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अंता विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने मोरपाल सुमन को दिया टिकट, कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया पर जताया भरोसा

अंता विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने मोरपाल सुमन को दिया टिकट, कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया पर जताया भरोसा

राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए बीजेपी ने मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया है। वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले सुमन स्थानीय नेता हैं, जबकि कांग्रेस ने प्रमोद जैन भाया पर भरोसा जताया है।

Rajasthan By-Election: अंता विधानसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने लंबी चर्चा के बाद अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने वसुंधरा राजे के करीबी और माली समाज से आने वाले स्थानीय नेता मोरपाल सुमन को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारा है। बीजेपी का यह निर्णय स्थानीय समीकरणों और जातिगत संतुलन को साधने की रणनीति के तहत लिया गया माना जा रहा है।

स्थानीय उम्मीदवार से साधने की कोशिश

राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने रणनीतिक कदम उठाते हुए मोरपाल सुमन को मैदान में उतारा है। सुमन बारां पंचायत समिति के पूर्व प्रधान रहे हैं और लंबे समय से संगठन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। पार्टी को उम्मीद है कि स्थानीय स्तर पर उनकी पकड़ और जनसंपर्क उन्हें मतदाताओं के बीच लाभ दिला सकते हैं।

बीजेपी ने इस बार स्थानीय नेतृत्व को प्राथमिकता देकर यह संकेत भी दिया है कि पार्टी जमीनी कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने की नीति पर काम कर रही है। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और अनुभवी नेता प्रमोद जैन भाया पर भरोसा जताया है, जिससे यह मुकाबला और दिलचस्प बन गया है।

त्रिकोणीय मुकाबले से बढ़ी सियासी सरगर्मी

अंता सीट पर इस बार मुकाबला सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस तक सीमित नहीं है। निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा के मैदान में उतरने से चुनाव त्रिकोणीय होता दिख रहा है। नरेश मीणा का क्षेत्र में मजबूत सामाजिक आधार माना जाता है, जिससे वे दोनों प्रमुख दलों के लिए चुनौती बन सकते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निर्दलीय उम्मीदवार का प्रदर्शन इस सीट के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। यदि मीणा मतों का एक बड़ा हिस्सा अपने पक्ष में कर लेते हैं, तो यह मुकाबला बेहद करीबी और अप्रत्याशित हो सकता है।

जातिगत संतुलन पर टिकी रणनीति

बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपने प्रत्याशियों का चयन किया है। मोरपाल सुमन माली समाज से आते हैं, जो इस क्षेत्र में एक प्रभावशाली समुदाय माना जाता है। वहीं, कांग्रेस ने भाया पर दांव लगाया है, जो जैन समाज से ताल्लुक रखते हैं और शहरी मतदाताओं में उनकी अच्छी पकड़ है।

राजनीतिक रूप से यह सीट हमेशा से जातीय और स्थानीय मुद्दों से प्रभावित रही है। ऐसे में दोनों पार्टियां सामाजिक संतुलन और क्षेत्रीय भावनाओं को साधने में जुटी हैं। अब देखना यह होगा कि किसकी रणनीति मतदाताओं को अधिक प्रभावित कर पाती है।

 

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