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Pahalgam Terror Attack: अमरनाथ यात्रा से पहले बड़ा आतंकी हमला, CCS बैठक आज

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को एक दिल दहला देने वाली घटना में आतंकियों ने बायसरन घाटी में पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें कम से कम 26 लोगों की जान चली गई। 

Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के सुरम्य पहलगाम की वादियों में मंगलवार को जो खूनखराबा हुआ, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह हमला न सिर्फ अमरनाथ यात्रा से पहले की गई एक साजिश प्रतीत होता है, बल्कि इंसानियत और भाईचारे के मूल्यों पर भी एक क्रूर प्रहार है। पुलवामा हमले के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला है, जिसमें आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली, जिनमें महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं।

हमले की विभीषिका: जब पहचान बनी मौत की वजह

मंगलवार की दोपहर करीब 3 बजे, पहलगाम की बायसरन घाटी में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब सेना की वर्दी में आए आतंकियों ने अचानक से पर्यटकों पर गोलियों की बौछार शुरू कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर पहले शांतिपूर्वक टट्टू सवार पर्यटकों और खाने-पीने की दुकानों के पास घूमते नजर आए। लेकिन अचानक उन्होंने बंदूकें निकालीं और लोगों से उनका नाम, धर्म और पहचान पत्र पूछना शुरू किया।

जिन्होंने कलमा नहीं पढ़ा पाया, उन्हें मौके पर ही गोली मार दी गई। पुणे की एक युवती आसावरी जगदाले ने बताया कि उसके पिता संतोष जगदाले को तंबू से खींचकर बाहर निकाला गया और कलमा पढ़ने को कहा गया। जब वह ऐसा नहीं कर सके, तो आतंकियों ने उनके सिर और पीठ में तीन गोलियां उतार दीं।

नए-नवेली जोड़े भी नहीं बचे बर्बरता से

हमले की क्रूरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हमले में मारे गए लोगों में कई नवविवाहित जोड़े शामिल हैं। नौसेना के अफसर विनय नरवाल, जिनकी शादी छह दिन पहले ही हुई थी, हनीमून मनाने पहलगाम आए थे। वहीं कानपुर के शुभम द्विवेदी की ढाई महीने पहले शादी हुई थी। ये खुशहाल पल आतंकियों की क्रूरता की भेंट चढ़ गए।

आईबी अफसर भी निशाने पर

इस हमले में हैदराबाद में तैनात खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अफसर मनीष रंजन भी मारे गए। वह बिहार के निवासी थे और अपने परिवार के साथ पहलगाम घूमने आए थे। उनकी पत्नी और बच्चे अभी सदमे में हैं। सबसे खौफनाक बात यह है कि आतंकियों ने कपड़े उतरवाकर लोगों की धार्मिक पहचान की जांच की और गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया। 

एक महिला ने बताया कि जब उसके पति ने अपना नाम बताया और वह मुस्लिम नहीं निकले, तो उन्हें सिर में गोली मार दी गई। इस घटना ने वर्ष 1990 के दशक की कश्मीरी पंडितों की त्रासदी की यादें फिर से ताजा कर दी हैं, जब धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को मारा गया था।

सीसीएस की बैठक, पीएम ने जताई सख्त नाराज़गी

हमले की खबर मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा बीच में छोड़ने का निर्णय लिया और देश लौटने का फैसला किया। उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बैठक भी दो घंटे विलंब से की। दिल्ली लौटते ही पीएम ने गृह मंत्री अमित शाह से बात की और उन्हें तुरंत कश्मीर रवाना होने और ज़रूरी कदम उठाने के निर्देश दिए। 

दिल्ली में आज राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कैबिनेट समिति (CCS) की अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें कश्मीर की स्थिति और संभावित जवाबी कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी।

टीआरएफ ने ली हमले की जिम्मेदारी

इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े गुट "द रेजिस्टेंस फ्रंट" (TRF) ने ली है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला अमरनाथ यात्रा को बाधित करने, देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने और भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की सोची-समझी साजिश है।

हमले के विरोध में आज जम्मू पूरी तरह बंद है। विश्व हिंदू परिषद, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन समेत अनेक सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने बंद का समर्थन किया है। जम्मू की सड़कों पर आतंकवाद के खिलाफ जोरदार नारेबाजी और रैलियों का आयोजन किया जा रहा है। कई निजी स्कूलों और कॉलेजों ने एहतियातन छुट्टी घोषित कर दी है।

मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अमानवीय हमले की तीव्र निंदा करते हुए कहा, आतंकी हमले की मैं सख्त निंदा करता हूं। जान गंवाने वालों के प्रति मेरी श्रद्धांजलि। प्रभावितों को सभी जरूरी मदद दी जाएगी। जो भी इस घटना के पीछे हैं, उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। उनका शैतानी एजेंडा कभी पूरा नहीं होगा। आतंकवाद से लड़ाई का हमारा संकल्प इससे डिगेगा नहीं, बल्कि और मजबूत होगा।

पुलवामा हमले के बाद देश ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक के जरिए कड़ा संदेश दिया था। अब फिर से देश के सामने विकल्प हैं, क्या सख्त जवाब दिया जाएगा? या एक बार फिर निंदा और शोक तक ही बात सीमित रहेगी?

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