गूगल ने भारत में 'न्यू इंडिया एग्रीमेंट' के तहत सेटलमेंट एप्लिकेशन दायर किया है, जिसमें अब स्मार्ट टीवी के लिए गूगल प्ले स्टोर और सेवाओं के अलग-अलग लाइसेंस उपलब्ध होंगे, जिससे निर्माता अपनी पसंद के ऐप्स का चयन कर सकेंगे।
गूगल, एक ऐसा नाम जिसे आज के डिजिटल युग में शायद ही कोई व्यक्ति अनजान हो, हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले के कारण सुर्खियों में है। गूगल पर एंटीट्रस्ट (प्रतिस्पर्धा विरोधी) मामलों का सामना किया जा रहा है, जहां गूगल पर आरोप लगाया गया है कि उसने अपने बाजार में गलत तरीके से एकाधिकार (मोनोपॉली) बनाए रखा। इसके चलते भारत में अब एक अहम बदलाव होने जा रहा है, जिसका सीधा असर स्मार्ट टीवी यूज़र्स पर पड़ेगा।
भारत में गूगल का 'एकाधिकार' खत्म
भारत की प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल के खिलाफ एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस फैसले के अनुसार, गूगल ने अपने प्रमुख स्थान का गलत तरीके से उपयोग किया है। इसका मतलब यह है कि अब एंड्रॉयड आधारित स्मार्ट टीवी में गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम (OS), गूगल प्ले स्टोर और अन्य प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को स्मार्ट टीवी में बंडल करना अनिवार्य नहीं होगा।
इसका सीधा असर यह है कि अब स्मार्ट टीवी निर्माता गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं होंगे। वे अपनी पसंद के किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे उपभोक्ताओं को और अधिक विकल्प मिलेंगे और प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
नए समझौते के तहत गूगल का लाइसेंस सिस्टम
गूगल ने भारत में प्रतिस्पर्धा आयोग के साथ एक समझौता किया है, जिसे "न्यू इंडिया एग्रीमेंट" कहा जा रहा है। इस समझौते के तहत गूगल अब स्मार्ट टीवी निर्माताओं को अलग-अलग लाइसेंस देगा, जिससे वे अपनी पसंद के हिसाब से गूगल के ऐप्स और प्ले स्टोर का उपयोग कर सकेंगे।
पहले, स्मार्ट टीवी निर्माता गूगल के ऐप्स और सेवाओं जैसे गूगल प्ले स्टोर और अन्य प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स को अपने टीवी में शामिल करने के लिए मजबूर थे। लेकिन अब, इस समझौते के बाद, निर्माता बिना किसी दबाव के अपने टीवी में वही ऐप्स और सेवाएं शामिल कर सकेंगे जो उन्हें सही लगे। इसका मतलब है कि टीवी निर्माता अब ज्यादा स्वतंत्र होंगे और उपभोक्ताओं को अधिक विविधता और बेहतर विकल्प मिलेंगे।
गूगल पर जुर्माना: 20.2 करोड़ रुपये
भारत में प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल पर 20.2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना एक सेटलमेंट (समझौते) का हिस्सा है, जिसमें गूगल को 15% की छूट भी दी गई है। यह मामला दो भारतीय वकीलों, क्षितिज आर्य और पुरुषोत्तम आनंद की शिकायत पर आधारित था, जिन्होंने गूगल, शाओमी इंडिया और टीसीएल इंडिया जैसी कंपनियों के खिलाफ शिकायत दायर की थी।
इन वकीलों ने आरोप लगाया था कि गूगल अपने बाजार में दबदबा बनाए रखने के लिए अपनी ताकत का गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहा था। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है और इससे स्मार्ट टीवी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
गूगल पर वैश्विक स्तर पर बढ़ता दबाव
भारत में हुए इस फैसले के अलावा, गूगल पर अमेरिका में भी दबाव बढ़ रहा है। वहां की एक अदालत ने यह फैसला सुनाया है कि गूगल ने डिजिटल विज्ञापन क्षेत्र में अपनी मोनोपॉली बनाए रखी है। अदालत का कहना था कि गूगल ने "जानबूझकर और योजनाबद्ध तरीके से" पब्लिशर एड सर्वर और एड एक्सचेंज जैसे महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म पर एकाधिकार बनाए रखा। इसका सीधा असर समाचार संस्थानों और डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स की कमाई पर पड़ा है।
यह स्थिति यह दिखाती है कि गूगल पर वैश्विक स्तर पर शिकंजा कसा जा रहा है। गूगल को अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करने के कारण गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या इस बदलाव का स्मार्ट टीवी उपयोगकर्ताओं पर असर होगा?
यह बदलाव स्मार्ट टीवी यूज़र्स के लिए एक बड़ी राहत का कारण बन सकता है। पहले, जहां टीवी निर्माता गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य थे, वहीं अब निर्माता अपनी पसंद के ऑपरेटिंग सिस्टम चुन सकते हैं। इसका मतलब यह है कि अब स्मार्ट टीवी यूज़र्स को गूगल के ऑपरेटिंग सिस्टम के बजाय अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के तहत काम करने वाले टीवी भी मिल सकते हैं, जो उनकी जरूरतों और बजट के अनुसार बेहतर हो सकते हैं।
क्या इस बदलाव से स्मार्ट टीवी के विकल्पों में बढ़ोतरी होगी?
जी हां, बिल्कुल। गूगल के ओएस को लेकर जो बंधन था, अब वह खत्म हो चुका है। इससे स्मार्ट टीवी निर्माता को अधिक स्वतंत्रता मिल रही है, और वे अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे कि रोकू, Fire TV, या Tizen जैसे विकल्पों को भी शामिल कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, स्मार्ट टीवी यूज़र्स को अब और भी अधिक विकल्प मिलेंगे, जिससे उन्हें अपनी पसंद के अनुसार बेहतरीन टीवी मिल सकेगा।
अब जब गूगल का दबदबा खत्म हो चुका है, तो स्मार्ट टीवी यूज़र्स के पास अधिक विकल्प होंगे। क्या आप इस बदलाव से खुश हैं? क्या आप चाहते हैं कि गूगल की जगह नए ऑपरेटिंग सिस्टम से लैस टीवी बाजार में आएं? स्मार्ट टीवी खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपके पास जो ऑपरेटिंग सिस्टम है, वह आपकी जरूरतों और सुविधाओं के हिसाब से सही हो।