आज हम आपके साथ एक ऐसी लड़की की कहानी के बारे में बताने वाले है, जिसके जूनून और जज्बे ने उसे सिखर के उस मुकाम पर पहुंचा दिया है। जहाँ हर कोई पहुंचना चाहता है। जिसके सोशल मीडिया पर 2 मिलियन से ज्यादा फॉलोवर्स है। ये लड़की कोई और नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर कजरी क्वीन के नाम से मशहूर संजोली पांडेय की है।
इनके डांस और गायन कला को लाखो लोग पसंद करते है। लोक गायिका और कजरी क्वीन संजोली पांडेय की कहानी, जो आज अवधी और भोजपुरी के पारंपरिक और संस्कार गीतों को गाने के लिए जानी जाती हैं। लोकगायिका के अलावा संजोली ने एक होस्ट के तौर पर भी कई शोज को होस्ट किए है। सुनिए संजोली की कहानी उन्हीं की जुबानी।
'एक दिन पहले तक मैं पूरे शो को होस्ट कर रही थी। वहां सभी लोग मुझे सेलिब्रिटी जैसे ट्रीट करते थे और उसके अगले ही दिन मैं और पापा ट्रेन में खड़े होकर लखनऊ से दिल्ली तक का सफर कर रहे थे। दरअसल, मुझे रात में ही दिल्ली से एक कॉल आया था कि महुआ चैनल के एक शो में ऐसे एंकर की तलाश है जो गाने को समझ सके और एंकरिंग भी कर सके। मुझे कहा गया था अगले ही दिन ऑडिशन देने के लिए आना है।
हमारे पास ना तो इतने पैसे थे कि हम फ्लाइट की टिकट करवा पाते और ना ही इतना वक्त और पहचान कि ट्रेन की टिकट कंफर्म करवा पाते। मैं खुद पर बहुत गुस्सा हो रही थी, कुछ ही देर में रोने वाली थी। उस दिन पापा ने मुझे समझाया कि जीवन में आप कौन है और क्या करते हैं ये भूलकर परिस्थिति के अनुसार ढलना और उसे स्वीकार करना आना चाहिए। आज भी मैं जब भी किसी परेशानी में होती हूं, इस बात को यादकर के आगे बढ़ने की कोशिश करती हूं।'
बचपन से गा रही हूं पारंपरिक गीत
मेरा जन्म अयोध्या के गोसाईगंज में हुआ था। मेरी शुरुआती पढ़ाई भी गांव में ही हुई थी। बचपन से ही मैंने अपने मां को शोहर, कजरी, बन्ना-बन्नी और बधाई गीत गाते सुना। मुझे उस समय उन गीतों का मतलब नहीं पता था, लेकिन उनके साथ मैं भी गाती थी। मुझे ये गीत इतने पसंद आते थे कि स्कूल में मौका मिलने पर मैं पारंपरिक गीत ही सुनाती थी।
दादाजी नहीं चाहते थे कि उनकी पोती किसी के मनोरंजन का साधन बने
मैं जब भी कोई फैमिली फंक्शन में जाती थी तो सभी को मेरा गाना सुनना पसंद था। लोग मेरे पापा को कहते भी थे संजोली को गाना सीखाना चाहिए। मगर, मेरे दादाजी को ये सब चीजे पसंद नहीं थी। दादाजी को नहीं पसंद था कि उनकी पोती किसी का मनोरंजन का साधन बने। 2009 में जब मैं 10 वीं में थी तो उस दौरान फैजाबाद में 'सितारों की खोज' नाम का एक कॉम्पिटिशन का आयोजन हुआ था।
