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इलाहाबाद विश्वविद्यालय- "पूरब का ऑक्सफोर्ड" की महिमा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय-

परिचय
 स्थापना: 23 सितंबर 1887 को स्थापित, यह भारत का चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास के बाद।  इसकी जड़ें म्यूर सेंट्रल कॉलेज में हैं, जिसकी आधारशिला 9 दिसंबर 1873 को रखी गई थी। संक्षेप में इसे “पूरब का ऑक्सफोर्ड” भी कहा जाता रहा है।ऐतिहासिक संरचना और विस्तारआरंभिक पूंजी ₹5,240/- थी, जो दो वर्षों में चुकाई गई। विश्वविद्यालय अपनी रविवार, प्रवेश पत्रों और कैलेंडर के जरिए वित्तीय रूप से सक्षम रहा।1909 में, वर्तमान पुस्तकालय, सीनेट हॉल, लॉ कॉलेज आदि के लिए स्थानीय दीवारों का चयन हुआ। इनकी नींव 17 जनवरी 1910 में रखी गई और निर्माण 1915 में संपन्न हुआ।महत्त्वपूर्ण 
विभाग और प्रतिष्ठान

प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग (Ancient History, Culture & Archaeology): मई 1955 में स्थापित, यह भारत का पहला ऐसा विश्वविद्यालय विभाग था जिसे ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से खुदाई Centre of Behavioural and Cognitive Sciences (CBCS): 2002 में स्थापित यह विश्वविद्यालय 132 साल पुराने पिछले गौरवशाली विश्वविद्यालय ने हाल ही में NIRF रैंकिंग में अपनी इंजीनियरिंग रैंक में 100 स्थानों की छलांग लगाई है।—साथ ही, New Education Policy (NEP) के तहत चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों का शुभारंभ भी हो रहा है। PG प्रवेश प्रक्रिया स्वायत्ता हासिल कर रही है और UG प्रवेश CUET के माध्यम से ही जारी रहेगा।आधारित शोध केंद्र है, जिसमें आधुनिक लैब्स और उच्च गुणवत्ता वाले संसाधन मौजूद हैं।

उर्दू विभाग की स्थापना: 1924 में प्रो. जामिन अली द्वारा भारत का पहला उर्दू विभाग स्थापित किया गया, जिसने MA और PhD पाठ्यक्रमों की शुरुआत की।

आधुनिक उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ

NAAC ग्रेड: "B++" (CGPA 2.84); यह विश्वविद्यालय UGC द्वारा मान्यता प्राप्त है।

NIRF रैंकिंग 2024: प्रबंधन (Management) श्रेणी में 101–125 बैंड, और इंजीनियरिंग (Engineering) श्रेणी में 201–300 बैंड

निष्कर्ष
इलाहाबाद विश्वविद्यालय—इतिहास, संस्कृति और शिक्षा का प्राचीन गढ़—आज नए सुधारों, नीतियों और पहलों के साथ फिर से अपनी पहचान बनाने की दिशा में अग्रसर है।

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