पंजाब में वायु प्रदूषण का संकट, पराली जलाने और पटाखों की वजह से AQI 500 के पार

पंजाब में वायु प्रदूषण का संकट, पराली जलाने और पटाखों की वजह से AQI 500 के पार
Last Updated: 02 नवंबर 2024

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि ने कई शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर पर पहुंचा दिया है। दीपावली के दौरान पटाखों के प्रयोग और पराली जलाने के चलते अमृतसर, जालंधर और लुधियाना का AQI 500 तक पहुंच गया है। राज्य में अब तक 3,537 पराली जलाने के मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं, जो चिंता का विषय बनते जा रहे हैं।

पटियाला: राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्थिति में पहुंच गया है।

दीपावली के अवसर पर वीरवार और शुक्रवार को पटाखे चलाने के साथ-साथ पराली जलाने के कारण अमृतसर, जालंधर और लुधियाना का AQI 500 तक पहुंच गया। इस स्तर पर हवा में सांस लेना स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

राज्य में शुक्रवार को भी कई स्थानों पर दीपावली मनाने के कारण AQI और बढ़ने की संभावना है, जबकि वीरवार और शुक्रवार को पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।

राज्य में पराली जलाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिसमें वीरवार को 484 और शुक्रवार को 587 मामले दर्ज किए गए। यह इस सीजन में एक ही दिन में सबसे अधिक पराली जलाने के मामले हैं। अब तक, राज्य में कुल 3,537 पराली जलाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, और सिर्फ दो दिनों में इनमें 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

पराली जलाने के 2466 मामले आए सामने

आपको बताना चाहेंगे कि राज्य में धान की कटाई 15 सितंबर से प्रारंभ हुई थी और 30 अक्टूबर तक, 46 दिनों के भीतर राज्य में कुल 2,466 पराली जलाने के मामले रिपोर्ट किए गए हैं। केवल दो दिन में ही 1,071 नए मामले सामने आए हैं।

हालांकि, पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में कमी देखी गई है। पंजाब में पराली जलाने के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने में विफल रहने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी दी।

इसके बाद, पंजाब सरकार और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है, फिर भी किसान लगातार पराली को आग लगाते जा रहे हैं।

AQI की स्थिति बेहद खराब

कई जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की स्थिति अत्यंत खराब हो गई है। राज्य में अब तक पराली जलाने के मामलों में 26,87,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 25,27,500 रुपये का जुर्माना वसूला गया है। इसके अलावा, 1,588 मामलों में प्राथमिकी (एफआईआर) भी दर्ज की गई हैं।

हालांकि, पराली जलाने के मामले पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम देखे गए हैं। एक नवंबर 2022 में पराली जलाने के 17,846 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2023 में यह संख्या 9,594 और 2024 में 3,537 रह गई है।

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