अमेरिकी सरकार ने गूगल के खिलाफ अपनी जांच तेज कर दी है, और अब इस बात की संभावना जताई जा रही है कि गूगल को अपना सबसे पॉपुलर प्रोडक्ट, Chrome ब्राउज़र, बेचने का आदेश दिया जा सकता है। अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट से जुड़े कुछ गंभीर सवाल उठाए हैं और गूगल से जुड़ी प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों के बारे में कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की हैं।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, DOJ ने जज अमित मेहता से अनुरोध किया है कि वह गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम से संबंधित उपायों पर विचार करें। इससे पहले, अगस्त 2024 में जज मेहता ने गूगल के खिलाफ एक फैसला सुनाया था जिसमें कहा गया था कि गूगल ने अवैध तरीके से सर्च इंजन मार्केट पर एकाधिकार स्थापित किया हैं।
क्या है गूगल पर आरोप?
सरकारी वकीलों का कहना है कि गूगल का सर्च इंजन और Chrome ब्राउज़र का इस्तेमाल अन्य गूगल उत्पादों के प्रमोशन के लिए किया जा रहा है, जिससे प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। खासकर, छोटे और नए ब्राउज़र या सर्च इंजन कंपनियों के लिए यह काफी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि गूगल की डॉमिनेशन उन्हें बाजार में घुसने और बढ़ने का मौका नहीं देती। रिपोर्ट्स के मुताबिक, DOJ गूगल से कुछ अहम बदलावों की मांग कर सकता है, जिनमें एंड्रॉयड और गूगल प्ले को अलग करना, विज्ञापनदाताओं के साथ ज्यादा पारदर्शिता रखना, और वेबसाइटों को अधिक विकल्प देने की शर्तें शामिल हो सकती हैं।
गूगल क्रोम का भविष्य क्या होगा?
गूगल क्रोम वर्तमान में दुनिया का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ब्राउज़र है, और गूगल इसे अपने अन्य उत्पादों, जैसे सर्च, गूगल विज्ञापन, और यूट्यूब को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है। अब सवाल यह है कि अगर गूगल को अपनी इस प्रमुख संपत्ति को बेचना पड़ा, तो इसके क्या परिणाम होंगे। क्या गूगल को अपने ब्राउज़र पर आधारित अपना व्यावसायिक मॉडल बदलना पड़ेगा, या क्या इससे कंपनी की कुल रणनीति पर असर पड़ेगा?
आगे क्या होगा?
यह मामला अमेरिकी सरकार के बड़े टेक कंपनियों के खिलाफ जारी ऐंटी-ट्रस्ट जांच का हिस्सा है, जो प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और छोटे व्यवसायों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम है। इस जांच का गूगल और अन्य बड़ी टेक कंपनियों पर दूरगामी असर पड़ सकता है, और यह स्पष्ट करता है कि अमेरिकी सरकार इन कंपनियों की बाजार शक्ति पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं।
गूगल पर उठ रहे इन गंभीर सवालों के बीच, अब यह देखना होगा कि गूगल किस तरह से इस कानूनी लड़ाई का सामना करता है और क्या कंपनी अपने ब्राउज़र और अन्य उत्पादों के साथ किसी बड़े बदलाव के लिए तैयार होगी।
क्या हैं आरोप और DOJ की मांगें?
गूगल पर आरोप है कि वह अपने ब्राउज़र और सर्च इंजन की ताकत का इस्तेमाल अपने अन्य उत्पादों, जैसे कि Google Play और विज्ञापन सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए करता है। अमेरिकी सरकार का कहना है कि यह रणनीति छोटे व्यवसायों और प्रतिस्पर्धियों के लिए नुकसानदायक है क्योंकि इससे बाजार में समान अवसर पैदा नहीं हो पाते। DOJ ने जज अमित मेहता से गूगल के खिलाफ कुछ सख्त कदम उठाने का अनुरोध किया है, जिसमें गूगल को Chrome बेचने का आदेश देने की मांग की जा सकती हैं।
इसके अलावा, DOJ यह भी चाहता है कि गूगल अपने एंड्रॉयड और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम को अलग करे, ताकि वे अपने सर्च और विज्ञापन उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एकदूसरे पर निर्भर न हों। गूगल के खिलाफ यह कार्रवाई इस बात पर आधारित है कि कंपनी का एकाधिकार छोटे खिलाड़ियों के लिए प्रतिस्पर्धा को मुश्किल बना रहा हैं।
क्या यह गूगल के लिए संकट का समय है?
गूगल क्रोम दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला इंटरनेट ब्राउज़र है, और यह कंपनी के लिए एक प्रमुख व्यावसायिक टूल है। गूगल अपने अन्य उत्पादों जैसे सर्च इंजन, YouTube, और गूगल विज्ञापन के लिए क्रोम का उपयोग करता है। अगर गूगल को क्रोम बेचने का आदेश मिलता है, तो इससे कंपनी के व्यापार मॉडल पर गहरा असर पड़ सकता है। इसके अलावा, गूगल को एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम को अलग करने के लिए भी मजबूर किया जा सकता है, जिससे कंपनी के लिए अन्य सेवाओं के साथ तालमेल बिठाना और भी कठिन हो सकता हैं।