कव्या ढोबले का शॉकिंग ट्रांसफॉर्मेशन: सरकारी नौकरी छोड़, खेती से बना दिया 24 लाख रुपये का सालाना मुनाफा

कव्या ढोबले का शॉकिंग ट्रांसफॉर्मेशन: सरकारी नौकरी छोड़, खेती से बना दिया 24 लाख रुपये का सालाना मुनाफा
Last Updated: 11 घंटा पहले

कव्या ढोबले ने जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी में डिप्लोमा प्राप्त किया। इसके पश्चात, उन्होंने मुंबई स्थित लोकमान्य तिलक म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज और जनरल हॉस्पिटल में अपना करियर शुरू किया। कुछ समय वहां काम करने के बाद, उन्होंने टाटा कैंसर अस्पताल में नौकरी ग्रहण की, जहां उन्होंने लगभग दो वर्षों तक सेवा दी। इसके बाद, उन्होंने बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई की।

लोग सरकारी नौकरी पाने के लिए वर्षों तक मेहनत करते हैं, लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती। आज हम आपको एक ऐसी महिला की प्रेरणादायक कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसने अपनी उच्च वेतन वाली सरकारी नौकरी को छोड़कर खेती करने का निर्णय लिया। यह हैं कव्या ढोबले दातखिले, जो वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन करती हैं और साथ ही साथ अन्य किसानों को केमिकल-फ्री खेती के प्रति जागरूक कर रही हैं। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि सच्ची सफलता केवल एक नौकरी पाने में नहीं है, बल्कि अपने सपनों का पीछा करने और समाज के लिए कुछ अच्छा करने में भी है।

क्या है सफलता की कहानी

कव्या ढोबले ने जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी में डिप्लोमा प्राप्त किया। इसके पश्चात, उन्होंने मुंबई के लोकमान्य तिलक म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज और जनरल हॉस्पिटल में काम करना प्रारंभ किया। कुछ समय वहां कार्य करने के बाद, उन्होंने टाटा कैंसर अस्पताल में नौकरी पकड़ी, जहां उन्होंने लगभग दो वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। तत्पश्चात, उन्होंने बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई की।

कोरोना ने बदला नजरिया

एक निजी कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद, कव्या ने मुंबई के सायन अस्पताल में स्टाफ नर्स के रूप में काम करना शुरू किया। वर्ष 2019 से 2022 तक कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान कई लोगों की मौत का सामना किया, जिससे उनके जीवन को देखने का नजरिया पूरी तरह बदल गया। 30 वर्षीय कव्या ने कोरोना के कारण मौत के कगार से वापस लौटने का अनुभव किया। उनकी बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता की वजह से ही वे इस संकट से बच पाईं। बाजार में मिलने वाले रसायनयुक्त भोजन के कारण कमजोर हो रहे शरीर से बचने के लिए उन्होंने विभिन्न उपायों की खोज जारी रखी। इस खोज के बाद, कव्या ने इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से उबरने का दृढ़ संकल्प लिया।

नौकरी छोड़कर खेती की ओर कदम बढ़ाया

काव्य ने 75,000 रुपये की सरकारी नौकरी को छोड़कर खेती करने का साहसिक निर्णय लिया। उनके इस निर्णय की आलोचना केवल बाहर के लोगों ने की, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों ने भी उनकी खिलाफत की। हालाँकि, उनके पति राजेश दातखिले ने उन्हें पूरा समर्थन दिया। इसके बाद, काव्य ने साल 2022 में अपने पति के साथ गाँव जाने का निर्णय लिया और वहाँ खेती की नई यात्रा की शुरुआत की।

वर्मीकम्पोस्ट बनाकर कमा रही है

अच्छी आय पुणे के जुन्नार के निकट एक गांव में काव्य अपने परिवार के साथ वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन कर रही हैं। इस व्यवसाय से वे हर साल 24 लाख रुपये की आमदनी कर रही हैं। इस वर्ष उनकी आय 50 लाख रुपये के करीब पहुंचने की उम्मीद है। विश्व में भारत वर्मीकम्पोस्ट का सबसे बड़ा निर्यातक है।

किसानों को कर रही हैं

प्रोत्साहित काव्या सिर्फ वर्मीकम्पोस्ट का निर्माण कर रही हैं, बल्कि किसानों को रसायनों का उपयोग करने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं। काव्या एक यूट्यूब चैनल भी चलाती हैं, जिसमें जैविक खेती की बारीकियों के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है। अब तक, काव्या 200 से अधिक वर्मीकम्पोस्ट उद्यमियों को प्रशिक्षण दे चुकी हैं।

भविष्य की योजनाएं

कव्या अब अपनी खेती में और भी ज्यादा सुधार करने की योजना बना रही हैं। वे नई तकनीकों को अपनाकर खेती को और अधिक प्रोडक्टिव बनाने के लिए शोध कर रही हैं, ताकि आने वाले समय में वह अपने मुनाफे को और बढ़ा सकें।कव्या ढोबले का यह ट्रांसफॉर्मेशन साबित करता है कि सही दिशा और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में सफलता पाई जा सकती है, चाहे वह कृषि हो या कोई अन्य व्यवसाय।

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