पिताजी ने गांव में पोस्टर देख कर मुझे भी ऑडिशन देने को कहा। वहां पहुंचते ही मुझे पता चला कि यहां पर लोकगीत ही गाना है। मैंने 'देवी पचरा' और 'रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे' जैसे गाने गाएं और मेरा सिलेक्शन हो गया। मैं टॉप 5 में भी पहुंची, लेकिन फिनाले में एलिमिनेट हो गई। ये वो दिन था जब मैंने मन ही मन ठान लिया अब मैं सिंगिंग में ही अपना फ्यूचर बनाऊंगी और बहुत अच्छा गाऊंगी।
पापा को लोग ताने देते थे, बेटी को छूट देने का अंजाम भोगोगे
मेरे पापा को लगा कि बिना सीखे अगर मैं इतना अच्छा गा सकती हूं, तो सिखने के बाद और अच्छा करूंगी। मेरे पापा ने मुझे संगीत सीखने के लिए लखनऊ भेज दिया। इस दौरान मैंने लखनऊ आकर 11 वीं में एडमिशन ले लिया और साथ-साथ शास्त्रीय संगीत सीखने लगी। मेरे साथ मेरी मम्मी-पापा भी लखनऊ में ही रहने लगे।
कुछ समय बाद मुझे लगा कि अगर मुझे मंच नहीं मिलेगा तो मैं समझ नहीं पाऊंगी मैं अच्छा गाती भी हूं कि नहीं। गाना सीखते हुए मैं एक ग्रुप के साथ जागरण में गाने लगी। कई लोगों ने पापा को ताने दिए कि बेटी को छूट दे रहे हो, इसका तुम्हे गलत अंजाम भुगतना पड़ेगा।
मालिनी अवस्थी जी ने कहा ‘एक दिन तुम अवध की हस्ताक्षर बनोगी'
पापा मुझे हर वो ऑडिशन दिलाने जाते थे। कई बार हम सुबह के तीन बजे ही लाइन लग जाते थे, ताकि हमारा नंबर जल्द आ सके। मैं कई बार सिलेक्ट भी हुई, लेकिन कुछ ही दिनों में आउट हो जाती थी।
2013 के दौरान 'फोल्क जलवा' नाम का शो शुरू हुआ, जिसके जजेस पैनल में मालिनी अवस्थी भी थी। मैंने जब वहां ऑडिशन दिया तो सेलेक्ट हो गई। मैं इस शो में टॉप 5 से बाहर हो गई। मुझे आज भी याद है जब शो से बाहर हुई थी तो मालिनी जी ने मुझसे कहा 'बिल्कुल निराश मत हो तुम बहुत अच्छा गाती हो एक दिन तुम अवध की हस्ताक्षर बनोगी।'
114 एपिसोड शूट करने के बाद ट्रेन में खड़ी होकर पहुंची दिल्ली
शो से निकलने के बाद मैंने कई शो में ऑडिशन दिए। इसी दौरान दूरदर्शन के शो में 'माटी के बोल' में जब ऑडिशन देने पहुंची तो एंकर ने पूछा कि क्या सुनाएंगी आप तो मैंने बोला 'कजरी' सुनाने जा रही हूं (जिसमें ननद-भाभी के नोक-झोक को गीत के जरिए दर्शाया गया)। मेरे बात करने के तरीके और गाने तो देखते हुए मुझे शो का एकंर बना दिया गया। इस तरह मैंने शो के 114 एपिसोड शूट किए। जिस दिन शो का फिनाले था उसी रात मुझे महुआ चैनल से ऑडिशन के लिए कॉल आया और मुझे अगले दिन ही दिल्ली आने के लिए कहा गया।
उस समय ना तो हमारे पास इतने पैसे थे कि तुरंत फ्लाइट की टिकट करवा पाते और ना ही इतना वक्त कि ट्रेन की कंफर्म टिकट ले पाते। रात भर शूट खत्म करने के बाद अगले दिन सुबह मैं और पापा ट्रेन के टॉयलेट के पास खड़े होकर दिल्ली पहुंचे। रास्ते में मुझे रोना भी आया कि कल तक मैं कहा एक शो का संचालन कर रही थी और आज मैं एक सीट तक अरेंज नहीं कर पाई। उस दिन पापा ने मुझे समझाया कि जीवन में आप कौन है और क्या करते हैं ये भूल कर परिस्थिती के अनुसार ढलना और उसे स्वीकार करना आना चाहिए।
