भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है। यह सवाल उठता है कि कनाडा किस आधार पर भारत को धमकी देने की कोशिश कर रहा है? इसका उत्तर 'फाइव आईज' अलायंस है। इस समूह में कनाडा के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं।
India Canada Trade War: भारत और कनाडा के बीच तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है, खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के हत्या मामले में कनाडा द्वारा लगाए गए बेबुनियाद आरोपों पर भारत सरकार ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। पिछले साल सितंबर में, कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो ने इस मामले में भारत पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच के कूटनीतिक संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया था।
भारत का राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला
अब कनाडा ने इस मामले में सीमा पार करते हुए भारतीय उच्चायुक्त और कुछ राजनयिकों को संदिग्ध बता दिया है। इसके चलते भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने राजनयिकों को वापस बुलाने और कनाडा के 6 डिप्लोमैट्स को भारत छोड़ने का आदेश दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा की ट्रूडो सरकार की इस आक्रामकता का मुख्य कारण अगले वर्ष होने वाले चुनाव हैं। ट्रूडो अपने वोट बैंक को साधने के लिए भारत के साथ विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।
Five Eyes के माध्यम से भारत से टकराव?
दरअसल, इस पूरे तनाव के संदर्भ में जब कनाडा की विदेश मंत्री से भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में प्रश्न पूछा गया, तो उन्होंने उत्तर दिया, "हमारे पास सभी विकल्प खुले हैं।" विदेश मंत्री मेलानी जोली के इस बयान से यह सवाल उठता है कि कनाडा, भारत को इस प्रकार की धमकियाँ किस आधार पर दे रहा है? वास्तव में, ट्रूडो सरकार Five Eyes के सहारे भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है।
फाइव आइज में शामिल देश
फाइव आइज समूह में कनाडा के साथ-साथ अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। ये सभी देश एक-दूसरे के साथ खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान करते हैं, जिसके कारण इसे दुनिया का सबसे मजबूत खुफिया तंत्र माना जाता है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि उन्होंने निज्जर हत्याकांड में भारत की कथित भूमिका के संबंध में फाइव आइज समूह के साथ पर्याप्त सबूत साझा किए हैं।
हालांकि, फाइव आइज समूह में कनाडा को छोड़कर बाकी सभी देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। पिछले लगभग एक साल से कनाडा के साथ चल रहे तनाव के बावजूद, भारत और इन चारों देशों के रिश्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि कनाडा भारत पर प्रतिबंध लगाता है, तो इससे फाइव आइज समूह के अन्य देशों के साथ भी भारत के संबंधों में कड़वाहट आ सकती है।
क्या अमेरिका भारत के खिलाफ जाएगा?
निज्जर हत्याकांड से जुड़ी कनाडा के बेबुनियाद आरोपों पर अमेरिका ने भारत से सहयोग की अपील की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने स्पष्ट किया है कि, "हम चाहते हैं कि भारत सरकार इन आरोपों की जांच में मदद करे।" इससे पहले भी अमेरिका ने इस मामले में कनाडा के पक्ष में बयान दिए थे। हालांकि, अमेरिका ने यह भी माना है कि खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कोशिश के मामले में भारत गंभीरता से आरोपों को ले रहा है।
इन बयानों के बावजूद, अगर हम भारत और अमेरिका के संबंधों पर ध्यान दें, तो दोनों देश मजबूती से एक-दूसरे के सहयोगी हैं। विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के कारण, अमेरिका के लिए अपने हितों की सुरक्षा के लिए भारत का समर्थन बहुत आवश्यक है। ऐसे में, अमेरिका का इस पूरे संदर्भ में भारत के खिलाफ किसी प्रकार के प्रतिबंध का समर्थन करना फिलहाल संभव नहीं लगता।
ब्रिटेन और अन्य देशों के संतुलित बयान
इस विवाद में ब्रिटेन की भूमिका अब सामने आ चुकी है। कनाडा के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने ब्रिटेन के अधिकारियों से फोन पर बातचीत की, जिसमें दोनों नेताओं ने कानून व्यवस्था के महत्व पर जोर दिया। हालांकि, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयान में सीधे तौर पर भारत का उल्लेख नहीं किया गया है। ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ भी भारत के रिश्ते मजबूत बने हुए हैं। इन देशों ने कनाडा के आरोपों के संबंध में हाल में कोई नया बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, पहले दिए गए बयानों में संतुलन देखा गया था, जिससे ऐसा प्रतीत नहीं होता कि Five Eyes के ये सहयोगी देश भारत के खिलाफ कनाडा के समर्थन में खड़े हैं।
भारत पर प्रतिबंध से कनाडा को होने वाला नुकसान
यदि कनाडा भारत के खिलाफ किसी भी प्रकार का प्रतिबंध लगाने का निर्णय लेता है, तो इससे कनाडा को अधिक नुकसान हो सकता है। भारत सरकार का रुख यह स्पष्ट करता है कि वह कनाडा के इन बिना आधार के आरोपों का जवाब देने के लिए तात्कालिक कार्रवाई कर सकती है। यदि ऐसा होता है, तो कनाडाई कंपनियों के लिए भारत में व्यापार करना संभव नहीं रह जाएगा। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा।
भारत और कनाडा के बीच व्यापारिक संबंध
भारत और कनाडा के व्यापारिक संबंधों का अवलोकन करें तो 2019 से 2023 के बीच कनाडाई कंपनियों ने लगभग 11.9 अरब डॉलर का निवेश भारत में किया है। वर्तमान में 600 से अधिक कनाडाई कंपनियां भारत में कार्यरत हैं, जबकि एक हजार से अधिक कंपनियां सक्रिय रूप से व्यापार कर रही हैं। वर्ष 2023 में भारत और कनाडा के बीच 9.36 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ, जबकि जनवरी से अप्रैल 2023 के बीच यह आंकड़ा 3.11 बिलियन डॉलर तक पहुँचा है।
इसके अलावा, कनाडा के पेंशन फंड ने भारत में लगभग 4575 अरब रुपये का निवेश किया हुआ है। ऐसे में यदि कनाडा किसी प्रकार का आर्थिक-व्यापारिक प्रतिबंध लगाता है, तो इससे कनाडाई कंपनियों और उनके द्वारा भारत में किए गए निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
हालांकि, निज्जर मामले को लेकर भारत और कनाडा के बीच पिछले एक वर्ष से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं, लेकिन व्यापारिक संबंधों पर अब तक कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा है। यदि राजनीतिक तनाव व्यापार युद्ध में बदलता है, तो कनाडा को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।