पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी - Staff Selection Commission) ने गुरुवार को दावा किया है कि शेष 19000 शिक्षक नौकरी के लिए पात्र हो सकते हैं।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी - Staff Selection Commission) ने गुरुवार (25 अप्रेल) को दावा करते हुए कहां कि उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष 2016 की स्कूल भर्ती परीक्षा में की गई नियुक्त में से केवल 5300 लोगों की ही सूची पेश की थी जिनकी नियुक्तियों को लेकर आपत्ति थीं। कर्मचारी चयन आयोग ने साथ ही यह भी कहां है कि शेष 19000 शिक्षक इस नौकरी के लिए पात्र हो सकते हैं। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भर्ती को रद्द कर दिया गया।
आयोग ने ऐसा क्या कहां?
जानकारी के मुताबिक कर्मचारी चयन आयोग ने कहां कि उसका यह भी मानना है कि 19,000 ऐसे शिक्षक जिनकी नियुक्तियां उच्च न्यायालय ने किसी आदेश के कारण रद्द कर दी गई हैं, शायद हो सकता है कि उनकी योग्यता मानदंड के आधार पर नियुक्ति अधिकारियों द्वारा तैयार किए गए मानदंडों पर खरी उतरती हों।
राज्य कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष सिद्धार्थ कुमार मजूमदार ने Subkuz.com के संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बताया कि हमने न्यायालय के समक्ष केवल उन अभ्यर्थियों की सूची पेश की जो भर्ती में गलत पाए गए। भर्ती में दो खास खामियां पाई गई थीं -एक आप्टिकल मार्क रिकाग्निशन (ओएमआर) शीट में हेरफेर और दूसरी रैंक के मामले में गड़बड़ी। ग्रुप सी और डी के लिए शिक्षकों की कुल संख्या लगभग 5,300 थी।
कर्मचारी चयन आयोग ने सोमवार को यह दावा किया की कलकत्ता उच्च न्यायालय की ओर से पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित और उससे सहायता प्राप्त विद्यालयों में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 (एसएलएसटी) की भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से सभी नियुक्तियों को रद्द करने के लिए पृष्ठभूमि के आधार पर फैसला किया गया है।विद्यालयों में 24,640 रिक्त पदों पर आयोजित भर्ती में 23 लाख से अधिक अभ्यर्थी 2016 की एसएलएसटी परीक्षा में में बैठे थे।
19000 उम्मीदवार हुए थे पात्र
जानकारी के मुताबिक आयोग ने कहां कि पिछले साल दिसंबर महीने में अदालत के समक्ष कम से कम तीन लिखित दस्तावेज पेश किए गए और हमने रिपोर्ट में संदिग्ध भर्ती में उम्मीदवार के नाम और रोल नंबर के साथ प्रदान किए थे। यह सूचियां सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) के साथ भी साझा की गईं थीं। एसएससी ने कहां कि 2016-एसएलएसटी परीक्षा के 19,000 से अधिक उम्मीदवार नौकरी के लिए पात्र थे और उनकी नियुक्ति में कोई भी प्रकार की अनियमितता नहीं पाई गई थी। हमने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को जवाब देने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की हैं।