महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के पूर्वी हिस्से को पश्चिमी कोंकण से जोड़ने वाले 802 किलोमीटर लंबे ‘शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे’ को मंजूरी दे दी है। यह हाई-स्पीड कॉरिडोर नागपुर से गोवा के बीच यात्रा का समय 18 घंटे से घटाकर महज 8 घंटे कर देगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल बैठक में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को स्वीकृति दी गई।
₹20,787 करोड़ की लागत से होगा निर्माण
इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹20,787 करोड़ है और इसे महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। भूमि अधिग्रहण के लिए HUDCO ने ₹12,000 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया है। सरकार का कहना है कि यह प्रोजेक्ट न केवल यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से भी राज्य को मजबूती देगा।
12 जिलों से होकर गुजरेगा हाईवे
यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे वर्धा के पवनार से शुरू होकर सिंधुदुर्ग के पात्रादेवी तक पहुंचेगा, जो महाराष्ट्र को गोवा से जोड़ेगा। यह वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, नांदेड़, परभणी, बीड, लातूर, धाराशिव, सोलापुर, सांगली, कोल्हापुर और सिंधुदुर्ग जिलों से होकर गुजरेगा। परियोजना से इन इलाकों में औद्योगिक, सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों को गति मिलने की उम्मीद है।
धार्मिक स्थलों को भी जोड़ेगा शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे
शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे का उद्देश्य केवल ट्रैफिक सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मार्ग राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों को भी जोड़ेगा। अंबाजोगाई, औंधा नागनाथ, परली वैजनाथ जैसे दो ज्योतिर्लिंगों के अलावा करंजा-लाड, अक्कलकोट, औदुम्बर, नरसोबाची वाड़ी, माहुर, तुलजापुर, कोल्हापुर और पंढरपुर जैसे आध्यात्मिक स्थलों तक आसान पहुंच बनेगी। इससे धार्मिक पर्यटन को खासा बढ़ावा मिलेगा।
सरकार का जोर संवाद और पारदर्शिता पर
मुख्यमंत्री ने परियोजना की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जहां भी स्थानीय विरोध सामने आ रहा है, वहां किसानों और प्रभावितों से संवाद कर पारदर्शी तरीके से समाधान निकाला जाए ताकि काम बिना विवाद के आगे बढ़े।
मंत्रिमंडल के अन्य फैसले
मंत्रिमंडल की बैठक में अन्य दो महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए। अनुसूचित जनजाति के छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थियों को मिलने वाले भत्ते में वर्षों से लंबित संशोधन को मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही पिंपरी-चिंचवाड़ के चिखली क्षेत्र में अपजल शोधन संयंत्र के लिए 7,000 वर्ग मीटर आरक्षित भूमि के आवंटन को भी स्वीकृति दी गई।
राज्य सरकार का मानना है कि शक्तिपीठ एक्सप्रेसवे न सिर्फ यातायात और धार्मिक यात्रा को सरल बनाएगा, बल्कि यह परियोजना ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के लिए विकास का सेतु साबित होगी। यह निर्णय महाराष्ट्र को अधोसंरचना और सांस्कृतिक दृष्टि से एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।