भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को उसका नया नेतृत्व मिल गया है। भारत सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि डॉ. वी नारायणन, जो वर्तमान में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के निदेशक हैं, ISRO के नए अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे। वह एस. सोमनाथ की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 14 जनवरी को समाप्त हो रहा है। डॉ. नारायणन 14 जनवरी से इस महत्वपूर्ण पद पर आसीन होंगे और अगले दो वर्षों तक संगठन का नेतृत्व करेंगे।
तमिलनाडु से ISRO तक का प्रेरणादायक सफर
डॉ. वी नारायणन का जन्म तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में हुआ। विज्ञान और तकनीकी में गहरी रुचि रखने वाले नारायणन ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद देश के शीर्ष संस्थानों में दाखिला लिया। उनकी प्रतिभा और मेहनत ने उन्हें 1984 में ISRO में शामिल होने का मौका दिया।
उन्होंने अपनी शुरुआती जिम्मेदारी विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में निभाई। यहां उन्होंने Augmented Satellite Launch Vehicle (ASLV) और Polar Satellite Launch Vehicle (PSLV) जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में योगदान दिया। इसके अलावा, सॉलिड प्रोपल्सन और क्रायोजेनिक टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियां बेमिसाल हैं।
IIT खड़गपुर के टॉपर
डॉ. वी नारायणन की शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी उतनी ही प्रभावशाली है जितनी उनकी पेशेवर यात्रा। उन्होंने IIT खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक की डिग्री प्रथम स्थान के साथ पूरी की। इसके बाद उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी हासिल की। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।
40 वर्षों का अनुभव और अनगिनत उपलब्धियां
ISRO में डॉ. नारायणन ने अपने चार दशक लंबे करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। वर्तमान में वे LPSC के निदेशक हैं, जहां उनके नेतृत्व में क्रायोजेनिक इंजन और रॉकेट प्रोपल्सन सिस्टम्स का विकास हुआ। इन प्रौद्योगिकियों ने भारत के अंतरिक्ष अभियानों, जैसे चंद्रयान और मंगलयान, की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
उनके नाम पर 1200 से अधिक तकनीकी रिपोर्ट्स और 50 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हैं। इसके अलावा, उन्होंने देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में कई मुख्य भाषण दिए और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अपने विचार साझा किए।
ISRO के लिए क्या लाएंगे डॉ. नारायणन?
डॉ. वी नारायणन के कार्यकाल में ISRO से कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की सफलता की उम्मीद की जा रही है। खासतौर पर गगनयान मिशन, अगली पीढ़ी के रॉकेट विकास, और अंतरिक्ष अन्वेषण अभियानों पर उनका ध्यान केंद्रित रहेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि उनके नेतृत्व में ISRO नए आयाम छुएगा और भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में और अधिक पहचान दिलाएगा।
एस. सोमनाथ का विदाई संदेश
ISRO के मौजूदा अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने डॉ. नारायणन की नियुक्ति पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, "डॉ. नारायणन एक अनुभवी और समर्पित वैज्ञानिक हैं। उनके नेतृत्व में ISRO नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा। उनकी विशेषज्ञता और दूरदर्शी सोच संगठन के लिए एक बड़ी संपत्ति होगी।"
डॉ. वी नारायणन की सफलता की कहानी केवल विज्ञान के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि हर युवा के लिए प्रेरणा है। तमिलनाडु के छोटे से जिले से लेकर देश के सबसे बड़े अंतरिक्ष संगठन के शीर्ष पद तक उनकी यात्रा बताती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कुछ भी हासिल किया जा सकता हैं। IIT खड़गपुर के इस टॉपर वैज्ञानिक के नेतृत्व में ISRO आने वाले वर्षों में नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए तैयार हैं।