आर्थराइटिस जोड़ों की एक आम बीमारी है, जिसमें सूजन, दर्द और अकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ करने पर यह गतिशीलता को प्रभावित कर सकती है। डॉक्टरों के अनुसार नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, वजन नियंत्रण और ठंड से बचाव से आर्थराइटिस के जोखिम को कम किया जा सकता है।
Arthritis: आर्थराइटिस हड्डियों के जोड़ों में सूजन और दर्द से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा देखी जाती है। लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के डॉ. एल.एच. घोटेकर बताते हैं कि इसके शुरुआती लक्षणों में जोड़ों में जकड़न, सूजन और दर्द शामिल हैं, जो समय के साथ बढ़ सकते हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटॉयड आर्थराइटिस इसके प्रमुख प्रकार हैं। समय पर पहचान और जीवनशैली में सुधार से इस बीमारी के बढ़ने से बचा जा सकता है।
क्या है आर्थराइटिस और इसके प्रकार
आर्थराइटिस कोई एक बीमारी नहीं, बल्कि जोड़ों को प्रभावित करने वाली कई स्थितियों का समूह है। इसमें सबसे आम दो प्रकार हैं — ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटॉयड आर्थराइटिस।
ऑस्टियोआर्थराइटिस में हड्डियों के बीच मौजूद मुलायम ऊतक यानी कर्टिलेज धीरे-धीरे घिसने लगता है। इससे हड्डियां एक-दूसरे से रगड़ खाने लगती हैं और दर्द, सूजन या अकड़न महसूस होती है। यह बीमारी आमतौर पर उम्र बढ़ने, जोड़ों पर ज्यादा दबाव पड़ने या पुरानी चोटों के कारण होती है।
वहीं रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से अपने ही जोड़ों पर हमला करने लगता है। इससे जोड़ों में सूजन, दर्द और लालिमा हो जाती है। अगर समय पर इलाज न हो, तो यह स्थिति हड्डियों और जोड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है।
क्यों होता है आर्थराइटिस
डॉ. घोटेकर बताते हैं कि आर्थराइटिस के कई कारण होते हैं। इनमें बढ़ती उम्र, मोटापा, पुरानी चोटें, शरीर में कैल्शियम या विटामिन डी की कमी और गलत जीवनशैली मुख्य हैं। लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठे रहना या जोड़ों पर अधिक दबाव डालने वाली गतिविधियां भी इसका कारण बन सकती हैं।
रूमेटॉयड आर्थराइटिस के मामलों में अनुवांशिक कारण भी भूमिका निभाते हैं। कई बार यह बीमारी शरीर की इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से शुरू होती है। वहीं, ठंडा मौसम या नमी भी जोड़ों के दर्द को बढ़ा सकती है।
शुरुआती लक्षण जिन पर दें ध्यान

आर्थराइटिस की शुरुआत अक्सर हल्के दर्द या अकड़न से होती है, जिसे लोग सामान्य थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यही शुरुआती संकेत होते हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है।
सुबह उठते समय अगर घुटनों, उंगलियों, कलाई या कमर में जकड़न महसूस हो और यह कुछ समय तक बनी रहे, तो यह आर्थराइटिस का संकेत हो सकता है। घुटनों में सूजन या भारीपन, चलने या सीढ़ियां चढ़ने में दर्द और जोड़ों का बार-बार चरमराना भी इसके शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस में दर्द अक्सर एक तरफ के जोड़ों में होता है, जैसे केवल दायां घुटना या एक कूल्हा। जबकि रूमेटॉयड आर्थराइटिस में दर्द दोनों तरफ के समान जोड़ों में होता है, जैसे दोनों कलाई या दोनों घुटनों में। प्रभावित हिस्से पर लालपन या गर्मी महसूस होना भी रूमेटॉयड आर्थराइटिस का संकेत हो सकता है।
मौसम बदलने या ठंड बढ़ने पर दर्द और सूजन का बढ़ना भी आम बात है। अगर ये लक्षण लगातार बने रहें या समय के साथ बढ़ते जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
कैसे करें नियंत्रण
डॉ. घोटेकर बताते हैं कि आर्थराइटिस को शुरुआती चरण में नियंत्रित किया जा सकता है अगर व्यक्ति अपनी दिनचर्या में कुछ जरूरी बदलाव करे। रोजाना हल्का व्यायाम, योग या स्ट्रेचिंग से जोड़ों में लचीलापन बना रहता है और अकड़न कम होती है।
वजन को नियंत्रित रखना जरूरी है क्योंकि अधिक वजन से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, खासकर घुटनों और कूल्हों पर। भोजन में कैल्शियम, विटामिन डी और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें शामिल करनी चाहिए ताकि हड्डियां मजबूत बनी रहें।
लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने से बचना चाहिए और हर कुछ घंटे में शरीर को हिलाना-डुलाना चाहिए। ठंड के मौसम में जोड़ों को गर्म रखना भी फायदेमंद होता है क्योंकि ठंडक से दर्द बढ़ सकता है।
अगर किसी जोड़ में लगातार सूजन या दर्द महसूस हो, तो घरेलू इलाज की जगह डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है। विशेषज्ञ जांच के बाद दवा या फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं।













