जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने चिराग पासवान के “243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा” बयान को चुनौती दी। उन्होंने कहा, NDA गठबंधन भरोसे पर चलता है, सीट शेयरिंग जल्द तय होगी और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित हो चुका है।
Bihar Election: केंद्रीय मंत्री और LJP (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि उनका गठबंधन सिर्फ बिहार की जनता से है। इस पर JDU प्रवक्ता नीरज कुमार ने पलटवार करते हुए कहा कि गठबंधन विश्वास पर चलता है और मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार पहले ही NDA की ओर से तय हो चुके हैं।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्र सरकार में मंत्री चिराग पासवान ने बिहार की राजनीति में नया भूचाल ला दिया है। आरा में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि उनका गठबंधन किसी राजनीतिक दल के साथ नहीं, बल्कि सीधे बिहार की जनता से है। उन्होंने कहा, “मैं बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ूंगा।”
नीरज कुमार का तीखा पलटवार
चिराग के इस बयान पर JDU के वरिष्ठ प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि एलजेपी-रामविलास NDA का घटक दल है और गठबंधन केवल बयानबाजी से नहीं चलता, वह विश्वास और साझेदारी पर आधारित होता है। नीरज कुमार ने साफ कहा, “हर दल अपनी तैयारी करता है, लेकिन अंतिम निर्णय NDA का केंद्रीय नेतृत्व लेता है। गठबंधन में नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री चेहरा होंगे, ये पहले ही तय हो चुका है।”
क्या है चिराग का ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ एजेंडा?
अपने संबोधन में चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने पसंदीदा नारे ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ को दोहराया। उन्होंने कहा कि उनका मकसद बिहार के युवाओं को राज्य के भीतर ही बेहतर शिक्षा और रोजगार देना है ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी इस सोच को तोड़ने की साजिश रची गई थी — “परिवार और पार्टी तोड़ी गई, लेकिन मैं न झुकने वाला हूं न टूटने वाला।”
क्या बढ़ रही है एलजेपी-रामविलास और जेडीयू में दूरी?
2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों के अनुभवों को देखते हुए यह कहना जल्दबाजी होगी कि चिराग पासवान NDA से बाहर जा सकते हैं। लेकिन यह भी सच है कि 2020 में एलजेपी (तब की यूनिफाइड पार्टी) ने JDU के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर नीतीश कुमार को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। अब 2025 से पहले चिराग के 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान से एक बार फिर वही विवाद गहराता दिख रहा है।
क्या यह सीट शेयरिंग की दबाव रणनीति है?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान का यह बयान सीधे तौर पर किसी गठबंधन तोड़ने की मंशा नहीं दिखाता, बल्कि यह सीट बंटवारे से पहले दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है। अगर एलजेपी-रामविलास को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलतीं, तो वे स्वतंत्र रूप से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर सकते हैं।