अमेरिका-चीन तनाव के बीच चीन का घरेलू पैसेंजर जेट प्रोजेक्ट C919 मुश्किलों में है। अमेरिकी एक्सपोर्ट रेस्ट्रिक्शन और सप्लाई चेन दिक्कतों के कारण इसका उत्पादन और डिलीवरी प्रभावित हुई है। 2025 में 30 जेट तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन मौजूदा हालात में यह चुनौतीपूर्ण दिख रहा है।
C919 Project News: चीन की सरकारी कंपनी COMAC का C919 जेट प्रोजेक्ट अमेरिका-चीन व्यापारिक तनाव के कारण अटक गया है। अमेरिकी एक्सपोर्ट लाइसेंस निलंबन और सप्लाई चेन में देरी से जेट की प्रोडक्शन स्लो हो गई है। GE और Honeywell जैसे अमेरिकी सप्लायर्स पर निर्भरता इस संकट की मुख्य वजह बनी हुई है। बीते साल जहां 13 जेट डिलीवर हुए थे, वहीं इस साल अब तक केवल 7 ही दिए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन की कमी के चलते C919 को ग्लोबल मार्केट में जगह बनाने में अभी समय लगेगा।
चीन की आत्मनिर्भरता की उड़ान पर ब्रेक
C919 चीन का पहला घरेलू सिंगल-आइल पैसेंजर जेट है, जिसे देश की तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता की पहचान के रूप में देखा जा रहा था। हालांकि, यह पूरी तरह घरेलू नहीं है, क्योंकि इसमें अब भी बड़ी संख्या में वेस्टर्न (पश्चिमी) देशों से लिए गए पुर्जे इस्तेमाल हो रहे हैं।
इस विमान में इंजन, एवियोनिक्स और अन्य अहम उपकरण अमेरिका और यूरोप की कंपनियों से लिए जाते हैं। यही वजह है कि जैसे-जैसे अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा है, वैसे-वैसे इस प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी पड़ गई है।
कहां फंसा है C919 प्रोजेक्ट
द कॉन्फ्रेंस बोर्ड के एशिया-पैसिफिक सीनियर इकोनॉमिस्ट मैक्स जेडेंग्लिन का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच नीतिगत अस्थिरता कॉमैक के लिए सबसे बड़ा जोखिम है। अमेरिका ने कई बार चीन के हाई-टेक प्रोजेक्ट्स पर एक्सपोर्ट रेस्ट्रिक्शन लगाए हैं, जिससे C919 की सप्लाई चेन पर सीधा असर पड़ा है।
बैंक ऑफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, C919 के कुल 88 बड़े सप्लायर्स में से 48 अमेरिका से, 26 यूरोप से और केवल 14 चीन से हैं। इसका मतलब है कि विमान का बड़ा हिस्सा अब भी विदेशी तकनीक पर निर्भर है।
इंजन बना सबसे बड़ा अवरोध

इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल होने वाला LEAP-1C इंजन अमेरिका की GE Aerospace और फ्रांस की Safran का संयुक्त प्रोडक्ट है। मई 2024 में अमेरिका ने इस इंजन के लिए एक्सपोर्ट लाइसेंस अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया था, जिससे कॉमैक की उत्पादन योजना पूरी तरह गड़बड़ा गई थी। हालांकि जुलाई में लाइसेंस बहाल कर दिया गया, लेकिन इस बीच काफी नुकसान हो चुका था।
चीन ने इसका घरेलू विकल्प CJ-1000A इंजन तैयार करने की कोशिश की है, लेकिन यह अभी टेस्टिंग फेज में है और व्यावसायिक उड़ानों के लिए मंजूरी मिलने में अभी समय लगेगा।
डिलीवरी और प्रोडक्शन पर असर
पिछले साल कॉमैक ने 13 C919 जेट्स एयरलाइंस को डिलीवर किए थे, जबकि इस साल अक्टूबर तक सिर्फ 7 विमान ही तैयार कर सका है। कंपनी ने 2025 तक 30 जेट्स बनाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन मौजूदा हालात में यह टारगेट पूरा होना मुश्किल लग रहा है।
चाइना ईस्टर्न, एयर चाइना और चाइना सदर्न जैसी देश की तीन बड़ी एयरलाइंस फिलहाल करीब 20 C919 विमान इस्तेमाल कर रही हैं। लेकिन अमेरिकी एक्सपोर्ट कंट्रोल और अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन की कमी के कारण यह विमान अभी चीन के बाहर उड़ान नहीं भर सकता।
एयरबस और बोइंग का बढ़ता दबदबा
एयरबस और बोइंग के मुकाबले C919 की स्थिति अभी कमजोर है। एयरबस ने अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया है कि 2025 से 2044 के बीच चीन को 9,570 नए पैसेंजर जेट्स की जरूरत होगी, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत सिंगल-आइल विमान होंगे।
एयरबस चीन में अपनी मौजूदगी और बढ़ाने की तैयारी में है। 2026 तक वह अपनी दूसरी असेंबली लाइन शुरू करने जा रहा है, ताकि वह A320 सीरीज की प्रोडक्शन बढ़ा सके। इससे एयरबस की पकड़ चीन के विमानन बाजार पर और मजबूत होगी।
दूसरी ओर, बोइंग भी चीन के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश में है, ताकि वह बढ़ती मांग का हिस्सा बन सके। ऐसे में कॉमैक के लिए घरेलू बाजार में भी प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है।












