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अखिलेश यादव के आरोपों पर डीएम का जवाब: जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी में मतदाता सूची गड़बड़ी से किया इनकार

अखिलेश यादव के आरोपों पर डीएम का जवाब: जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी में मतदाता सूची गड़बड़ी से किया इनकार

अखिलेश यादव के 2022 विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची गड़बड़ी के आरोपों का जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी के जिलाधिकारियों ने खंडन किया। तीनों डीएम ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए कहा कि मतदाता नाम हटाने की कार्रवाई नियमानुसार हुई थी।

Lacknow: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के आरोपों पर जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी के जिलाधिकारियों ने मंगलवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जवाब दिया। यादव ने 2022 के विधानसभा चुनावों में मतदाता सूची से नाम काटने में गड़बड़ी का आरोप लगाया था। डीएम्स ने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम हटाए गए, वे या तो मृतक थे या उनके नाम सूची में दोहराए गए थे। वहीं, अखिलेश यादव ने निर्वाचन आयोग पर पलटवार करते हुए कहा कि डीएम को आगे करके आयोग खुद को बचा नहीं सकता।

जिलाधिकारियों ने दी सफाई

कासगंज के डीएम प्रणय सिंह ने बताया कि अमांपुर विधानसभा क्षेत्र में आठ मतदाताओं के नाम को लेकर शिकायत मिली थी। जांच में पाया गया कि सात नाम दोहराए गए थे और एक मतदाता की मृत्यु हो चुकी थी। इसलिए नियमानुसार कार्रवाई की गई।

जौनपुर के डीएम दिनेश चंद्र ने भी स्पष्ट किया कि जिन पांच नामों को हटाया गया, वे 2022 से पहले ही मृत हो चुके थे। इस तथ्य की पुष्टि परिवार और स्थानीय लोगों ने की थी।

बाराबंकी के डीएम शशांक त्रिपाठी ने कहा कि कुर्सी विधानसभा क्षेत्र के दो मतदाताओं के नाम अभी भी मतदाता सूची में दर्ज हैं, आरोप निराधार हैं।

अखिलेश यादव का पलटवार

जिलाधिकारियों के जवाब आने के बाद अखिलेश यादव ने दोबारा निर्वाचन आयोग को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि आयोग जिलाधिकारियों को आगे कर अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहा है। अखिलेश ने आरोप लगाया कि सच्चाई छुपाने के लिए अधिकारियों को ढाल बनाया जा रहा है।

यादव ने दावा किया कि उनकी पार्टी ने मतदाता सूची से नाम कटने को लेकर करीब 18,000 शपथपत्र जमा किए थे। इसके बावजूद भाजपा सरकार और आयोग ने उनमें से किसी एक का भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

निर्वाचन आयोग पर सवाल

अखिलेश यादव ने निर्वाचन आयोग को चुनौती देते हुए कहा कि जिलाधिकारी यह साबित करें कि मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए जिन मृतक प्रमाणपत्रों का हवाला दिया गया, वे वास्तव में कहां हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सपा के आरोप गलत थे तो अधिकारियों को सफाई देने में पूरे तीन साल क्यों लग गए।

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