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1 किलो सोना, 1.5 किलो...चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर में रिकॉर्ड तोड़ चढ़ावा

1 किलो सोना, 1.5 किलो...चित्तौड़गढ़ के सांवलिया सेठ मंदिर में रिकॉर्ड तोड़ चढ़ावा

चित्तौड़गढ़ के श्री सांवलिया सेठ मंदिर में 22 अगस्त को खोले गए दानपात्र से 28 करोड़ से अधिक नकद, 1.835 किलो सोना और 143.78 किलो चांदी मिली। यह अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है।

चित्तौड़गढ़: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सुप्रसिद्ध श्री सांवलिया सेठ मंदिर में 22 अगस्त को खोले गए दानपात्र में भक्तों ने अपार श्रद्धा और आस्था के साथ रिकॉर्ड चढ़ावा अर्पित किया। नौ दिनों तक चली गिनती में 28 करोड़ से अधिक की राशि, 1.835 किलो सोना और 143.780 किलो चांदी समेत विदेशी मुद्रा भी प्राप्त हुई। इस चढ़ावे ने मंदिर के इतिहास में नए अध्याय की शुरुआत कर दी है।

मंदिर प्रशासन के अनुसार, दानपात्र की गिनती मंदिर मंडल के अधिकारी और अध्यक्ष व सदस्यों की मौजूदगी में आयोजित की गई। यह गिनती कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के राजभोग आरती के बाद शुरू हुई और नौ चरणों में पूरी हुई।

नौ चरणों में दान की गिनती

पहले चरण में 8 करोड़ 90 लाख रुपए, दूसरे चरण में 4 करोड़ 60 लाख, तीसरे चरण में 3 करोड़ 86 लाख 50 हजार रुपए निकाले गए। चौथे चरण में 2 करोड़ 50 लाख, पांचवें चरण में 2 करोड़ 10 लाख, छठे चरण में 84 लाख, सातवें चरण में 42 लाख, आठवें चरण में 1 करोड़ 50 लाख और नवें चरण में 22 लाख 12 हजार 206 रुपए गिनती में आए।

आमतौर पर दानपात्र की गिनती छह से सात राउंड में पूरी हो जाती है। लेकिन इस बार भक्तों की श्रद्धा के चलते नौ चरणों में राशि का बंटवारा हुआ, जो अब तक की सबसे लंबी गिनती है। इससे मंदिर में भक्तों की आस्था और उदारता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

सोना, चांदी और विदेशी मुद्रा का चढ़ावा

राशि के अलावा इस चढ़ावे में 1.835 किलो सोना और 143.780 किलो चांदी भी शामिल थी। इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा के नोट भी दानपात्र में प्राप्त हुए, जिससे मंदिर के खजाने में और भी समृद्धि आई।

मंदिर अधिकारियों ने बताया कि यह चढ़ावा भक्तों की गहरी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। भक्त अक्सर अपने बिजनेस और व्यक्तिगत काम में सांवलिया सेठ को भागीदार मानते हैं और मनोकामना पूरी होने पर इसका हिस्सा मंदिर में अर्पित करते हैं।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़

मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यह संख्या केवल धार्मिक उत्साह ही नहीं बल्कि आर्थिक योगदान में भी स्पष्ट होती है। इस बार नौ दिनों में हुई गिनती ने मासिक भंडार को 28 करोड़ रुपए पार करवा दिया।

भक्त बताते हैं कि सांवलिया सेठ को अपने जीवन और व्यवसाय का पार्टनर मानकर चढ़ावा देना एक प्राचीन परंपरा है। इसे पूरा करने के बाद श्रद्धालु मंदिर में आकर अपनी मनोकामना के अनुसार चढ़ावा अर्पित करते हैं।

आस्था और श्रद्धा का केंद्र

सांवला सेठ मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं बल्कि श्रद्धा और विश्वास का भी प्रतीक है। भक्तों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि सांवलिया सेठ आज भी लोगों के दिलों में विशेष स्थान रखते हैं।

मंदिर प्रशासन ने सभी भक्तों का आभार व्यक्त किया और बताया कि इस विशाल चढ़ावे से मंदिर के धार्मिक कार्यों और समाज कल्याण के कार्यक्रमों को और प्रभावी बनाया जाएगा। यह घटना ना केवल मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाली है बल्कि भक्तों की आस्था और उदारता का भी जीवंत उदाहरण पेश करती है।

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