बांग्लादेश हाईकोर्ट ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सू मोटो आदेश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि संबंधित अधिकारियों ने मामले में जरूरी कदम उठाए हैं, जिसके बाद यह फैसला आया।
Bangladesh: बांग्लादेश हाईकोर्ट ने इस्कॉन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सू मोटो आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। कोर्ट को बताया गया कि संबंधित अधिकारियों ने इस मामले में आवश्यक कदम उठाए हैं। यह आदेश तब आया जब सोमवार को इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया, जिसके बाद देश में तनाव बढ़ गया। कोर्ट ने सरकार को कानून व्यवस्था बनाए रखने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
हाईकोर्ट ने मांगी सरकार से रिपोर्ट
अदालत में अटॉर्नी जनरल के कार्यालय ने बताया कि वकील सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या और इस्कॉन की गतिविधियों के संबंध में तीन मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया कि वह इस्कॉन की गतिविधियों और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी पेश करें। वहीं, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा के बीच हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और हिंसक अशांति रोकने के लिए आपातकाल लगाने की मांग की गई थी।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी
चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। उन पर एक रैली में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया। इसके बाद उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिससे हिंसा भड़क गई। इस्कॉन के चारु चंद्र दास ने बयान में कहा कि चिन्मय कृष्ण दास की टिप्पणियां निजी हैं और संगठन उनसे सहमत नहीं है। इस बीच, बांग्लादेश में इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने और हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा को लेकर सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ता जा रहा है।
धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता
हाईकोर्ट ने चटगांव और रंगपुर में बढ़ती अशांति को देखते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। दोनों शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जिससे धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। इस्कॉन के 65 मंदिर और 50,000 से अधिक अनुयायी हिंसा के कारण खतरे में हैं। सरकार और प्रशासन इस स्थिति से निपटने के लिए सतर्क हैं।