सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, OTT प्लेटफॉर्म्स पर भी अब सेंसर बोर्ड (CBFC) का होगा नियंत्रण

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, OTT प्लेटफॉर्म्स पर भी अब सेंसर बोर्ड (CBFC) का होगा नियंत्रण
Last Updated: 2 घंटा पहले

जिस तरह CBFC थिएटर में रिलीज होने वाली फिल्मों की निगरानी करती है, उसी प्रकार ओटीटी प्लेटफार्मों पर आने वाले कंटेंट की निगरानी के लिए एक बेंच स्थापित करने की मांग की गई थी। इस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है। अब जानिए, ओटीटी पर रिलीज होने वाली फिल्मों और सीरीज के कंटेंट में कटौती होगी या नहीं, कोर्ट ने क्या कहा है।

New Delhi: कोई भी फिल्म तब ही सिनेमाघरों में दिखाई देती है जब उसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानी CBFC से अनुमति मिलती है। फिल्मों में कांट-छांट के बाद ही रिलीज के लिए आवश्यक सर्टिफिकेट प्रदान किया जाता है। हालांकि, ओवर टॉप यानी ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म के लिए ऐसे कोई नियम लागू नहीं होते। चाहे वह वेब सीरीज हो या फिल्म, यदि वह थिएटर के बजाय ओटीटी पर रिलीज होती है तो उसे CBFC सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होती और इसमें कोई भी कांट-छांट नहीं की जाती है। ओटीटी पर गाली-गलौज और इंटीमेसी को खुलकर प्रदर्शित किया जाता है। इसी संदर्भ में अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

क्या OTT पर भी होगा फिल्टर?

वास्तव में, सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र सरकार से यह मांग की गई है कि वह भारत में ओवर--टॉप (ओटीटी) और अन्य प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और फिल्टर करने के लिए एक स्वायत्त निकाय स्थापित करे, साथ ही वीडियो को विनियमित करने के लिए भी दिशा-निर्देश जारी करे। इस मामले में सुनवाई 18 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई है।

सीजेआई ने सुनाया महत्वपूर्ण फैसला

पीटीआई के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने निर्णय दिया कि इस प्रकार के मुद्दे कार्यपालिका के नीति निर्माण के क्षेत्र में आते हैं और इसके लिए विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श की आवश्यकता होती है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा-

यह जनहित याचिकाओं से संबंधित एक समस्या है। वर्तमान में सभी याचिकाएँ नीति (मामलों) पर केंद्रित हो गई हैं, जिसके चलते हम असली जनहित याचिकाओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।

आईसी 814 का उल्लेख

वकील शशांक शेखर झा ने कहा कि उन्हें इसे वापस लेने और संबंधित केंद्रीय मंत्रालय में शिकायतें दर्ज करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। जनहित याचिका में

नेटफ्लिक्स की सीरीज 'आईसी 814: कंधार हाईजैक' का उल्लेख किया गया है, जिसका उद्देश्य इस प्रकार के नियामक तंत्र की आवश्यकता को उजागर करना है। इसमें यह भी कहा गया है कि एक वैधानिक फिल्म प्रमाणन निकाय - केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) मौजूद है, जिसे सिनेमैटोग्राफ अधिनियम के तहत फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी दी गई है। सिनेमैटोग्राफ कानून सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शित होने वाली व्यावसायिक फिल्मों के लिए सख्त प्रमाणन प्रक्रिया को निर्धारित करता है। हालाँकि, ओटीटी प्लेटफार्मों पर ऐसी कोई ठोस रूपरेखा नहीं है। विवादास्पद सामग्री को बिना किसी जांच या संतुलन के बड़े पैमाने पर दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जाता है।           

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