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Crude Oil Market: अमेरिकी-चीन तनाव में नरमी से तेल की कीमतों में उछाल, निवेशकों में राहत का माहौल

Crude Oil Market: अमेरिकी-चीन तनाव में नरमी से तेल की कीमतों में उछाल, निवेशकों में राहत का माहौल

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव में नरमी के संकेत मिलने से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है। ब्रेंट क्रूड 63 डॉलर और WTI 60 डॉलर के आसपास पहुंच गए। निवेशकों के बीच राहत का माहौल है, हालांकि अधिक सप्लाई और OPEC+ के उत्पादन बढ़ाने की आशंका के कारण बाजार पूरी तरह स्थिर नहीं हुआ है।

Crude Oil: सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव में नरमी के संकेत मिले। ब्रेंट क्रूड 63 डॉलर प्रति बैरल और WTI 60 डॉलर के आसपास पहुंच गए। राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के साथ समझौते की संभावना जताई, जिससे निवेशकों में राहत का माहौल बना। हालांकि OPEC+ देशों के उत्पादन बढ़ाने और चीन के नए पोर्ट शुल्क की वजह से बाजार में सप्लाई पर दबाव बना हुआ है। विशेषज्ञ इसे फिलहाल ‘टेक्निकल रिबाउंड’ मान रहे हैं, असली बदलाव तब होगा जब अमेरिका-चीन के बीच कोई ठोस समझौता होगा।

अमेरिका-चीन वार्ता से मिली उम्मीद

पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 100 प्रतिशत तक नए टैरिफ लगाने और महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लागू करने की घोषणा की थी। इसके जवाब में चीन ने अमेरिकी जहाजों पर नए पोर्ट शुल्क और रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर नियंत्रण की घोषणा की। हालांकि, रविवार को दोनों देशों की ओर से वार्ता की संभावना जताई गई। इस संकेत ने बाजार में हल्की स्थिरता और तेल की कीमतों में उछाल का रास्ता खोला।

तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव

ब्रेंट क्रूड 63 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया, जबकि WTI 60 डॉलर के आसपास ट्रेड कर रहा था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी फिलहाल 'टेक्निकल रिबाउंड' है। असली बदलाव तभी आएगा जब अमेरिका और चीन के बीच कोई ठोस समझौता होगा। निवेशकों ने इस उछाल को अस्थायी राहत के रूप में देखा।

वैश्विक सप्लाई पर असर

चीन की ओर से अमेरिकी जहाजों पर लगाए गए शुल्कों ने शिपिंग दरों में अचानक उछाल पैदा किया। कुछ तेल टैंकरों की बुकिंग रद्द करनी पड़ी, जिससे सप्लाई चेन पर असर पड़ा। वहीं, OPEC+ देशों द्वारा तेल उत्पादन बढ़ाए जाने से बाजार में ज्यादा सप्लाई (ग्लट) की संभावना बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सप्लाई लगातार बढ़ती रही तो तेल की कीमतों पर दबाव पड़ सकता है।

यूक्रेन और रूस का भी असर

अमेरिका ने कहा है कि वह यूक्रेन को लंबी दूरी की टॉमहॉक मिसाइलें देने पर विचार कर सकता है। इससे रूस के खिलाफ दबाव बढ़ सकता है और तेल सप्लाई पर भी असर पड़ सकता है। बाजार विश्लेषक मानते हैं कि यह भी तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का एक कारण है।

निवेशकों का रुख

हालांकि बाजार में तेजी आई है, लेकिन निवेशक सावधानी बरत रहे हैं। अमेरिकी-चीन समझौते के बिना असली स्थिरता आने की संभावना कम है। इस बीच ट्रेडिंग हाउस और कमोडिटी एक्सपर्ट निवेशकों को अलर्ट मोड में रहने की सलाह दे रहे हैं।

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