ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय वायुसेना लगातार अपनी रणनीतिक और तकनीकी क्षमता को मजबूत करने में जुटी हुई है। इसी दिशा में अब वायुसेना को जल्द ही छह नए मिड-एयर रिफ्यूलिंग विमान (हवा में ईंधन भरने वाले विमान) मिलने वाले हैं।
India Israel Deal: भारतीय वायुसेना अपनी ताकत को अगले स्तर पर ले जाने की तैयारी में है। रक्षा क्षेत्र में बड़ा कदम उठाते हुए भारत जल्द ही इजराइल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (IAI) के साथ 8,000 करोड़ रुपये की डिफेंस डील करने जा रहा है। इस डील के तहत भारतीय वायुसेना को छह नए मिड-एयर रिफ्यूलिंग टैंकर विमान मिलने वाले हैं।
ये विमान पुराने बोइंग 767 को मॉडिफाई करके तैयार किए जाएंगे और भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होंगे। इस समझौते के बाद भारत की हवाई ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा, जिससे चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए रणनीतिक संतुलन बिगड़ सकता है।
IAI बनाएगी आधुनिक एयर टैंकर — भारत की ताकत में होगा इजाफा
सूत्रों के अनुसार, इजराइल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (IAI) भारतीय वायुसेना के लिए पुराने बोइंग 767 कमर्शियल विमानों को अत्याधुनिक टैंकर विमानों में बदलेगी। इन विमानों में अत्याधुनिक रिफ्यूलिंग सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर टेक्नोलॉजी और उन्नत एवियोनिक्स लगाए जाएंगे। यह विमान उड़ान के दौरान फाइटर जेट्स, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और अन्य सैन्य विमानों को हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता देंगे। इससे वायुसेना की ऑपरेशनल रेंज और कंटीन्यस एयर डॉमिनेंस बनाए रखने की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
IAI और भारत के बीच इस समझौते में ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी शामिल किया गया है। कंपनी ने इस प्रोजेक्ट में लगभग 30% भारतीय कंपोनेंट्स के उपयोग पर सहमति जताई है। इससे न केवल भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बल मिलेगा, बल्कि देश में रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। यह कदम भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ रक्षा नीति को भी मजबूत करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद वायुसेना का अगला बड़ा कदम

हाल ही में सफल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय वायुसेना लगातार अपनी रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत कर रही है। वायुसेना लंबे समय से नए टैंकर विमानों की जरूरत महसूस कर रही थी, क्योंकि मौजूदा बेड़ा पुराना हो चुका है और उसकी क्षमता सीमित है। इस डील के बाद भारतीय वायुसेना के पास बेहतर हवा में ईंधन भरने (Air-to-Air Refueling) की सुविधा होगी, जिससे फाइटर जेट्स लंबी दूरी तक ऑपरेट कर सकेंगे — विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान की सीमा वाले इलाकों में।
वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास रूस निर्मित IL-78 टैंकर विमान हैं, जो आगरा एयरबेस पर तैनात हैं। ये टैंकर भारतीय वायुसेना के सुखोई-30MKI, मिग-29, राफेल, और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों को ईंधन प्रदान करते हैं। हालांकि, समय के साथ इन विमानों की मेंटेनेंस कॉस्ट बढ़ी है और उनकी एवियोनिक्स सिस्टम भी पुरानी हो चुकी है। इसलिए वायुसेना कई वर्षों से इनकी जगह आधुनिक विमानों की तलाश कर रही थी।
IAI के टैंकर होंगे तकनीकी रूप से उन्नत
इजरायली कंपनी IAI द्वारा बनाए जा रहे ये टैंकर विमान अत्याधुनिक रिफ्यूलिंग सिस्टम से लैस होंगे। इनमें
- बूम और प्रोब-ड्रोग सिस्टम,
- एडवांस्ड कम्युनिकेशन मॉड्यूल,
- और इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मेजर्स (ECM) शामिल होंगे।
इन टैंकरों से भारतीय फाइटर जेट्स जैसे राफेल, सुखोई-30MKI, और भविष्य में आने वाले TEDBF व AMCA विमानों को भी सपोर्ट मिलेगा। भारतीय वायुसेना अपने पुराने विमानों को धीरे-धीरे सेवा से बाहर कर रही है। हाल ही में वायुसेना ने एक टैंकर विमान को लीज पर भी लिया था, ताकि ईंधन भरने की तत्काल जरूरतों को पूरा किया जा सके।
हालांकि, आने वाले वर्षों में यह नई इजरायली टैंकर फ्लीट न केवल मौजूदा कमी को पूरा करेगी, बल्कि वायुसेना को भविष्य की हाइब्रिड वॉरफेयर रणनीतियों के लिए भी तैयार करेगी।













