगार की नई किरण

New Delhi: भारत में खिलौनों  का कारोबार: युवाओं के लिए रोजगार की नई किरण
Last Updated: 20 अगस्त 2024

भारत के खिलौना उद्योग में पिछले कुछ वर्षों में एक अद्भुत परिवर्तन देखने को मिला है। पहले, हम अधिकांश खिलौने चीन से आयात करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। अब हम खुद खिलौने तैयार कर रहे हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात कर रहे हैं। यह केवल हमारे देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी प्रदान कर रहा है।

New Delhi: भारत में खिलौना उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। लगभग दस साल पहले, भारतीय बाजार में चीन के खिलौनों का वर्चस्व था। वर्ष 2014-15 में भारत ने 275 मिलियन डॉलर के खिलौने आयात किए थे, जबकि निर्यात उसका 20 प्रतिशत भी नहीं था। हालांकि, पिछले दशक में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। अब भारत लगभग 152 मिलियन डॉलर (करीब 1261 करोड़ रुपये) के खिलौने निर्यात कर रहा है, जो आयात की तुलना में लगभग ढाई गुना अधिक है। यह एक बहुत बड़ा परिवर्तन है।

दुनिया में खिलौना उद्योग में भारत का हिस्सा

भारत विभिन्न प्रकार के खिलौनों का निर्यात करता है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों की बिक्री काफी अच्छी है। इसके अलावा, प्लास्टिक की गुड़िया, धातु के खिलौने और अन्य प्रकार के खिलौने भी भारत से बड़ी मात्रा में निर्यात किए जाते हैं। हालांकि, भारत के खिलौना उद्योग की वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी अभी बहुत कम है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया के कुल खिलौना निर्यात में महज 0.3% का योगदान करता है, जिसका मतलब है कि हर 100 खिलौनों में से केवल 3 खिलौने भारत से भेजे जाते हैं। इस संदर्भ में भारत का स्थान 27वां है। वहीं, खिलौनों के आयात में भी हमारी स्थिति संतोषजनक नहीं है। भारत दूसरे देशों से सालाना केवल 60 मिलियन डॉलर का खिलौना आयात करता है, जो कि कुल खिलौनों का 0.1% है। इस मामले में भारत का स्थान 61वां है। स्पष्ट है कि भारत का खिलौना उद्योग अभी अपने विकास के प्रारंभिक चरण में है, और इसे आगे बढ़ने के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता है।

भारत में खिलौनों का कारोबार

भारत का खिलौना उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें आयात और निर्यात दोनों में महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा रहे हैं। यहाँ वित्तीय वर्ष के आधार पर खिलौना कारोबार का एक सारांश प्रस्तुत किया गया है: | वित्त वर्ष | आयात (मिलियन $) | निर्यात (मिलियन $) -

2015 : 275.69 - 40.49,  2016 : 303.17 - 65.37, 2017:  269.70 - 72.50,  2018: 281.85 -77.35, 2019: 304.08 -109.28,  2020 :279.25  -129.60,  2021: 129.63-  141.21, 2022: 35.88 - 177.04, 2023 : 62.37- 153.89, 2024:  64.92 - 152.34 |

इस डेटा के अनुसार, भारत में खिलौनों का आयात और निर्यात दोनों बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, जो इस क्षेत्र में विकास संभावनाओं को दर्शाता है।

वैश्विक खिलौना बाजार में चीन का प्रभाव        

वैश्विक खिलौना उद्योग में चीन का सबसे प्रमुख स्थान है। 2022 में, चीन ने लगभग 48.3 अरब डॉलर के खिलौनों का निर्यात किया, जो कि विश्व के कुल निर्यात का 80% है। अमेरिका इस बाजार का सबसे बड़ा खरीदार है, जबकि यूरोप, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मेक्सिको और दक्षिण कोरिया भी खिलौनों के प्रमुख ग्राहक माने जाते हैं। साल 2019 में, भारत द्वारा खरीदे गए खिलौनों में से 87% चीन से आयातित थे। हालांकि, यह आंकड़ा अब घटकर 64% रह गया है। इसके साथ ही, भारत अन्य देशों से भी खिलौनों का आयात कर रहा है, जैसे कि आसियान देशों से 16.7%, श्रीलंका से 12.4%, और चेक गणराज्य से 4.7% खिलौने रहे हैं।

खिलौना कारोबार में वृद्धि का रहस्य

भारत में पहले खिलौनों की बड़ी संख्या चीन से आयात की जाती थी, लेकिन भारत सरकार ने इस पर रोक लगाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने विदेशी खिलौनों पर टैक्स को काफी बढ़ा दिया है। पहले यह टैक्स 20% था, जिसे अब 70% कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप विदेशी खिलौने महंगे हो गए हैं, जिससे भारतीय खिलौनों को बढ़ावा मिला है।

इसी के साथ, भारत में खिलौनों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय 'क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर' (QCO) है। इस आदेश के तहत, खिलौनों में कोई नुकीली वस्तुएं नहीं होनी चाहिए, छोटे-छोटे टुकड़े नहीं होने चाहिए और उन्हें जल्दी आग नहीं पकड़नी चाहिए।

खिलौना उद्योग में क्या होता है ?

