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30 की उम्र में हाई बीपी का खतरा: रामदेव के योगिक फॉर्मूले से पाएं राहत और बचाव

30 की उम्र में हाई बीपी का खतरा: रामदेव के योगिक फॉर्मूले से पाएं राहत और बचाव

बरसाती मौसम सुहावना जरूर लगता है, लेकिन उमस, बदलता तापमान और जगह–जगह जमा पानी युवाओं को जिम, पार्क या रनिंग ट्रैक से दूर कर देता है। भारत के लगभग 50% युवा पहले से ही फिजिकल एक्टिविटी में कोताही बरत रहे हैं; मॉनसून का आलस इस समस्या को और गहरा बनाता है। जब शरीर नहीं चलता, नसों में रक्त धीमा पड़ता है, धमनियों की दीवारें सख़्त होती हैं और बीपी का मीटर तेज़ी से चढ़ जाता है। हालिया रिपोर्ट बताती है कि 30-32 साल के युवाओं में पैरालिसिस और ब्रेन स्ट्रोक के केस दोगुने हो रहे हैं—मुख्य वजह लगातार ऊँचा बीपी।

हाई बीपी को हल्के में क्यों नहीं लेना चाहिए?

हाइपरटेंशन का पहला निशाना हमारा दिल और दिमाग़ है। लगातार ऊँचा रक्तचाप दिल की मांसपेशी मोटी करता है, जिससे हार्ट अटैक का ख़तरा 3 गुना तक बढ़ जाता है। दूसरी तरफ ब्रेन की पतली रक्तवाहिनियाँ फटने या ब्लॉक होने पर पैरालिसिस, बोलचाल में दिक्कत और स्थायी विकलांगता का कारण बनती हैं। आंखों की रेटिना, किडनी के फिल्टर और पूरे तंत्रिका तंत्र पर भी इसका सीधा दबाव पड़ता है। डराने वाली बात यह है कि हाई बीपी वाले आधे से ज़्यादा मरीजों को अपना वास्तविक स्तर मालूम ही नहीं होता, क्योंकि शुरुआती लक्षण बेहद मामूली—or कभी-कभी शून्य—हो सकते हैं।

पहचानिए शुरुआती संकेत

  • सुबह उठते ही सिर भारी या धुकधुकी
  • सीढ़ियाँ चढ़ते समय सांस फूलना या सीने में कसाव
  • आंखों के सामने धुंधला दिखना या तारे चमकना
  • कान में लगातार सायं-सायं या घंटी जैसी आवाज़
  • हथेलियों-तलवों में झुनझुनी, दिल की धड़कन तेज

इन लक्षणों को बार-बार नज़रअंदाज़ करना भविष्य में बड़े खतरे का न्यौता है। महीने में एक बार डिजिटल बीपी मापकर आँकड़े लिखना सबसे सरल सुरक्षा कवच है।

हाई बीपी के पाँच मुख्य कारण

  1. बैठे-ठाले की जीवनशैली: रोज़ 5000 से कम कदम चलना।
  2. असंतुलित डाइट: जंक फूड, प्रोसेस्ड मीट, चीनी व नमक भरे पेय।
  3. धूम्रपान और अल्कोहल: निकोटिन रक्तवाहिनियों को संकुचित करता, शराब शरीर को डीहाइड्रेट।
  4. क्रॉनिक स्ट्रेस: देर रात काम, स्क्रीन ओवरलोड, रिलेशनशिप प्रेशर।
  5. परिवारिक प्रवृत्ति एवं मोटापा: माता-पिता को हाइपरटेंशन रहा है तो जोखिम दुगना, हर 1 किलो अतिरिक्त फैट बीपी को औसतन 1 मिमी Hg बढ़ाता है।

जब बीपी ऊँचा हो तो इन आसनों से बचें

  • शीर्षासन व सर्वांगासन: सिर में रक्त प्रवाह अचानक बढ़ाते हैं।
  • कठोर पावर योग या हाई-इंटेंसिटी वेट ट्रेनिंग: धमनियों पर तीव्र दबाव।
  • दंड-बैठक (बर्पी जैसे तेज़ व्यायाम): हार्ट रेट को झटके से उछालते हैं।

हाई बीपी कंट्रोल करने के लिए स्वामी रामदेव के आसान योग 

समय: सुबह खाली पेट या शाम को भोजन से 3 घंटे बाद।

1. अनुलोम-विलोम (5 मिनट)

कैसे करें: एक नाक से सांस लें और दूसरी से छोड़ें। फिर दूसरी से लें और पहली से छोड़ें।

फायदा:

  • नसों में खून का बहाव ठीक होता है।
  • तनाव और बीपी दोनों कम होता है।

2. कपालभाति (3 मिनट)

