जासूसी के आरोप से बरी होने के 22 साल बाद प्रदीप कुमार न्यायाधीश बनेंगे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बरी होने के बाद उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए। प्रदीप ने समाज के डर का जिक्र किया।
Kanpur: पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप से बरी होने के 22 साल बाद कानपुर के प्रदीप कुमार अब न्यायाधीश (हायर ज्यूडिशियल सर्विस कैडर) के पद पर नियुक्त होंगे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अदालत से बरी होने के बाद प्रदीप के साथ सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए।
2002 में हुई थी गिरफ्तारी
प्रदीप कुमार को जून 2002 में खुफिया एजेंसियों की जानकारी पर गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने कानपुर छावनी की संवेदनशील जानकारियां फैजान इलाही नामक व्यक्ति की मदद से पाकिस्तान को भेजी थीं। फैजान इलाही कानपुर में एक फोटो स्टेट की दुकान चलाता था।
2014 में अदालत ने किया बरी
कानपुर की स्थानीय अदालत ने 2014 में सभी आरोपों से प्रदीप को बरी कर दिया था। हालांकि, इसके बावजूद उनका नाम जासूसी के आरोपों से जुड़ा रहा, जिससे उनकी बेगुनाही और करियर प्रभावित हुआ।
न्यायिक सेवा परीक्षा में सफलता
2016 में प्रदीप ने यूपी उच्चतर न्यायिक सेवा (सीधी भर्ती) परीक्षा पास की और चयनित भी हुए, लेकिन उनके नियुक्ति पत्र को रोक दिया गया। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया।
कोर्ट ने कहा: "कलंक मिट चुका है"
इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने हाल ही में मामले का निस्तारण करते हुए कहा कि प्रदीप को सम्मानपूर्वक बरी किया गया था। कोर्ट ने माना कि आरोप साबित करने के लिए राज्य के पास कोई साक्ष्य नहीं थे। कोर्ट ने कहा, "बरी होने के बाद उनका कलंक मिट जाना चाहिए था और उन्हें अपने जीवन और करियर में आगे बढ़ने की अनुमति मिलनी चाहिए थी।"
परिवार पर 22 साल का गहरा प्रभाव
दैनिक जागरण की टीम जब प्रदीप के घर पहुंची तो उनके भाई संजय ने बातचीत करने से इनकार कर दिया। संजय ने कहा कि परिवार ने 22 सालों तक इस संघर्ष को झेला है और वे अब भी समाज का सामना करने से घबराते हैं। काफी प्रयास के बाद प्रदीप से फोन पर संपर्क हुआ। उन्होंने कहा, "जिंदगी इम्तिहान लेती है। अगर लड़ेंगे, तो जीतेंगे। हमारी अब तक की लड़ाई ऐसी ही रही है।"