दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड को सख्त निर्देश दिए हैं कि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि सिर्फ उत्पाद की मात्रा बढ़ाने या अन्य तरीकों से फायदा दिखाना पर्याप्त नहीं है।
नई दिल्ली: हिंदुस्तान यूनिलिवर से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जीएसटी दरों में कमी का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि कीमतों में कटौती होना जरूरी है और सिर्फ प्रोडक्ट की मात्रा बढ़ाकर पुरानी कीमत बरकरार रखना सही तरीका नहीं है। यह फैसला हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड की एक वितरण कंपनी, मेसर्स शर्मा ट्रेडिंग, की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि जीएसटी दरों में कटौती का मूल उद्देश्य सामान को आम लोगों की खरीद क्षमता के अनुकूल बनाना है। इसलिए इसका उद्देश्य तभी पूरा होगा जब कीमतों में वास्तविक कमी की जाए।
क्या है मामला?
यह मामला वैसलीन उत्पादों से जुड़ा है। साल 2017 में जीएसटी दरों में बदलाव के बाद वैसलीन पर लगने वाला टैक्स 28% से घटाकर 18% कर दिया गया था। इस बदलाव के बावजूद हिंदुस्तान यूनिलिवर ने उत्पाद की कीमतें लगभग समान रखीं। कीमत कम करने की बजाय कंपनी ने उत्पाद की मात्रा बढ़ा दी और बेस प्राइस 14.11 रुपये प्रति यूनिट तक बढ़ा दिया।
इसके चलते राष्ट्रीय मुनाफाखोरी प्राधिकरण ने 2018 में कंपनी पर 18% ब्याज के साथ जुर्माना लगाया और 5,50,186 रुपये उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा करने का आदेश दिया। कंपनी ने इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया और जुर्माना बरकरार रखा।
दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय
23 सितंबर 2025 को सुनाए गए फैसले में न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति शैल जैन की पीठ ने कहा, जीएसटी दरों में कटौती का मुख्य उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं को खरीदारों के लिए अधिक किफायती बनाना है। कीमतें बरकरार रखते हुए मात्रा बढ़ाना या अन्य तरीके अपनाना धोखाधड़ी के समान है। यह उपभोक्ता के विकल्पों को सीमित करता है और जीएसटी में कटौती का वास्तविक उद्देश्य बेअसर होता है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उत्पाद की कीमतों में कटौती अनिवार्य है, ताकि टैक्स में कमी का फायदा सीधे लोगों तक पहुंचे। दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्णय 22 सितंबर, 2025 से प्रभावी हुए नए जीएसटी ढांचे के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नए कर ढांचे में बहु-स्लैब प्रणाली को संशोधित करके मुख्य रूप से दो दरें: 5% और 18% लागू की गई हैं।
विलासिता और अशुद्ध वस्तुओं के लिए 40% की दर निर्धारित की गई है। इस बदलाव के साथ, न्यायालय ने संकेत दिया है कि अब कंपनियों को समान्य और उचित मूल्य निर्धारण का पालन करना होगा।