SpaceX के फाल्कन-9 से GSAT-20 लॉन्च, ISRO और एलन मस्क का संयुक्त प्रयास, भारत के लिए क्या है खास?

SpaceX के फाल्कन-9 से GSAT-20 लॉन्च, ISRO और एलन मस्क का संयुक्त प्रयास, भारत के लिए क्या है खास?
Last Updated: 19 नवंबर 2024

एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से भारत का उन्नत GSAT N-2 सैटेलाइट फ्लोरिडा के केप कैनावेरल से लॉन्च हुआ, जो दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड और उड़ान के दौरान इंटरनेट सेवाएं प्रदान करेगा।

SpaceX launch ISRO satellite GSAT 20: दिग्गज उद्योगपति एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्पेसएक्स ने भारत का अब तक का सबसे उन्नत संचार उपग्रह GSAT N-2 (GSAT-20) सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लॉन्च किया। यह प्रक्षेपण अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप कैनावेरल से हुआ।

GSAT N-2: भारत का सबसे परिष्कृत उपग्रह

ISRO का GSAT N-2 सैटेलाइट दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाओं और उड़ान के दौरान यात्री विमानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह 32 उपयोगकर्ता बीम से सुसज्जित है, जिसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 8 संकीर्ण स्पॉट बीम और शेष भारत के लिए 24 विस्तृत स्पॉट बीम शामिल हैं। इन बीम को भारत के हब स्टेशनों से सपोर्ट मिलेगा, जिससे इंटरनेट सेवाएं अधिक सशक्त होंगी।

स्पेसएक्स और इसरो का ऐतिहासिक सहयोग

मंगलवार आधी रात को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट ने GSAT N-2 को अपनी 396वीं उड़ान पर भेजा। यह सैटेलाइट 34 मिनट की यात्रा के बाद सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित हो गया। ISRO की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के अध्यक्ष राधाकृष्णन दुरैराज ने इस लॉन्च को पूरी तरह सफल बताया।

GSAT N-2 की लॉन्चिंग क्यों है खास?

1. ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी: यह सैटेलाइट भारत के दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करेगा।

2. इन-फ्लाइट इंटरनेट: यात्री विमानों में उड़ान के दौरान इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा।

3. 32 बीम तकनीक: 32 बीम वाले इस सैटेलाइट को भारत में स्थित हब स्टेशनों से सपोर्ट मिलेगा।

फाल्कन 9 की मदद क्यों ली गई?

4700 किलोग्राम वजनी GSAT N-2 सैटेलाइट भारतीय रॉकेटों के लिए बहुत भारी था। ISRO का बाहुबली रॉकेट (लॉन्च व्हीकल मार्क-3) अधिकतम 4100 किलोग्राम का भार उठा सकता है। इसीलिए इसे SpaceX के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया।

एरियनस्पेस और रूसी विकल्प क्यों नहीं चुने गए?

भारत पहले भारी उपग्रहों के लिए एरियनस्पेस पर निर्भर था, लेकिन वर्तमान में एरियनस्पेस के पास कोई सक्रिय रॉकेट नहीं है। रूस के साथ चल रहे यूक्रेन संघर्ष और चीनी रॉकेटों की अनुपयुक्तता के चलते स्पेसएक्स एकमात्र विश्वसनीय विकल्प था।

भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं में नया कदम

GSAT N-2 के प्रक्षेपण से भारत की ब्रॉडबैंड क्षमताओं में सुधार होगा और यह उपग्रह डिजिटल इंडिया मिशन को नई गति देगा। स्पेसएक्स के साथ यह सहयोग भारत की वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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