संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। इससे पहले केंद्र सरकार ने 20 जुलाई को सभी दलों की बैठक बुलाई है, जिसमें सत्र के संभावित मुद्दों और विधेयकों पर चर्चा होगी। बिहार की एसआईआर प्रक्रिया, ऑपरेशन सिंदूर और भाषा विवाद जैसे मसलों पर सत्र के दौरान तीखी बहस और विपक्ष के विरोध की संभावना जताई जा रही है।
सर्वदलीय बैठक में होगी सत्र की रूपरेखा तय
केंद्र सरकार ने 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले 20 जुलाई को सुबह 11 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। इस बैठक में लोकसभा और राज्यसभा के सभी प्रमुख दलों के फ्लोर लीडर्स को आमंत्रित किया गया है।
बैठक का उद्देश्य सत्र के दौरान प्रस्तावित विधेयकों, राष्ट्रीय मुद्दों और बहसों को लेकर राजनीतिक सहमति बनाना है। सरकार संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए विपक्ष से सहयोग की अपील कर सकती है।
बिहार की एसआईआर प्रक्रिया पर उठ रहे सवाल
मानसून सत्र के दौरान बिहार में चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष मतदाता पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) प्रक्रिया को लेकर विपक्ष सरकार से जवाब मांग सकता है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि इस प्रक्रिया में मतदाताओं से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो हर व्यक्ति के पास नहीं हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की आशंका जताई जा रही है।
विपक्ष की मांग है कि आधार कार्ड के साथ-साथ मनरेगा जॉब कार्ड और अन्य सरकारी पहचान पत्रों को भी वैध दस्तावेजों में शामिल किया जाए।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद में बहस तय
एक और संभावित विवादित मुद्दा 'ऑपरेशन सिंदूर' है। यह सैन्य कार्रवाई उस वक्त की गई थी जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का दावा किया था।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने विदेशी दबाव में आकर यह फैसला लिया था, जबकि सरकार का कहना है कि सीजफायर प्रस्ताव पाकिस्तान की ओर से आया था और इसमें किसी बाहरी ताकत की भूमिका नहीं थी।
इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की संभावना है क्योंकि विपक्ष इससे जुड़े फैसलों की पारदर्शिता और भारत की रणनीतिक नीति पर सवाल उठा रहा है।
भाषा विवाद भी रहेगा केंद्र में
महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भाषा को लेकर हालिया विवादों के कारण यह मुद्दा भी मानसून सत्र में गूंज सकता है। विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र सरकार देश पर एक भाषा थोपने की कोशिश कर रही है।
हाल ही में महाराष्ट्र में भाषा नीति को लेकर सरकार को विरोध के बाद अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था। संसद में इस विषय पर क्षेत्रीय भाषाओं की सुरक्षा और उनकी संवैधानिक स्थिति को लेकर बहस की संभावना है।
सांसदों के लिए डिजिटल हाजिरी प्रणाली
इस मानसून सत्र से लोकसभा में सांसदों की उपस्थिति के लिए डिजिटल प्रणाली शुरू की जा रही है। अब सांसद अपनी सीट से ही उपस्थिति दर्ज कर सकेंगे। पहले यह व्यवस्था रजिस्टर में हस्ताक्षर के माध्यम से होती थी।
लोकसभा सचिवालय के अनुसार, यह कदम संसद की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।