अमेरिका ने रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर नए प्रतिबंध लगाए। चीन ने विरोध किया। इस कदम से वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है और भारत, चीन प्रभावित होंगे।
World News: अमेरिका ने बुधवार को रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों Rosneft और Lukoil पर नए प्रतिबंध लागू किए। इस कदम का मकसद रूस की तेल निर्यात और आर्थिक गतिविधियों पर दबाव डालना बताया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति (Donald Trump)ने इस फैसले के साथ ही कहा कि रूस के साथ बातचीत तो की जा सकती है, लेकिन इससे कोई ठोस नतीजा निकलने की संभावना नहीं है।
इस नए प्रतिबंध के बाद वैश्विक तेल बाजार में हड़कंप मच गया। रूस की ये दो कंपनियां दुनिया में तेल आपूर्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनका कारोबार कई देशों के लिए अहम है। भारत और चीन जैसे बड़े तेल आयातक देश इन प्रतिबंधों से सीधे प्रभावित हो सकते हैं।
चीन ने अमेरिका के कदम का किया विरोध
चीन ने गुरुवार को स्पष्ट रूप से कहा कि वह रूस की दो तेल कंपनियों पर अमेरिका के नए प्रतिबंधों का विरोध करता है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Guo Jiakun ने बीजिंग में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए ये एकतरफा प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सही नहीं हैं और इनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मंजूरी भी नहीं है।
Guo Jiakun ने कहा, “चीन लगातार ऐसे प्रतिबंधों का विरोध करता है जिनका कोई अंतरराष्ट्रीय कानूनी आधार नहीं है और जिन्हें किसी वैश्विक संस्था की मंजूरी नहीं मिली है।” उनका यह बयान वैश्विक समुदाय में अमेरिका की नीति के खिलाफ एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।
ट्रंप ने पुतिन के साथ बैठक स्थगित की
अमेरिका के इस कदम से ठीक एक दिन पहले राष्ट्रपति Donald Trump ने रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin के साथ बुडापेस्ट में होने वाली बैठक को रद्द कर दिया था। ट्रंप ने कहा कि बातचीत तो अच्छी होती है, लेकिन इससे कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता। इस निर्णय ने रूस-यूरोप-यूएस संबंधों में नई राजनीति और आर्थिक अनिश्चितता को जन्म दिया है।
रूस के तेल पर अमेरिका के प्रतिबंधों का वैश्विक असर
रूस पर लगाए गए नए प्रतिबंधों का सबसे बड़ा असर भारत और चीन पर होगा। रूस इन दोनों देशों को तेल और ऊर्जा संसाधन की सप्लाई करता है। भारत की प्रतिक्रिया फिलहाल सामने नहीं आई है, लेकिन चीन ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है।
चीन के प्रवक्ता का बयान
बीजिंग में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में चीन के प्रवक्ता Guo Jiakun ने कहा कि रूस और चीन के बीच सामान्य व्यापारिक संबंधों को किसी भी बाहरी देश द्वारा प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यूक्रेन संकट न तो चीन की वजह से है और न ही चीन इसका कोई पक्ष है। यूरोपीय देशों को चीन और रूस के बीच सामान्य व्यापारिक संबंधों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि बातचीत ही Ukraine Crisis का एकमात्र व्यवहार्य समाधान है। Guo ने ट्रंप की टिप्पणी पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping का रूस पर बड़ा प्रभाव हो सकता है। Guo ने कहा कि संवाद और कूटनीति ही इस संकट का स्थायी समाधान निकाल सकती है।