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मुंबई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक रिटायर, सिल्वर स्क्रीन पर भी छाया असर

मुंबई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक रिटायर, सिल्वर स्क्रीन पर भी छाया असर

मुंबई पुलिस के मशहूर एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक ने 80 से अधिक मुठभेड़ों में भाग लेकर अंडरवर्ल्ड के कई गैंगस्टरों का अंत किया। हाल ही में एसीपी पद पर प्रमोट हुए नायक ने 31 जुलाई को रिटायरमेंट लिया।

Daya Nayak: मुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में जहां अपराध और अपराधी दोनों नई चाल चलते हैं, वहीं एक नाम ऐसा भी था जिसे सुनते ही अंडरवर्ल्ड के बड़े-बड़े गैंगस्टर कांपने लगते थे— दया नायक। गुरुवार 31 जुलाई 2025 को, यह नाम अब वर्दी से जुड़ा नहीं रहेगा, क्योंकि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में चर्चित हुए दया नायक आज पुलिस सेवा से रिटायर हो गए। दो दिन पहले ही उन्हें सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) के पद पर प्रमोशन दिया गया था, लेकिन वर्दी पहनने का यह सम्मान उन्हें अंतिम बार मिला।

80 से अधिक एनकाउंटर, आतंक का अंत

दया नायक ने अपने करियर में करीब 80 एनकाउंटर किए, जिनमें से अधिकांश मुंबई अंडरवर्ल्ड के दुर्दांत अपराधियों के खिलाफ थे। उन्होंने दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और उनके जैसे कई खतरनाक गैंगस्टरों के नेटवर्क को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। 90 के दशक में जब मुंबई में अपराध अपने चरम पर था, तब दया नायक जैसे जांबाज अफसरों ने मोर्चा संभाला और कई आपराधिक संगठनों की रीढ़ तोड़ दी।

कौन हैं दया नायक?

कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कोंकणी परिवार में जन्मे दया नायक ने 1995 में मुंबई पुलिस जॉइन की। मेहनत, ईमानदारी और जोखिम उठाने की हिम्मत ने उन्हें जल्द ही स्पेशल यूनिट्स में जगह दिलाई। वे एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) का हिस्सा भी रहे। साल 2021 में जब मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक वाली कार और मनसुख हिरेन की हत्या का मामला सामने आया, तब भी दया नायक की टीम ने जांच में अहम सुराग जुटाए।

मुठभेड़ों से बनी पहचान

दया नायक उन गिने-चुने अफसरों में से हैं जिन्हें ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ की उपाधि दी गई। उनके द्वारा किए गए ऑपरेशनों में अपराधियों की गिरफ्तारी से ज़्यादा, उनका अंत होता था। मुंबई के कई गैंगवार उनकी त्वरित कार्रवाई की वजह से ही शांत हुए। उनके नाम पर कई बार विवाद भी उठे—क्या ये मुठभेड़ें फर्जी थीं? क्या ये कानून से ऊपर थीं? लेकिन एक बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनकी मौजूदगी भर से अपराधियों में डर था।

विवादों में भी रहा नाम

साल 2006 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने उन पर आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था। इसके चलते उन्हें लगभग 6.5 साल के लिए निलंबित भी कर दिया गया था। हालांकि, बाद में वे आरोपों से मुक्त होकर पुलिस सेवा में वापस लौटे और एक बार फिर से अपराध के खिलाफ अपने मिशन में जुट गए।

सिल्वर स्क्रीन पर भी छाया असर

दया नायक की लोकप्रियता और बहादुरी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके जीवन से प्रेरित कई फिल्में बनाई गईं।

  • ‘अब तक छप्पन’ (2004), जिसमें नाना पाटेकर ने उनके जैसे किरदार को निभाया
  • ‘गोलीमार’ (तेलुगु)
  • ‘रिस्क’, ‘एनकाउंटर दयानायक’, ‘आन: मेन एट वर्क’, ‘डिपार्टमेंट’ जैसी फिल्मों ने भी उनकी छवि को पर्दे पर जीवंत किया।

प्रमोशन और विदाई: गर्व भरे लम्हे

रिटायरमेंट से ठीक दो दिन पहले मंगलवार को उन्हें ACP के पद पर प्रमोट किया गया। यह सम्मान उनके करियर के समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा की पहचान है। उन्होंने कहा: 'कृतज्ञता और गर्व के साथ, मैं यह बताना चाहता हूं कि मुझे एसीपी के पद पर प्रमोट किया गया है। यह मेरे लिए गर्व और संतोष का विषय है कि मैंने अपने राज्य और देश की सेवा पूरे समर्पण से की।' रिटायरमेंट से एक दिन पहले उन्होंने वर्दी पहनी और ट्वीट किया: 'यह क्षण गहरे गर्व का है। यह केवल प्रमोशन नहीं, बल्कि जीवन भर की सेवा, अनुशासन और समर्पण का प्रतीक है। जय हिंद, जय महाराष्ट्र।'

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