महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की हार के बाद शिवसेना द्वारा पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ पर आरोप लगाए गए थे। इस पर चंद्रचूड़ ने अब अपना पक्ष रखते हुए सवाल उठाया है कि क्या किसी एक पार्टी या व्यक्ति को यह अधिकार होना चाहिए कि वह यह तय करे कि सर्वोच्च न्यायालय को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए।
नई दिल्ली: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की हार को लेकर शिवसेना के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता पर लंबित याचिकाओं का निस्तारण न करके राज्य के राजनेताओं से कानून का डर समाप्त कर दिया था, जिससे राजनीतिक दलबदल को बढ़ावा मिला और अंततः एमवीए को चुनावी हार का सामना करना पड़ा।
संजय राउत ने CJI पर आरोप लगाया
शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाए और कहा कि इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा। राउत ने आरोप लगाया कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोग्यता पर फैसले को लंबित रखकर राज्य के राजनेताओं से कानून का डर खत्म कर दिया, जिससे राजनीतिक दलबदल को बढ़ावा मिला। इस चुनाव में एमवीए गठबंधन के तहत शिवसेना (यूबीटी) ने 94 सीटों में से केवल 20 सीटें जीतीं। इसके अलावा, कांग्रेस को 101 में से सिर्फ 16 और एनसीपी (शरद पवार) को 86 में से 10 सीटें ही मिल पाईं, जिससे गठबंधन की हार हुई।
संजय राउत के बयान पर भड़के CJI
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। राउत के बयान का जवाब देते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि इस पूरे साल सुप्रीम कोर्ट में मौलिक संवैधानिक मामलों, नौ, सात और पांच न्यायाधीशों की पीठ के निर्णयों पर चर्चा हो रही थी। उन्होंने कहा, अब क्या किसी एक पक्ष या व्यक्ति को यह तय करना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए? यह निर्णय मुख्य न्यायाधीश का है।
उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण मामलों पर विचार हो रहा था और किसी को भी यह तय करने का अधिकार नहीं कि कोर्ट को किस मामले की सुनवाई करनी चाहिए।
उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार के गिरने और एकनाथ शिंदे के गुट के पक्ष में स्पीकर द्वारा निर्णय की ओर भी इशारा किया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट में 20 सालों से लंबित मामलों की गंभीरता को देखते हुए, ऐसे आरोपों का कोई आधार नहीं है।
सीमित जनशक्ति के कारण संतुलन बनाना जरूरी: CJI
उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास सीमित जनशक्ति है, और अदालत को मामलों के बीच संतुलन बनाना होता है। उन्होंने कहा, हमारे पास न्यायाधीशों की सीमित संख्या है, और हमें कामकाजी संतुलन बनाए रखना होता है।
चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 20 साल पुराने मामलों की लंबित स्थिति को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है, और यदि इन पुराने मामलों पर ध्यान दिया जाता है, तो कुछ नया मामले अनदेखा रह जाते हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि न्यायपालिका की आलोचना करना ठीक है, लेकिन यह समझना भी जरूरी है कि अदालत को विभिन्न महत्वपूर्ण मामलों को प्राथमिकता देनी होती है।
शिवसेना के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति का एक वर्ग यह सोचता है कि यदि अदालत उनके एजेंडे का पालन करती है, तो ही वह स्वतंत्र है। चंद्रचूड़ ने उदाहरण देते हुए कहा, हमने चुनावी बॉन्ड पर फैसला किया, क्या वह कोई कम महत्वपूर्ण मामला था?
CJI ने कहा- हमने कई अहम मुद्दों पर सुनाया फैसला
चंद्रचूड़ ने शिवसेना (यूबीटी) के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कई अहम और संवैधानिक मामलों पर फैसले सुनाए हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय मामले, मदरसों को बंद करने के आदेश से संबंधित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले, और विकलांगता अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं।
चंद्रचूड़ ने कहा, क्या ये मामले कम महत्वपूर्ण थे? क्या हम उन मुद्दों पर ध्यान नहीं दे पाए जो लाखों लोगों की जिंदगी पर असर डालते हैं?" उन्होंने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर भी फैसला सुनाया, जिसके तहत बांग्लादेश से 1971 से पहले पलायन करने वालों को नागरिकता प्रदान की गई। पूर्व CJI ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने समाज के उच्चतम स्तर के बजाय, समाज के निचले स्तर से जुड़े लाखों लोगों के लिए भी अहम मामलों पर फैसले किए।