Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में सियासी रण तैयार, सत्ता में सात राजनीतिक क्षेत्रों की भूमिका, जानें कौनसे हैं सियासी इलाके

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में सियासी रण तैयार, सत्ता में सात राजनीतिक क्षेत्रों की भूमिका, जानें कौनसे हैं सियासी इलाके
Last Updated: 2 दिन पहले

हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां पूरी ताकत से जुटी हुई हैं। यहां सत्ता हासिल करने का रास्ता सात प्रमुख क्षेत्रों से होकर गुजरता है। हरियाणा कई हिस्सों में बंटा हुआ है, जिनमें अहीरवाल, बांगर-बागड़, जीटी रोड बेल्ट, और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं। आइए जानते हैं कि इन क्षेत्रों में कौन से नेता अपना प्रभाव रखते हैं।

Chandigarh: हरियाणा की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान और राजनीतिक प्रवृत्तियों के आधार पर यह विभिन्न हिस्सों में विभाजित है। भौगोलिक दृष्टि से 22 जिलों वाले हरियाणा की पहचान तीन प्रमुख बेल्टों के रूप में होती है: पहली अहीरवाल बेल्ट, दूसरी बांगर-बागड़ बेल्ट और तीसरी जीटी रोड बेल्ट। इन सभी बेल्टों का राजनीतिक स्वभाव एक-दूसरे से भिन्न है।

पिछले 10 वर्षों में भाजपा सरकार को जीटी रोड बेल्ट ने सत्ता में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि अहीरवाल बेल्ट ने भी इसमें योगदान दिया। इन तीन मुख्य बेल्टों के अलावा, चार और छोटी बेल्टें हैं, जिनका राजनीति में अपना महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।

अहीरवाल: महेंद्रगढ़-नारनौल और रेवाड़ी जिले शामिल 

राजस्थान की सीमा से सटे अहीरवाल क्षेत्र में पानी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। यहां केवल पीने के पानी की कमी है, बल्कि खेतों में नहरी पानी से सिंचाई भी नहीं हो पा रही है, जिसके कारण भूमि बंजर हो गई है। भाजपा ने मनोहर लाल के कार्यकाल में नहरों तक पानी पहुंचाने का कार्य किया है, लेकिन फिर भी आवश्यकताओं की पूर्ति अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का अहीरवाल में एक बड़ा नाम है और वह पिछले चार बार से लगातार सांसद रह चुके हैं। इनके साथ-साथ, कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा, राव दान सिंह और राव नरबीर के साथ अभय सिंह यादव का भी यहां खासा प्रभाव है।

दक्षिण हरियाणा: फरीदाबाद और पलवल के साथ-साथ गुरुग्राम भी

उप्र की सीमा से जुड़ा हुआ है, जिससे बृज भाषा का प्रभाव देखा जा सकता है। गुरुग्राम और फरीदाबाद, दिल्ली के निकट स्थित हैं। यहाँ नए उद्योगों और निवेश की कोई कमी नहीं है। हालांकि, अपराध और जल संकट जैसे मुद्दे गंभीर हैं। गुरुग्राम में जलभराव एक बड़ी समस्या बन गई है। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर, पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल, और पूर्व सांसद अवतार सिंह भड़ाना का यहाँ पर प्रमुख दबदबा है। इसके अलावा, कर्ण सिंह दलाल भी यहाँ के एक महत्वपूर्ण चेहरा माने जाते हैं।

मेवात: नूंह और आसपास का मुस्लिम बहुल क्षेत्र

यहां पर मुस्लिम नेताओं का प्रमुख प्रभाव देखा जाता है। शिक्षा का स्तर भी अपेक्षाकृत कम है। दिल्ली के निकटता और एनसीआर क्षेत्र में होने के बावजूद, यहां विकास की कमी है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़कें और बढ़ता अपराध, ये सभी यहां के प्रमुख मुद्दे हैं। इसके अलावा, बेरोजगारी और नए उद्योगों की कमी भी समस्याओं में शामिल हैं। यहां से तीनों विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं। नेताओं की दृष्टि से कांग्रेस के आफताब अहमद और भाजपा के जाकिर हुसैन का यहां विशेष प्रभाव मौजूद है।