काम खिलौना उद्योग के कर्मचारी बच्चों और वयस्कों के लिए मनोरंजन के सामान का निर्माण करते हैं। ये कर्मचारी खिलौनों और खेलों के डिज़ाइन, निर्माण और विपणन की पूरी प्रक्रिया में संलग्न होते हैं। इनके कार्य करने का तरीका अन्य उद्योगों के कर्मचारियों के समान होता है। कुछ कर्मचारी विशाल मशीनों पर काम करते हैं,जबकि अधिकांश लोग हाथ से खिलौनों को जोड़ने का कार्य करते हैं। अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, इस उद्योग में आधे से अधिक कर्मचारी उत्पादन विभाग में कार्यरत हैं।

अधिकांश खिलौना कंपनियां बड़े महानगरों में या उनके आस-पास स्थित होती हैं। इस क्षेत्र में आय इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति किस प्रकार का कार्य करता है, उसकी कंपनी कितनी बड़ी है और कंपनी का स्थान क्या है। कुछ कर्मचारियों को पीसवर्क के आधार पर भुगतान किया जाता है, जबकि कुछ को निश्चित वेतन पर रखा जाता है। मशीन ऑपरेटर आमतौर पर हाथ से काम करने वाले असेंबलरों की तुलना में अधिक कमाते हैं।

खिलौनों का कारोबार (वित्तीय वर्ष 2024) |

खिलौने का प्रकार -      निर्यात (मिलियन $) 
आयात (मिलियन $)
इलेक्ट्रॉनिक टॉयज   25.70     0.06

प्लास्टिक डॉलमेटल और अन्य  

78.74  18.74
इलेक्ट्रॉनिक टॉयज के पार्ट्स 0.15        20.99 
बाकी सभी टॉयज के पार्ट्स  47.75 -  25.13  
कुल टॉयज     152.34 - 64.92 

इस डेटा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024 में खिलौनों के विभिन्न प्रकारों की निर्यात और आयात गतिविधियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

भारत के खिलौना उद्योग में रोजगार की संभावनाएं

भारत का खिलौना उद्योग इस समय एक सुनहरे दौर से गुजर रहा है और इसका भविष्य भी बहुत उज्ज्वल प्रतीत हो रहा है। सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' जैसी पहलों और बाजार में बढ़ती मांग के कारण यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। इस बढ़ती गतिविधि के चलते अनेक नए रोजगार के अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। कई खिलौना कंपनियां अब अपने उत्पादन संयंत्र भारत में स्थापित कर रही हैं।

इस क्षेत्र में रचनात्मकता की आवश्यकता निरंतर बनी रहती है, खासकर डिजाइनिंग में। नए और आकर्षक खिलौनों के डिज़ाइन बनाने, विकसित करने और ग्राफिक डिज़ाइनिंग जैसी गतिविधियों के लिए कई नए अवसर उभरेंगे। जब खिलौने तैयार हो जाएंगे, तब उन्हें सही तरीके से वितरण करना भी महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए लॉजिस्टिक्स, खरीद और स्टॉक प्रबंधन के क्षेत्र में कुशल व्यक्तियों की मांग बढ़ेगी।

इसके साथ ही, प्रभावी मार्केटिंग और बिक्री रणनीतियों की आवश्यकता भी महसूस होगी। डिजिटल मार्केटिंग, ब्रांड प्रबंधन और बिक्री के क्षेत्रों में अनुभवी लोगों की खोज में वृद्धि संभव है। हालांकि खिलौना उद्योग का भविष्य सकारात्मक नजर रहा है, इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे कुशल जनशक्ति की कमी, स्थापित बड़ी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा और निरंतर नवीनतम उत्पादों का विकास। लेकिन यदि उचित प्रशिक्षण और नई तकनीकों का समुचित उपयोग किया जाए, तो भारत का खिलौना उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकता है और कई रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकता है।

 

 

Leave a comment