टीकमगढ़ लोकसभा सीट: यहां की राजनीति के बारे में खास बातें, प्रजातांत्रिक बनाने के लिए ओरछा के राजा ने किया हस्ताक्षर, उमा भारती का खास लगाव

टीकमगढ़ लोकसभा सीट: यहां की राजनीति के बारे में खास बातें, प्रजातांत्रिक बनाने के लिए ओरछा के राजा ने किया हस्ताक्षर, उमा भारती का खास लगाव
Last Updated: 27 फरवरी 2024

टीकमगढ़ लोकसभा सीट: यहां की राजनीति के बारे में खास बातें, प्रजातांत्रिक बनाने के लिए ओरछा के राजा ने किया हस्ताक्षर, उमा भारती का खास लगाव 

मध्य प्रदेश का टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से देश के नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यहां बुंदेलखंड की अयोध्या कही जाने वाली ओरछा नगरी के मंदिर में श्री राम की मूर्ति विराजमान है. ओरछा पुरातात्विक नगरी है और यहां महल, किले और छतरियां बेहद खूबसूरत और दर्शनीय हैं।

बताया गया है कि देश में राजनितिक पार्टियां लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में लगी हुई है. टीकमगढ़ की राजनीतिक समीकरण बनते और बिगड़ते रहते है. टीकमगढ़ संसदीय क्षेत्र का वर्तमान स्वरूप वर्ष 2009 में आया था. यहां की लोकसभा सीट और सांसद के बारे में पूरी जानकारी देते हैं।

टीकमगढ़ में वर्ष 2004 से बाहरी उम्मीदवार का कब्जा

Subkuz.com की मीडिया इ बताया कि टीकमगढ़ सीट आरक्षित वर्ग के लिए रही है. टीकमगढ़ में केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक तीसरी बार सांसद बने है, जो एससी वर्ग के है. कांग्रेस यहां 20 वर्ष से वनवास काट रही है. टीकमगढ़ में वर्ष 2004 के चुनाव के बाद बाहरी प्रत्याशियों का कब्जा रहा है. वर्ष 2004 में  यह खजुराहो संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था।

बताया कि दमोह के रहने वाले रामकृष्ण कुसमारिया ने 2004 में भाजपा को जीत दिलाई। पिछले 20 सालों से भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और कांग्रेस बाहरी प्रत्याशियों को मैदान में उतार रही है, लेकिन जीत भाजपा को ही मिल रही हैं।

उमा भारती का है खास लगाव

जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता उमा भारती टीकमगढ़ की रहने वाली है. उनका जन्म टीकमगढ़ के  डूंडा गांव में हुआ था. उमा भारती वर्ष 1989, 1991, 1996 और 1998 में चार बार टीकमगढ़ की सांसद रह चुकी है. उस समय टीकमगढ़ अलग सीट नहीं थी. यह खजुराहो संसदीय क्षेत्र का हिस्सा था।

ओरछा के राजा ने किए पहले हस्ताक्षर

Subkuz.com के पत्रकार को प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 1957 से पूर्व बुंदेलखंड में टीकमगढ़ के ओरछा राज्य का राजशासन में प्रमुख स्थान था. ओरछा के राजा को 1.20 लाख रुपये की राजनिधि अंग्रेजी शासकों से प्राप्त होती थी. बुंदेलखंड के राजाओं को सलाह देने और उन्हें नियंत्रित रखने के लिए नौगांव में अंग्रेजों का राजनीतिक कार्यकर्त्ता (पॉलिटिकल एजेंट) भी रहता था।

 बताया कि जब देश में स्वराज का झंडा लहराया जा रहा था तो स्थिति को भांपकर ओरछा राज्य के तत्कालीन राजा वीर सिंह जूदेव ने राज्य का समर्पण कर बुंदेलखंड में लोकप्रिय सरकार के गठन की घोषणा कर दी. तथा प्रजातांत्रिक व्यवस्था लागू कर दी गई.  राजा वीर सिंह जूदेव ने सबसे पहले राज्य समर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।

टीकमगढ़ में दो-तिहाई क्षेत्र में ग्रामीण आबादी

जानकारी के अनुसार टीकमगढ़ जिला जामनी, बेतवा और धसान नदी के बीच बुंदेलखंड पठार पर स्थित है. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार टीकमगढ़ की  77.2 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्र में और 22.8 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में निवास करती है. यहां पर 23.61 प्रतिशत जनसंख्या एससी वर्ग और 4.5 प्रतिशत जनसंख्या एसटी वर्ग के लोग रहते है. टीकमगढ़ सीट में बुंदेलखंड का जो हिस्सा शामिल किया गया है. वह आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के कारण चर्चा में रहा हैं।

 

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