देसवाली: रोहतक, सोनीपत, झज्जर, पानीपत जिले शामिल

यह क्षेत्र जाट समुदाय के लिए जाना जाता है। यहां की मुख्य बोली खड़ी बोली है। राजनीतिक दृष्टिकोण से यह क्षेत्र काफी मजबूत है, जहां चौधर का नारा प्रमुखता से चलता है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा का इस क्षेत्र में काफी प्रभाव है, और उन्होंने इसी चौधर के नारे के आधार पर दो बार मुख्यमंत्री का पद भी संभाला है। हुड्डा के मुख्यमंत्री रहने के दौरान इस क्षेत्र में काफी विकास हुआ। आईएमटी के माध्यम से यहां रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। इसके अलावा, कैप्टन अभिमन्यू, मनीष ग्रोवर और ओमप्रकाश धनखड़ का भी इस क्षेत्र में विशेष प्रभाव है।

खादर-नरदक: करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर और पंचकूला की सहभागिता

यहां की भूमि अत्यंत उपजाऊ है और यहां के लोगों की बोली में मिठास भरी हुई है। हर साल, यमुना नदी, टांगरी और मारकंडा नदी में बाढ़ आने से स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके चलते, नदियों के किनारे खड़ी फसलें बर्बाद हो जाती हैं और आसपास के गांव तथा कस्बे प्रभावित होते हैं। इस क्षेत्र में कभी भी क्षेत्रीय या राजनीतिक सत्ता का कोई स्थायी नारा नहीं रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने करनाल से चुनाव जीतकर सत्ता में स्थान बनाया है।

बागड़: हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, सिरसा और फतेहाबाद 

राजस्थान और पंजाब की सीमाओं से सटे इस क्षेत्र में बागड़ी और पंजाबी दोनों भाषाएं बोली जाती हैं। यहां पर नशे की समस्या सबसे गंभीर मुद्दा है, जिसके कारण युवाओं की जिंदगियां खतरे में हैं। ओवरडोज के कारण कई युवा अपनी जान गंवा रहे हैं। इस क्षेत्र में चौधरी ओमप्रकाश चौटाला, चौधरी बंसीलाल और भजनलाल परिवारों का काफी प्रभाव रहा है। भजनलाल परिवार से कुलदीप बिश्नोई, बंसीलाल परिवार से किरण चौधरी, और चौटाला परिवार से अजय सिंह, अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। राजनीतिक दृष्टि से यह बेल्ट प्रदेश की सबसे मजबूत मानी जाती है और यहां से ताऊ देवीलाल समेत चार मुख्यमंत्रियों ने जन्म लिया है।

उचाना में विकास की दृष्टि से देखी गई कमी

उचाना को बांगर की राजधानी माना जाता है। यह क्षेत्र अपने अक्खड़पन और बेबाकी के लिए प्रसिद्ध है। यहां की अधिकांश सरकारों में बांगर का योगदान रहा है, लेकिन विकास की दृष्टि से इसे कमी का सामना करना पड़ा है। इस क्षेत्र से कोई भी नेता प्रदेश का मुखिया नहीं बन सका। केवल ओमप्रकाश चौटाला, जो नरवाना से विधायक थे, मुख्यमंत्री बन पाए, लेकिन उनका मुख्य क्षेत्र सिरसा रहा है। इस क्षेत्र के दो प्रमुख चेहरे, बीरेंद्र सिंह और रणदीप सुरजेवाला, तो हैं, लेकिन वे भी प्रदेश के मुखिया बनने में सफल नहीं हो सके।

 

 

 

 

 

Leave a comment