अमेरिका द्वारा जर्मनी में मिसाइल तैनात करने की योजना से नाराज पुतिन ने धमकी दी है कि अगर ऐसा हुआ तो रूस भी समान दूरी पर मिसाइल तैनात करेगा, जिससे शीत युद्ध के दौरान पैदा हुए मिसाइल संकट जैसे हालात बनने की संभावना हैं। इसके अलावा पुतिन ने अमेरिका पर तनावपूर्ण स्थितियां पैदा करने का भी आरोप लगाया हैं।
मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रविवार (28 जुलाई) को अमेरिका को चेतावनी दी कि अगर वह 2026 से जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करता है तो रूस भी ऐसी ही मिसाइलें मारक दूरी पर तैनात करेगा। जिससे शीत युद्ध के दौरान पैदा हुए मिसाइल संकट जैसे हालात बनने की संभावना हैं। बता दें संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी ने इस महीने की शुरुआत में कहां था कि नाटो और यूरोपीय रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए अमेरिका 2026 में जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करना शुरू कर देगा।
वाशिंगटन और बर्लिन ने कहां कि यूएसए ऐसी क्षमताओं वाली मिसाइलों को लंबे समय के लिए तैनात करने की तैयारी में है, जिसमें SM-6, टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें और विकासशील हाइपरसोनिक हथियार शामिल होंगे, जिनकी यूरोप में मौजूदा क्षमताओं की तुलना में दूरी अधिक हैं।
पुतिन ने अमेरिका को दी चेतावनी
रूस की पूर्व शाही राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग में रूसी नौसेना दिवस के अवसर पर रूस, चीन, अल्जीरिया और भारत के नाविकों को दिए भाषण में पुतिन ने संयुक्त राज्य अमेरिका को चेतावनी दी कि अगर वह 2026 से जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करता है तो रूस भी ऐसी ही मिसाइलें मारक दूरी पर तैनात करेगा। अमेरिका के इस कदम से शीत युद्ध जैसा मिसाइल संकट पैदा होने का खतरा है। पुतिन ने कहां कि 'हमारे क्षेत्र पर लक्षित ऐसी मिसाइलों के उड़ान का समय लगभग 10 मिनट होगा और भविष्य में परमाणु हथियारों से लैस हो सकती हैं। हम यूएसए, यूरोप और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में सैटेलाइटों की कार्रवाइयों को ध्यान में रखते हुए मिसाइलें तैनात करने के लिए वैसे ही उपाय करेंगे।'
अमेरिका के कारण रूस पर बढ़ रहा तनाव
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहां कि अमेरिका रूस की सेना पर तनाव पैदा कर रहा है और उसने टाइफॉन मिसाइल प्रणालियों को डेनमार्क और फिलीपींस में तैनात कर दिया है। पुतिन ने अमेरिकी योजनाओं की तुलना 1979 में पश्चिमी यूरोप में पर्सिंग की हैI तथा लांचरों को तैनात करने के नाटो से आदेश लिया। उस वक्त महासचिव यूरी एंड्रोपोव सहित सोवियत नेतृत्व को डर था कि पर्सिंग की तैनाती सोवियत संघ के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व को खत्म करने की अमेरिका के नेतृत्व वाली एक विस्तृत योजना का हिस्सा बन गई थी।