बहुत समय पहले तिब्बत के घने जंगल में एक पुराना पेड़ खड़ा था, जिस पर दो उल्लू रहते थे। ये दोनों उल्लू अच्छे दोस्त थे और अक्सर जीवन के गहरे सवालों पर चर्चा किया करते थे। दोनों ने कभी एक-दूसरे के साथ अपने डर, चिंताओं और सुख-दुख को बांटा था। एक दिन सुबह-सुबह, दोनों उल्लू अपने-अपने शिकार के साथ उस पेड़ पर लौटे। पहला उल्लू अपने पंजों में एक सांप दबोचकर लाया था, जबकि दूसरा उल्लू एक मोटा चूहा पकड़ लाया था। दोनों उल्लू अपने शिकार के साथ खुशी-खुशी पेड़ की शाखाओं पर बैठे थे, लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ, जो दोनों उल्लू को भी हैरान कर गया।
उल्लू का मौत के भय से सामना
सांप की नजर चूहे पर पड़ी, और उसने अपनी पूरी ताकत से फुफकारना शुरू कर दिया। यह सुनते ही चूहा डर के मारे कांपने लगा। उसकी आंखों में मृत्यु का भय साफ दिखाई दे रहा था। दूसरी ओर, सांप जो खुद उल्लू के पंजों में फंसा हुआ था, वह भी चूहे को देखकर और गुस्से में आ गया। दोनों शिकार—चूहा और सांप—मौत के डर से कांप रहे थे। यह देखकर पहले उल्लू ने दूसरे उल्लू से सवाल किया, "भाई, ये क्या अजीब बात है? ये दोनों तो मरने वाले हैं, फिर ये एक-दूसरे को देखकर इतना डर क्यों रहे हैं?"
दूसरा उल्लू मुस्कुराते हुए बोला, "यह जीवन का सबसे बड़ा सत्य है। जानवर ही नहीं, इंसान भी इसी भय से जूझता है।"
पहला उल्लू थोड़े उलझन में पड़ा। उसने फिर पूछा, "भाई, जरा इसे साफ-साफ समझाओ।"
दूसरा उल्लू गंभीरता से बोला
"मौत का डर तो हर किसी को होता है, लेकिन उससे बड़ा डर हमारे भीतर छिपी इच्छाओं, लालच और स्वार्थ का है। यह चूहा सोच रहा है कि सांप उसे मार डालेगा, जबकि सांप खुद भी फंसा हुआ है। इसके बावजूद दोनों में भय बढ़ रहा है। असल डर उनकी अंदर की असुरक्षा और लालच से उत्पन्न हो रहा है।"
यह सुनकर पहले उल्लू को गहरी समझ आई और उसने कहा, "सच में, हम अक्सर अपनी इच्छाओं और डर के कारण ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिनका कोई ठोस आधार नहीं होता। अगर यह चूहा शांत रहता, तो उसे डर का सामना नहीं करना पड़ता।"
दूसरा उल्लू हंसते हुए बोला, "यही तो जीवन की सच्चाई है। जब तक हम अपनी इच्छाओं और डर को समझ नहीं पाते, तब तक हम अंधे बने रहते हैं। जीवन हमें हर दिन कुछ सिखाने आता है, लेकिन हमें उस सीख को समझने की कोशिश करनी चाहिए।"
इस प्रेरणादायक कहानी से हमें यह महत्वपूर्ण संदेश मिलता है कि मौत से बड़ा भय हमारा लालच, स्वार्थ और डर होता है। जब हम अपने डर को समझते हुए शांत रहते हैं और अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करते हैं, तो हम जीवन को बेहतर तरीके से जी सकते हैं।
अक्सर हम परिस्थितियों से घबराकर गलत फैसले लेते हैं, क्योंकि हमारा मन भय से भरा रहता है। लेकिन अगर हम अपनी अंदर की असुरक्षा और लालच को समझकर उसे शांत कर दें, तो हम किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं। चूहे और सांप दोनों ही अपनी गलतफहमी और भय के कारण एक-दूसरे को और ज्यादा डरने पर मजबूर कर रहे थे, जबकि असल खतरा उनका स्वार्थ और लालच था।
यह कहानी हमें यही सिखाती है कि
किसी भी संकट में हमें डर को पहचानने और उसे शांत करने की आवश्यकता है। अगर हम अपने भीतर के डर और इच्छाओं को समझते हुए जीवन में आगे बढ़ें, तो हम हर मुश्किल का सामना आसानी से कर सकते हैं। इसलिए, डर से न भागें, बल्कि उसे समझने की कोशिश करें और उसे शांत करने का प्रयास करें। यही जीवन की सच्चाई हैं।