हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) के प्रमोटर राकेश वधावन को पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (PMC) बैंक घोटाले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद विशेष अदालत से जमानत मिल गई। अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि जांच एजेंसी ने आरोपपत्र दाखिल होने तक वधावन को गिरफ्तार नहीं किया था, जिससे उनकी न्यायिक हिरासत की कोई आवश्यकता नहीं बनती।
न्यायालय का फैसला और सीबीआई की दलील
सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट को अदालत ने 7 फरवरी को स्वीकार किया था। इसके बाद राकेश वधावन, पीएमसी बैंक के पूर्व अध्यक्ष वरयाम सिंह, और अन्य आरोपियों ने औपचारिक जमानत के लिए आवेदन किया। अदालत ने सभी को राहत देते हुए कहा, "जांच के दौरान, सीबीआई ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया। अभियोजन पक्ष ने यह साबित करने के लिए कोई ठोस आधार प्रस्तुत नहीं किया कि आरोपियों की हिरासत मुकदमे के लिए आवश्यक है।"
हालांकि, सीबीआई ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया, लेकिन अदालत ने माना कि आरोपियों की रिहाई से मुकदमे की प्रगति बाधित नहीं होगी।
घोटाले की पृष्ठभूमि
यह मामला सितंबर 2020 में दर्ज किया गया था और यह मुंबई के अंधेरी (पूर्व) स्थित कैलेडोनिया प्रोजेक्ट से जुड़ा है। जांच में खुलासा हुआ कि इमारत के निर्माण पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि जमीन खरीदने के लिए 900 करोड़ रुपये का गबन हुआ। आरोप है कि 2011 से 2016 के बीच, राकेश वधावन और अन्य सह-आरोपियों ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर ऋणों का दुरुपयोग किया, जिससे जनता को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। सीबीआई का दावा है कि यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर ने भी इन ऋणों को मंजूरी देने में अनियमितता की।
अब जबकि चार्जशीट पर अदालत ने संज्ञान ले लिया है, अगला कदम आरोपियों पर औपचारिक आरोप तय करना होगा। हालांकि, आरोपी बचाव के रूप में यह दलील दे सकते हैं कि इसी मामले की जांच पहले मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने की थी, जिसने इसे बंद करने की सिफारिश की थी।