‘भइल बिहान' से मिली पहचान
दिल्ली पहुंचने के बाद मैं ऑडिशन देने पहुंची और मुझे भोजपुरी की स्क्रिप्ट दी गई। मैंने ऑडिशन दिया और मैं घर वापस ही आ रही थी, कि मुझे चैनल से फोन आया कि आपका सिलेक्शन हो गया है। इसके बाद मैंने महुआ पर 'भइल बिहान' नाम का शो होस्ट किया। इस शो में सिंगर गेस्ट आते थे, जिनका मैं इंटरव्यू लेती थी। मैंने 'भरत शर्मा व्यास जी, मदन मोहन राय जी, मलिनी अवस्थी जी' जैसे कई बड़े सिंगर का इंटरव्यू लिया। मुझे कई बार विश्वास नहीं होता था कि जिन्हें कभी मैं दूर से देखती थी, जिनका कभी ऑटोग्राफ लिया, उनका इंटरव्यू कर रही हूं। इस शो को करने के बाद मैंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
यूट्यूब चैनल पर गाती हूं पारंपरिक गीत, फेसबुक पर 2 मिलियन लोग करते हैं फॉलो
शो के ही कुछ म्यूजिशियन मेरे साथ टीम की तरह काम करने लगे। हमने साथ में कई इवेंट्स और शो किए। इसी दौरान टीम के एक मेंबर सचिन जी ने मुझसे खुद का एल्बम रिलीज करने की सलाह दी।
सचिन जी और अपने भैया की सलाह को मानते हुए 2017 में मेरे भैया और मैं मिलकर यूट्यूब चैनल चलाने लगे। भैया नीरज पांडे ही वीडियो बनाते और एडिट करते थे। इस दौरान म्यूजिक बनाने को लेकर सचिन जी मेरी मदद करते थे। धीरे-धीरे मेरे चैनल को 2 लाख लोग फॉलो करने लगे। कोरोना के दौरान फेसबुक और इंस्टा लोगों ने मुझे बहुत पसंद किया, लोग मुझे कजरी क्वीन बुलाने लगे। फेसबुक पर करीब 2 मिलियन लोग मुझे फॉलो करते हैं।
मुंह दिखाई में ससुर जी ने दिया म्यूजिक का कमरा
2021 में मेरी शादी हो गई। शादी के बाद मेरे ससुराल वालों ने भी मेरे गाने को खुले दिल से एक्सेप्ट किया। यहां तक कि शादी के बाद मेरे सासु मां और ससुर जी शिव सेवक उपाध्याय की तरफ से मुंह दिखाई में म्यूजिक का कमरा मिला।
सितंबर 2022 में मैंने बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम मैंने अवधी रखा। मगर, एक महीने बाद ही मेरी बेटी जानलेवा बीमारी एचएलएच सिंड्रोम (जिसमें, बच्चों की इम्यूनिटी सिस्टम वीक हो जाती है) से पीड़ित हो गई और हम उसे बचा नहीं पाए। ये वो समय था जब मेरे पति पंकज का मुझे बहुत सपोर्ट मिला। उन्होंने मुझे टूटने नहीं दिया। लगातार खुद को बिजी रखने और काम करते रहने के लिए प्रेरित किया।
युवाओं को अपनी भाषा से जोड़े रखने का काम कर रही हूं
आने वाले समय में मैं अपनी बेटी के नाम से बच्चों के लिए म्यूजिक स्कूल खोलना चाहती हूं। इसके अलावा मैं लगातार आज के युवाओं को अपनी भाषा से जोड़ कर रखने का काम कर रही हूं, ताकि आने वाली पीढ़ी सोहर, कजरी, देवी पचरा, विवाह गीतों के नाम से अनजान ना रहे।