कैसे करें: पेट को झटके से अंदर की तरफ खींचें और सांस को बाहर फेंके। लगातार करें।

फायदा:

  • पेट की चर्बी कम होती है।
  • ब्लड शुगर और बीपी में सुधार होता है।

3. भ्रामरी (2 मिनट)

कैसे करें: सांस भरें और मुंह बंद करके मधुमक्खी जैसी “ऽऽऽऽऽ” ध्वनि निकालें।

फायदा:

  • दिमाग शांत होता है।
  • नसों की झनझनाहट और चिड़चिड़ापन कम होता है।

4. शशांकासन (5 मिनट)

कैसे करें: घुटनों के बल बैठ जाएं, आगे झुकें और माथा ज़मीन पर लगाएं।

फायदा:

  • कमर और रीढ़ को आराम मिलता है।
  • ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है।

5. मकरासन (5 मिनट)

कैसे करें: पेट के बल लेटें, ठोड़ी हाथों पर टिकाएं और शरीर को ढीला छोड़ दें।

फायदा:

  • दिल और दिमाग पर दबाव कम होता है।
  • हाई बीपी और स्ट्रेस से राहत मिलती है।

6. योग निद्रा (10 मिनट)

कैसे करें: पीठ के बल लेटें, आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह रिलैक्स करें। धीरे-धीरे हर अंग को महसूस करें।

फायदा:

  • नींद बेहतर होती है।
  • टेंशन और थकावट दूर होती है।

कुल समय: लगभग 30 मिनट—पर नतीजे चौंकाने वाले।

आयुर्वेदिक-आहार फॉर्मूला

  • अर्जुन छाल काढ़ा: 1 चम्मच पिसी छाल + 200 मि.ली. पानी; उबालकर छानें, रात को सोने से पहले पिएँ। यह हृदय की मांसपेशी को मज़बूती देता है।
  • तुलसी-दालचीनी वॉटर: सुबह खाली पेट 5 तुलसी पत्ते, 2 ग्राम दालचीनी को हल्का उबालकर पीने से ब्लड लिपिड कम होता है।
  • सोडियम सीमा: कुल 5 ग्राम से अधिक नमक (करीब एक छोटी चम्मच) न लें; पैकेट स्नैक्स में छुपे सोडियम पर नज़र रखें।
  • रंग-बिरंगी थाली: आधी थाली पत्तेदार सब्जियाँ व फल, चौथाई साबुत अनाज (ब्राउन राइस, जौ, बाजरा), बाक़ी प्रोटीन (दाल, पनीर, मूँगफली)।
  • पानी की गोल्डन रूल: दिन में 2.5-3 लीटर; कॉफी-कोला को पानी नहीं माने।

दिनचर्या में छोटे लेकिन असरदार बदलाव

  • 20-20-20 नियम: लैपटॉप पर 20 मिनट काम के बाद 20 सेकंड खड़े होकर 20 फीट दूर देखें; आंख व गर्दन की नसों पर दबाव कम होता है।
  • सीढ़ियाँ चुनें: लिफ्ट छोड़कर रोज़ 5 मिनट सीढ़ियाँ; यह मिनी-कार्डियो हाई बीपी को धीमे-धीमे डाउनट्रेंड में लाता है।
  • खाना समय से: रात का भोजन सोने से कम-से-कम 2 घंटा पहले; देर रात भोजन सिस्टोलिक बीपी बढ़ाता है।
  • डिजिटल डिटॉक्स: हफ्ते में एक दिन 6 घंटे बिना सोशल मीडिया; मानसिक दबाव सत्ताईस प्रतिशत तक घटता है।
  • वज़न मॉनिटर: हर शनिवार सुबह खाली पेट वजन नोट करें; 1 किलो कम होते ही बीपी करीब 1 पॉइंट नीचे आता है।

30 की दहलीज़ पर हाई बीपी अब 'बूढ़ों की बीमारी' नहीं रहा; यह युवा नसों में साइलेंट किलर बनकर घुस चुका है। अच्छी खबर यह है कि शरीर की नसें पुनर्जीवन की गजब क्षमता रखती हैं—बशर्ते आप रोज़ आधा घंटा योग, संतुलित भोजन, पर्याप्त पानी और स्ट्रेस-मुक्त सोच को जीवनशैली में गूँथ दें। याद रखें, दवा की जगह योग और आहार से यदि बीपी नियंत्रित हो जाए तो न केवल पैरालिसिस का खतरा घटेगा, बल्कि दिल-दिमाग मिलकर आपको लंबे समय तक ऊर्जावान बनाए रखेंगे। आज ही बीपी मापें, छोटे कदम उठाएँ और अपने शरीर को धन्यवाद देने का मौका दें—क्योंकि स्वस्थ नसों में दौड़ता खून ही असली जीवनशक्ति है।

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