डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में कई अहम फैसले लिए और वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। कुछ मुलाकातें सफल रहीं, जबकि कुछ असहज रहीं और सुर्खियों में रहीं।
America: अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को दूसरी बार पदभार संभाला। इसके बाद उन्होंने कई अहम फैसले लिए और विभिन्न देशों के नेताओं से मुलाकात की। हालांकि, इन मुलाकातों में कई बार उनका आक्रामक रवैया देखने को मिला, जिससे कुछ नेता असहज हो गए।
जेलेंस्की और ट्रंप के बीच गरमागरम बहस
28 फरवरी को यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की व्हाइट हाउस पहुंचे। रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान की उम्मीद थी, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच तीखी बहस हो गई। ट्रंप ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की विश्व युद्ध की स्थिति पैदा कर रहे हैं। इस दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी मौजूद थे, जो बहस के दौरान ट्रंप के पक्ष में नजर आए।
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉन से भी हुई असहमति
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन भी हाल ही में व्हाइट हाउस पहुंचे। उनकी ट्रंप से मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर असहमति देखने को मिली। ट्रंप ने आरोप लगाया कि यूरोप ने यूक्रेन को सिर्फ उधार दिया है, जबकि अमेरिका ने वास्तविक मदद की है। इस पर मैक्रॉन ने ट्रंप को बीच में रोकते हुए कहा कि फ्रांस की सहायता शांति के लिए थी, न कि किसी कर्ज के रूप में।
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला को ट्रंप की सख्त चेतावनी
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला और ट्रंप की मुलाकात भी चर्चा में रही। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका गाजा पर नियंत्रण करने और फिलिस्तीनियों को अन्य स्थानों पर बसाने की योजना बना रहा है। जब किंग अब्दुल्ला ने इसका विरोध किया, तो ट्रंप ने धमकी दी कि जॉर्डन और मिस्र को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता रोकी जा सकती है। साथ ही, इन देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने की भी बात कही।
जापान के प्रधानमंत्री के साथ व्यापारिक मुद्दों पर चर्चा
जापान के प्रधानमंत्री इशिबा से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने जापान-अमेरिका व्यापार घाटे का मुद्दा उठाया। जापानी प्रधानमंत्री ने अपने देश का दृष्टिकोण रखा, जिससे यह बैठक अन्य मुलाकातों की तुलना में अधिक सौहार्दपूर्ण रही। हालांकि, व्यापार असंतुलन को लेकर ट्रंप की चिंताएं स्पष्ट रूप से सामने आईं।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री से बातचीत में दिखी रणनीतिक दूरियां
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मुलाकात के दौरान ट्रंप से पूछा गया कि अगर ब्रिटिश सेना यूक्रेन में तैनात होती है, तो क्या अमेरिका समर्थन देगा? ट्रंप ने पहले कहा कि ब्रिटेन को खुद अपनी रक्षा करनी चाहिए, लेकिन बाद में कहा कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका मदद करेगा। इसके बाद उन्होंने स्टार्मर से सीधा सवाल किया कि क्या ब्रिटेन अकेले रूस का सामना कर सकता है? इस पर स्टार्मर ने जवाब नहीं दिया, लेकिन हल्की मुस्कान के साथ प्रतिक्रिया दी।
ट्रंप की कूटनीति पर उठे सवाल
डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक और असहज करने वाले रवैये ने कई देशों के नेताओं को असहज किया है। उनके बयानों और फैसलों से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मची हुई है। अब देखने वाली बात होगी कि उनके इस कूटनीतिक रुख से अमेरिका के संबंध वैश्विक स्तर पर कैसे प्रभावित होते हैं।